औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940
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आपराधिक कानून

औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940

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 29-Dec-2023

गौरव चावला बनाम यू. टी. राज्य चंडीगढ़

"पुलिस के पास औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के उल्लंघन में कथित अवैध उत्पाद की खोज करने या ज़ब्त करने का कोई अधिकार नहीं है, ज़ब्त करने की शक्ति इस अधिनियम के तहत नियुक्त निरीक्षक के पास होगी।"

न्यायमूर्ति मंजरी नेहरू कौल

स्रोत: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति मंजरी नेहरू कौल ने कहा है कि पुलिस के पास औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के उल्लंघन में कथित अवैध उत्पाद की खोज करने या ज़ब्त करने का कोई अधिकार नहीं है, ज़ब्त करने की शक्ति इस अधिनियम के तहत नियुक्त निरीक्षक के पास होगी।

  • पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह फैसला गौरव चावला बनाम यू.टी. राज्य चंडीगढ़ के मामले में दिया।

गौरव चावला बनाम यू.टी. चंडीगढ़ राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

  • याचिकाकर्त्ता पर कथित तौर पर बिना किसी अपेक्षित लाइसेंस के रेमडेसिविर इंजेक्शन को विनियमित दर से अधिक कीमत पर बेचने की पेशकश करने के लिये औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
  • पुलिस ने कथित इंजेक्शन ज़ब्त कर लिये और याचिकाकर्त्ता, इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी के निदेशक और अन्य सह-अभियुक्तों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (First Information Report- FIR) दर्ज की गई।
  • न्यायालय ने कहा कि कोई भी तलाशी और ज़ब्ती कानून के अनुसार नहीं की गई, जैसा कि इस मामले में देखा गया है, ऐसे साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिये मुकदमे के दौरान कोई महत्त्व नहीं होगा।
  • इसलिये त्रुटिपूर्ण वसूली प्रक्रिया (Defective Recovery Process) के कारण, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 7 के तहत ज़ुर्माना लगाने की कोई संभावना नहीं होगी।
  • इसने इस प्रश्न पर भी विचार किया कि क्या पुलिस के पास आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 7 के साथ पठित औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के अध्याय IV के तहत अपराधों के संबंध में इंजेक्शन ज़ब्त करने और जाँच करने की शक्ति है।
  • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 एक विशेष अधिनियम है जिसने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure- CrPC) और आवश्यक वस्तु अधिनियम को स्थानांतरित किया है, जो पुलिस को ड्रग्स इंस्पेक्टर के अधिकार को सीमित करने के लिये CrPC या आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत शरण लेने से रोक सकता है।

न्यायालय की टिप्पणी क्या थी?

  • यह स्पष्ट है कि पुलिस के पास औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 27 के तहत अपराधों की जाँच करने की कोई शक्ति नहीं थी और यहाँ तक कि उक्त प्रावधानों के तहत FIR भी दर्ज नहीं की जा सकती थी।

औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 क्या है?

  • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो भारत में औषधियों के आयात, निर्माण और वितरण को नियंत्रित करता है।
  • इस अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में बेची जाने वाली औषधि और सौंदर्य प्रसाधन सुरक्षित, प्रभावी एवं राज्य गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हैं।

इसमें क्या विधिक प्रावधान शामिल हैं?

औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 22:

धारा 22 'इंस्पेक्टर की शक्ति' से संबंधित है, जो कहती है कि किसी भी तलाशी और ज़ब्ती करने की शक्ति पूरी तरह से ड्रग इंस्पेक्टर के पास निहित है।

औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 27:

इस अध्याय के उल्लंघन में ओषधियों के विनिर्माण, विक्रय आदि के लिये शास्ति-जो कोई स्वयं या अपनी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा,

(a) किसी औषधि का, जो धारा 17A के अधीन अपमिश्रित या [धारा 17B के अधीन नकली समझी गई है और जिससे] तब जब उसका किसी व्यक्ति द्वारा किसी रोग या विकार के निदान, उपचार, शमन या निवारण के लिये उपयोग किया जाता है, उसकी मृत्यु हो जाने की सम्भाव्यता है या उसके शरीर को ऐसी हानि हो जाने की सम्भाव्यता है जो भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 320 के अर्थ में घोर उपहति की कोटि में केवल इस कारण आएगी कि ऐसी औषधि, यथास्थिति, अपमिश्रित या नकली है या मानक गुणवत्ता की नहीं है, विक्रयार्थ या वितरणार्थ विनिर्माण करेगा या विक्रय करेगा या स्टाक रखेगा या विक्रय या वितरण के लिये प्रदर्शित करेगा या प्रस्थापित करेगा या वितरित करेगा, वह [कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम न होगी किंतु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी दंडनीय होगा और ज़ुर्माने का भी, जो दस लाख रुपए या अधिहृत औषधि के मूल्य का तीन गुना, इनमें से जो भी अधिक हो, से कम न होगा, दंडित होगा] :

परंतु इस खंड के अधीन दोषसिद्ध व्यक्ति पर अधिरोपित और उससे वसूल किया गया ज़ुर्माना प्रतिकर के रूप में उस व्यक्ति को संदत्त किया जाएगा जिसने इस खंड में निर्दिष्ट अपमिश्रित या नकली औषधियों का उपयोग किया था:

परंतु यह और कि जहाँ इस खंड में निर्दिष्ट अपमिश्रित या नकली ओषधियों के उपयोग से ऐसे व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, जिसने ऐसी ओषधियों का उपयोग किया था, वहाँ इस खंड के अधीन दोषसिद्ध व्यक्ति पर अधिरोपित और उससे वसूल किया गया ज़ुर्माना ऐसे व्यक्ति के नातेदार को संदत्त किया जाएगा जिसकी इस खंड में निर्दिष्ट अपमिश्रित या नकली ओषधियों के उपयोग के कारण मृत्यु हुई थी।

स्पष्टीकरण: दूसरे परंतुक के प्रयोजनों के लिये, अभिव्यक्ति 'सापेक्ष' का अर्थ है-

(i) मृतक व्यक्ति का पति या पत्नी; या

(ii) अवयस्क धर्मज पुत्र और अविवाहित धर्मज पुत्री तथा विधवा माता; या

(iii) अवयस्क पीड़ित व्यक्ति के माता-पिता; या

(iv) मृतक व्यक्ति की मृत्यु के समय उसके उपार्जन पर पूर्ण रूप से आश्रित ऐसा पुत्र या पुत्री, जिसने अट्ठारह वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है; या

(v) निम्नलिखित में से कोई व्यक्ति यदि वह मृतक व्यक्ति की मृत्यु के समय उसके उपार्जन पर, पूर्णतः या भागतः आश्रित है-

(a) माता-पिता ; या

(b) अवयस्क भाई या अविवाहित बहन; या

(c) विधवा पुत्रवधू; या

(d) विधवा बहन; या

(e) पूर्व मृत पुत्र की अवयस्क संतान; या

(f) ऐसी पूर्व मृत पुत्री की अवयस्क संतान जहाँ संतान के माता-पिता में से कोई जीवित नहीं है; या

(g) दादा-दादी, यदि ऐसे सदस्य के माता या पिता में से कोई जीवित नहीं है;]

(b) किसी औषधि का,

 (i) जो धारा 17A के अधीन अपमिश्रित समझी गई है किंतु जो खंड (a) में निर्दिष्ट औषधि नहीं है; या

(ii) धारा 18 के खंड (c) के अधीन यथा अपेक्षित विधिमान्य अनुज्ञप्ति के बिना,

विक्रयार्थ या वितरणार्थ विनिर्माण करेगा या विक्रय करेगा या स्टॉक रखेगा या विक्रय के लिये प्रदर्शित करेगा या प्रस्थापित करेगा, या वितरण करेगा, वह कारावास से [जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम न होगी किंतु जो पाँच वर्ष तक की हो सकेगी और ज़ुर्माने से, जो एक लाख रुपए या अधिहृत औषधियों के मूल्य के तीन गुना, इनमें से जो भी अधिक हो, से कम का न होगा] से दंडनीय होगा: एक अवधि के लिये कारावास से दंडनीय होगा जो [तीन वर्ष से कम नहीं होगा लेकिन जिसे पाँच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और ज़ुर्माना जो एक लाख रुपये से कम नहीं होगा या जब्त की गई औषधियों के मूल्य का तीन गुना, जो भी अधिक हो, होगा]:

परंतु न्यायालय, निर्णय में अभिलिखित किये जाने वाले किन्हीं पर्याप्त और विशेष कारणों से [तीन वर्ष से कम के कारावास का और एक लाख रुपए से कम के ज़ुर्माने का] दंड अधिरोपित कर सकेगा; [बशर्ते कि अदालत, फैसले में दर्ज किये जाने वाले किसी भी पर्याप्त और विशेष कारणों से, तीन वर्ष से कम की अवधि के लिये कारावास तथा एक लाख रुपए से कम के ज़ुर्माने की सज़ा दे सकती है];

(c) धारा 17B के तहत नकली समझी जाने वाली कोई भी औषधि, लेकिन खंड (a) में निर्दिष्ट औषधि नहीं होने पर कारावास से दंडनीय होगा, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। ज़ुर्माना जो तीन लाख रुपए या जब्त की गई औषधियों के मूल्य का तीन गुना नहीं होगा, जो भी अधिक हो, देय होगा]:

परंतु न्यायालय, फैसले में दर्ज किये जाने वाले किसी भी पर्याप्त और विशेष कारणों से, सात वर्ष से कम लेकिन न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि के लिये कारावास की सज़ा और एक लाख रुपये से कम का ज़ुर्माने से दंडित कर सकती है;

किसी औषधि का, जो खंड (a) या खंड (b) या खंड (c) में विनिर्दिष्ट औषधिसे भिन्न है, इस अध्याय या उसके अधीन बनाए गए किसी नियम के किसी अन्य उपबंध के उल्लंघन में विक्रयार्थ या वितरणार्थ विनिर्माण करेगा या विक्रय करेगा या स्टाक रखेगा या विक्रय के लिये प्रदर्शित करेगा या प्रस्थापित करेगा या वितरण करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष से कम न होगी किंतु जो दो वर्ष की हो सकेगी, [और ज़ुर्माने से जो बीस हज़ार रुपए से कम का न होगा] दंडनीय होगा: