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वाणिज्यिक विधि

SEBI के अंतर्गत संक्षिप्त कार्यवाही

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 23-Jul-2024

परामर्श-पत्र

“बाज़ार मध्यस्थों द्वारा किये गए गौण उल्लंघनों के लिये संक्षिप्त कार्यवाही का प्रस्ताव, जिससे मामलों का निपटारा वर्तमान दीर्घकालीन समय-सीमा के स्थान पर 50 दिनों के भीतर हो सकेगा ”।

SEBI

स्रोत : मिंट

चर्चा में क्यों?

SEBI (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) ने बाज़ार मध्यस्थों द्वारा गौण उल्लंघनों के लिये संक्षिप्त कार्यवाही का प्रस्ताव करते हुए एक परामर्श-पत्र जारी किया है। प्रस्तावित परिवर्तनों का उद्देश्य समाधान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, जिससे मामलों का निपटारा वर्तमान दीर्घकालीन समय-सीमा के बजाय 50 दिनों के भीतर किया जा सके। यह संशोधन वैश्विक विनियामक प्रथाओं के अनुरूप है और इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करते हुए प्रवर्तन को अधिक कुशल बनाना तथा विनियामक दक्षता को बढ़ाना है।

SEBI के अंतर्गत संक्षिप्त कार्यवाही की अवधारणा क्या है?

  • संक्षिप्त कार्यवाही एक प्रस्तावित विधिक ढाँचा है, जो बाज़ार मध्यस्थों द्वारा किये गए उल्लंघनों से अधिक तीव्रता और कुशलता से निपटने के लिये है।
  • ये स्पष्ट उल्लंघनों या उन गौण उल्लंघनों के लिये हैं जिनको सिद्ध करने के लिये न्यूनतम साक्ष्य की आवश्यकता होती है।
  • संक्षिप्त कार्यवाही के लिये पात्र मामलों में शामिल हैं:
    • स्टॉक विनिमय केंद्रों या समाशोधन निगमों द्वारा सदस्यों का निष्कासन।
    • डिपॉजिटरी समझौतों की समाप्ति।
    • पंजीकरण शुल्क का भुगतान न करना।
    • आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता।
    • रिटर्न या प्रदर्शन के विषय में झूठे या भ्रामक दावे करना।
  • इस प्रक्रिया में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
    • मध्यस्थ को नोटिस जारी करना।
    • लिखित प्रतिक्रिया के लिये 21 दिन का समय दिया जाएगा।
    • कोई व्यक्तिगत सुनवाई नहीं होगी।
    • प्रतिक्रिया प्राप्त होने के 21 दिनों के भीतर आदेश पारित करने का लक्ष्य।
  • संभावित परिणामों में पंजीकरण रद्द करना या निलंबित करना तथा अन्य उचित आदेश शामिल हैं।
  • इसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को विनियमित करना, समान उल्लंघनों के लिये समान व्यवहार सुनिश्चित करना तथा निवेशकों की सुरक्षा एवं बाज़ार की अखंडता बनाए रखने में SEBI की क्षमता को बढ़ाना है।

SEBI में संक्षिप्त कार्यवाही का उद्देश्य क्या है?

  • इसका प्राथमिक लक्ष्य बाज़ार मध्यस्थों द्वारा किये गए कुछ स्पष्ट उल्लंघनों से निपटने के लिये एक तीव्र, अधिक कुशल तंत्र बनाना है, जिससे SEBI की नियामक प्रभावशीलता और बाज़ार संरक्षण क्षमताओं में सुधार हो सके।
    • मध्यस्थों द्वारा प्रतिभूति विधियों के उल्लंघनों को अधिक शीघ्रता एवं कुशलता से निपटाना।
    • निवेशकों के हितों की रक्षा में तीव्रता से कार्य करने की SEBI की क्षमता को बढ़ाना।
    • प्रतिभूति बाज़ार की अखंडता, पारदर्शिता और दक्षता बनाए रखना।
    • विशिष्ट प्रकार के उल्लंघनों के लिये विनियामक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना।
    • SEBI (मध्यस्थ) विनियम, 2008 में संक्षिप्त कार्यवाही के प्रावधान शामिल करने के लिये विधिक परिवर्तन का प्रस्ताव करना।
    • इन प्रस्तावित परिवर्तनों पर जनता की टिप्पणियाँ प्राप्त करना, ताकि नियामक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
    • दीर्घकालीन प्रक्रियाओं की आवश्यकता के बिना स्पष्ट या सुगमता से सिद्ध उल्लंघनों को संबोधित करना।
    • कुशल बाज़ार निरीक्षण के लिये SEBI की प्रथाओं को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना।

SEBI में संक्षिप्त कार्यवाही की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • संक्षिप्त कार्यवाही वर्ष 2008 तक SEBI विनियमों का भाग थी, परंतु मध्यस्थ विनियमों के लागू होने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया।
  • SEBI द्वारा उन स्पष्ट उल्लंघनों में वृद्धि देखी गई है जिनके लिये न्यूनतम साक्ष्य की आवश्यकता होती है या जिन्हें मध्यस्थों द्वारा स्वीकार किया जाता है।
  • सामान्य उल्लंघनों में शामिल हैं:
    • पंजीकरण बनाए रखने के लिये शुल्क का भुगतान न करना।
    • निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता।
    • निवेश सलाहकार, 2020 के नियमों के अनुसार, IAASB के साथ पंजीकरण नहीं कराते हैं।
  • जैसा कि मध्यस्थ विनियमन के अध्याय V में बताया गया है, कि पंजीकरण रद्द करने की वर्तमान प्रक्रिया (स्पष्ट उल्लंघन के लिये भी) दीर्घकालीन एवं संसाधन-गहन है।
  • बड़े स्तर पर गैर-अनुपालन मामलों में [जैसे कि सैकड़ों निवेश सलाहकारों का मामला, जिन्होंने IAASB (अंतर्राष्ट्रीय लेखा परीक्षा और आश्वासन मानक बोर्ड) के साथ पंजीकरण नहीं कराया] प्रत्येक इकाई के लिये अलग-अलग कार्यवाही की आवश्यकता होती है, जिसमें कई प्राधिकरण शामिल होते हैं।
  • SEBI अब इन स्पष्ट उल्लंघनों से अधिक कुशलता से निपटने के लिये संक्षिप्त कार्यवाही पुनः प्रारंभ करने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसका उद्देश्य नियामक प्रक्रिया को सरल बनाना तथा संसाधनों का उचित आवंटन करना है।

SEBI में संक्षिप्त प्रक्रिया की क्या आवश्यकता थी?

  • मध्यस्थ विनियमन के अध्याय V के अंतर्गत वर्तमान प्रक्रियाएँ दीर्घकालीन, अकुशल और स्पष्ट उल्लंघनों के कारण दुष्कर हैं।
  • धारा 30A मामलों की संक्षिप्त कार्यवाही और प्रक्रिया से संबंधित है।
  • संक्षिप्त कार्यवाही उन उल्लंघनों के लिये प्रस्तावित की जाती है जो स्पष्ट हैं, स्वीकार किये गए हैं या जिनके लिये न्यूनतम साक्ष्य की आवश्यकता होती है।
  • बाज़ार की अखंडता, पारदर्शिता और दक्षता बनाए रखने के लिये त्वरित कार्यवाही महत्त्वपूर्ण है।
  • संक्षिप्त कार्यवाही का उद्देश्य वर्तमान प्रक्रियाओं की तुलना में उल्लंघनों को अधिक शीघ्रता और कुशलता से निपटाना है।
  • वे समान उल्लंघनों के लिये समान व्यवहार सुनिश्चित करते हैं तथा दीर्घकालीन प्रवर्तन प्रक्रिया को कम करते हैं।
  • यह प्रक्रिया पहले वर्ष 2008 तक SEBI विनियमों का भाग थी और अब इसे पुनः लागू किया जा रहा है।
  • संक्षिप्त कार्यवाही, संस्थाओं को यह कारण बताने का अवसर प्रदान करती है कि उनके विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिये।
  • इसका लक्ष्य विनियामक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, निवेशकों की सुरक्षा करने तथा बाज़ार की अखंडता बनाए रखने में SEBI की त्वरित कार्यवाही करने की क्षमता को बढ़ाना है।
  • यह विधि, पूर्ण सुनवाई की आवश्यकता के बिना त्वरित समाधान के लिये तैयार की गई है तथा स्पष्ट या स्वीकृत उल्लंघनों को अधिक कुशलता से संबोधित करती है।

संक्षिप्त प्रक्रिया के अंतर्गत किस प्रकार के मामले समाविष्ट किये जायेंगे?

  • स्टॉकब्रोकर या समाशोधन सदस्य का निष्कासन
    • कोई स्टॉकब्रोकर या समाशोधन सदस्य, जिसके संबंध में बोर्ड को सभी स्टॉक एक्सचेंजों या समाशोधन निगमों से, जैसा भी मामला हो, जिसका वह सदस्य है, सूचना प्राप्त हो गई है कि ऐसे स्टॉकब्रोकर या समाशोधन सदस्य को उसके सदस्य के रूप में निष्कासित कर दिया गया है।
  • डिपॉजिटरी प्रतिभागी समाप्ति
    • एक डिपॉजिटरी प्रतिभागी, जिसके संबंध में बोर्ड को उन सभी डिपॉजिटरियों से सूचना प्राप्त हो गई है, जहाँ प्रतिभागी को प्रवेश दिया गया है, कि डिपॉजिटरी प्रतिभागी करार को डिपॉजिटरियों द्वारा समाप्त कर दिया गया है।
  • मध्यस्थ द्वारा रिटर्न या प्रदर्शन का दावा
    • कोई मध्यस्थ किसी प्रतिभूति या प्रतिभूतियों के संबंध में या उससे संबंधित प्रतिफल या निष्पादन का दावा करता हुआ पाया जाता है, जब तक कि बोर्ड द्वारा ऐसा दावा करने की अन्यथा अनुमति न दी गई हो।
  • मध्यस्थ द्वारा झूठे या भ्रामक दावे करना
    • बोर्ड या बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट किसी एजेंसी द्वारा पाया गया कोई मध्यस्थ, किसी प्रतिभूति या प्रतिभूतियों के संबंध में या उससे संबंधित प्रतिफल या निष्पादन का झूठा या भ्रामक दावा करता है।
  • मध्यस्थ द्वारा शुल्क का भुगतान न करना
    • कोई मध्यस्थ जो बोर्ड या ऐसे निकाय को, जिसे ऐसे मध्यस्थ को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक विनियमों के प्रावधानों के अनुसार निर्दिष्ट किया जा सकता है, शुल्क का भुगतान करने में विफल रहता है।
  • गुप्त रहने वाला मध्यस्थ
    • एक मध्यस्थ जिसका पता नहीं लगाया जा सकता।
  • मध्यस्थ द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफलता
    • ऐसा मध्यस्थ, जो मध्यस्थता को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक विनियमों या उसके अंतर्गत जारी परिपत्रों के प्रावधानों के अनुसार बोर्ड को लगातार तीन अवधियों या निर्दिष्ट अन्य अवधियों के लिये आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहा है।
  • प्रतिभूति विधियों का उल्लंघन करने वाला मध्यस्थ
    • मध्यस्थ ने बोर्ड द्वारा जारी किसी प्रतिभूति विधि या निर्देश, अनुदेश या परिपत्र का उल्लंघन करने की बात स्वीकार की।

संक्षिप्त कार्यवाही की प्रक्रिया क्या है?

  • सक्षम प्राधिकारी संबंधित मध्यस्थ को नोटिस जारी करता है, जिसमें कार्यवाही प्रारंभ करने के आधार और कथित उल्लंघन का उल्लेख होता है।
  • मध्यस्थ के पास नोटिस प्राप्त होने से 21 दिनों के भीतर किसी भी दस्तावेज़ी साक्ष्य के साथ लिखित उत्तर प्रस्तुत करने का समय होता है।
  • इस 21 दिन की अवधि के बाद कोई अन्य अवसर नहीं दिया जाएगा या सुनवाई नहीं की जाएगी।
  • सक्षम प्राधिकारी मामले के तथ्यों, रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री और लिखित प्रस्तुतियों (यदि कोई हो) पर विचार करता है।
  • आदेश 21 दिनों के भीतर पारित किया जाना है।:
    • मध्यस्थ की लिखित प्रस्तुतियाँ प्राप्त करना, या
    • यदि कोई प्रतिक्रिया दाखिल नहीं की जाती है तो प्रस्तुतिकरण की अंतिम तिथि समाप्त हो जाएगी।
  • आदेश, मध्यस्थ के पंजीकरण प्रमाण-पत्र को रद्द या निलंबित कर सकता है या अन्य उपयुक्त उपाय लागू कर सकता है।
  • प्राधिकरण निवेशकों, ग्राहकों या प्रतिभूति बाज़ार के हितों की रक्षा के लिये शर्तें लगा सकता है।
  • मध्यस्थ का रिकॉर्ड रखरखाव, शिकायत निवारण और ग्राहक सेवा निरंतरता सहित विभिन्न कारकों पर बोर्ड को संतुष्ट करना आवश्यक हो सकता है।
  • यदि पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है, तो मध्यस्थ को तत्काल अपनी गतिविधियाँ बंद करनी होंगी, प्रमाण-पत्र वापस करना होगा, गतिविधियों को स्थानांतरित करना होगा या ग्राहकों को धन/प्रतिभूतियाँ आहरित करने की अनुमति देनी होगी तथा किसी भी देयता को संभालना होगा।
  • आदेश मध्यस्थ को भेजा जाता है और SEBI की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है।
  • रद्दीकरण आदेशों की प्रतियाँ संबंधित स्टॉक एक्सचेंजों, समाशोधन निगमों, डिपॉजिटरी या पर्यवेक्षी निकायों को उनकी वेबसाइटों पर प्रकाशन के लिये भी भेजी जाती हैं।

प्रस्तावित संक्षिप्त कार्यवाही किस प्रकार से वैश्विक मानकों के अनुरूप है?

  • वैश्विक प्रवृत्ति: संक्षिप्त कार्यवाही की ओर कदम, अधिक कुशल बाज़ार निरीक्षण के लिये विनियामक प्रथाओं में वैश्विक प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संरेखण: यह दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय नियामक निकायों जैसे कि अमेरिका में प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) तथा ब्रिटेन में वित्तीय आचरण प्राधिकरण (FCA) की प्रथाओं के साथ संरेखित है।
  • कुशल विनियामक प्रवर्तन: विश्व भर में विनियामक निकाय अनुपालन सुनिश्चित करने और बाज़ार अखंडता की रक्षा के लिये संक्षिप्त या त्वरित प्रक्रियाओं का उपयोग कर रहे हैं।
  • त्वरित न्याय और उचित प्रक्रिया के बीच संतुलन: इसका उद्देश्य त्वरित न्याय और संपूर्ण उचित प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाना है, जो वैश्विक नियामक ढाँचे में एक सामान्य लक्ष्य है।
  • सुव्यवस्थित प्रवर्तन: प्रस्तावित परिवर्तनों का उद्देश्य लंबी प्रक्रियाओं को कम करना तथा तीव्र एवं अधिक कुशल विनियामक प्रवर्तन के लिये वैश्विक प्रथाओं के साथ संरेखित करना है।
  • निवेशक हितों की सुरक्षा: निवेशक हितों की सुरक्षा के लिये त्वरित कार्यवाही पर ध्यान केंद्रित करना अंतर्राष्ट्रीय नियामक उद्देश्यों के अनुरूप है।