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सिविल कानून
स्थावर संपत्ति का शीर्षक
« »24-Nov-2023
शकील अहमद बनाम सैयद अखलाक हुसैन "स्थावर संपत्तियों के मामलों में बिक्री समझौते के आधार पर या जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (General Power of Attorney) के आधार पर कोई शीर्षक अंतरित नहीं किया जा सकता है"। जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश बिंदल: |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शकील अहमद बनाम सैयद अखलाक हुसैन के मामले में उच्चतम न्यायालय ने माना है कि स्थावर संपत्तियों के मामलों में बिक्री समझौते के आधार पर या जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर कोई शीर्षक अंतरित नहीं किया जा सकता है।
शकील अहमद बनाम सैयद अखलाक हुसैन मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- इस मामले में अपीलकर्त्ता प्रश्नगत संपत्ति के संबंध में प्रतिवादी द्वारा शुरू किये गए कब्ज़े और मध्यवर्ती लाभ (Mesne profit) के मुकदमे में प्रतिवादी है।
- मध्यवर्ती लाभ/मेस्ने प्रॉफिट वे लाभ हैं जो ऐसी संपत्ति पर गलत तरीके से कब्ज़ा करने वाले व्यक्ति को वास्तव में प्राप्त हुए हैं या साधारण परिश्रम से प्राप्त हो सकते हैं।
- मुकदमा एक पावर ऑफ अटॉर्नी, एक बिक्री समझौते, एक शपथपत्र और प्रतिवादी के पक्ष में निष्पादित वसीयत के आधार पर दायर किया गया था।
- अपीलकर्त्ता का संपत्ति पर कब्ज़ा था क्योंकि उसने इसे अपने भाई से उपहार के रूप में प्राप्त किया था और मुकदमा कई आधारों पर लड़ा गया था।
- अपीलकर्त्ता के पक्ष में कब्ज़े और मध्यवर्ती लाभ के लिये मुकदमे का फैसला सुनाया गया था।
- इसके बाद अपीलकर्त्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन उसकी अपील खारिज़ कर दी गई।
- इसके बाद SC के समक्ष अपील दायर की गई।
- अपील को स्वीकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि अपंजीकृत बिक्री समझौते के आधार पर या अपंजीकृत जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर स्थावर संपत्तियों के संबंध में कोई भी शीर्षक अंतरित नहीं किया जा सकता है।
- न्यायालय ने आगे कहा कि भले ही ये दस्तावेज़ पंजीकृत किये गए हों, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि प्रतिवादी ने प्रश्न में संपत्ति पर अधिकार हासिल कर लिया होगा। अधिक से अधिक, पंजीकृत बिक्री समझौते के आधार पर वह उचित कार्यवाही में विशिष्ट प्रदर्शन की राहत का दावा कर सकता था। इस संबंध में रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 और 49 तथा संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (TPA) की धारा 54 का संदर्भ लिया जा सकता है।
- न्यायालय ने आगे कहा कि कानून इतनी अच्छी तरह से स्थापित है कि स्थावर संपत्ति में कोई भी अधिकार, शीर्षक या हित पंजीकृत दस्तावेज़ के बिना प्रदान नहीं किया जा सकता है।
इसमें कौन-से प्रासंगिक विधिक प्रावधान शामिल हैं?
रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17:
- निम्नलिखित दस्तावेज़ों की रजिस्ट्री करनी होगी यदि वह संपत्ति, जिससे उनका संबंध है, उस ज़िले में स्थित है और यदि उन दस्तावेज़ों को उस तारीख को या के पश्चात् निष्पादित किया गया है, जिसको, 1864 का एक्ट संख्यांक 16 या इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1866 (1866 का 20) या इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1871 (1871 का 8) या इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1877 (1877 का 3) या यह अधिनियम प्रवर्तन में आया या लागू हुआ, अर्थात्-
(a) स्थावर संपत्ति के दान की लिखत,
(b) अन्य निर्वसीयती लिखत जिनसे यह तात्पर्पित हो या जिनका प्रवर्तन ऐसा हो कि वे स्थावर संपत्ति पर या स्थावर संपत्ति में एक सौ रुपए या उससे अधिक के मूल्य का कोई अधिकार, हक या हित, चाहे वह निहित, चाहे समाचित हो, चाहे वर्तमान में, चाहे भविष्य में सृष्ट, घोषित, समनुदेशित, परिसीमित या निर्वापित करती हो,
(c) ऐसी निर्वसीयती लिखत, जो ऐसे किसी अधिकार, हक या हित के, सृजन, घोषणा, समनुदेशन, परिसीमा या निर्वापन के लेख, किसी प्रतिफल की प्राप्ति या संदाय अभिस्वीकार करती हो, तथा
(d) वर्षानुवर्ष या एक वर्ष से अधिक की किसी अवधि के लिये, या वार्षिक भाटक को आरक्षित रखने वाले स्थावर संपत्ति के पट्टे,
(e) न्यायालय की किसी डिक्री या आदेश का, या किसी पंचाट का अन्तरण या समनुदेशन करने वाली निर्वसीयती लिखत जबकि ऐसी डिक्की या आदेश, या पंचाट से यह तात्पर्यत हो या उसका प्रवर्तन ऐसा हो कि वह स्थावर संपत्ति पर या स्थावर संपत्ति में एक सौ रुपए या उससे अधिक मूल्य का कोई अधिकार, हक या हित, चाहे वह निहित चाहे समाश्रित हो, चाहे वर्तमान में चाहे भविष्य में, सृष्ट, घोषित, समनुदेशित, परिसीमित या निर्वापित करता हो
परंतु राज्य सरकार किसी भी ज़िले या ज़िले के भाग में निष्पादित किन्हीं भी पट्टों को, जिनके द्वारा अनुदत्त पट्टा-अवधियाँ पाँच वर्ष से अनधिक हैं और जिनके द्वारा आरक्षित वार्षिक भाटक पचास रुपए से अनधिक है शासकीय राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा उपधारा के प्रवर्तन से छूट दे सकेगी।
(1A) ऐसी दस्तावेज़ों की, जिनमें संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (1882 का 4) की धारा 53A के प्रयोजन के लिये किसी स्थावर संपत्ति को प्रतिफलार्थ अन्तरित करने की संविदा अंतर्विष्ट हैं, रजिस्ट्री करनी होगी यदि वे रजिस्ट्रीकरण और अन्य संबंधित विधियाँ (संशोधन) अधिनियम, 2001 के प्रारंभ पर या उसके पश्चात् निष्पादित की गई हैं और यदि ऐसी दस्तावेज़ों की ऐसे प्रारंभ पर या उसके पश्चात् रजिस्ट्री नहीं की जाती है, तो उनका उक्त धारा का 53क के प्रयोजनों के लिये कोई प्रभाव नहीं होगा।।
(2) उपधारा (1) के खण्ड (b) और (c) में की कोई भी बात निम्नलिखित को लागू नहीं होगी-
(i) किसी समझौता विलेख कोः अथवा
(ii) संयुक्त स्टाक कम्पनी में के अंशों से संबंधित किसी भी लिखत को, यद्यपि ऐसी कंपनी की आस्तियाँ सम्पूर्णतः या भागतः स्थावर संपत्ति के रूप में हों, अथवा
(iii) किसी ऐसे डिबेंचर को, जो किसी ऐसी कम्पनी द्वारा पुरोधृत और स्थावर संपत्ति पर या स्थावर संपत्ति में कोई अधिकार, हक या हित वहाँ तक के सिवाय मृष्ट घोषित, समुदेशित, परिसीमित या निर्वाषित न करता हो, जहाँ तक कि वह धारक को उस प्रतिभूति के लिये हकदार हो जो ऐसी रजिस्ट्रीकृत लिखत प्रदान करती हो जिसके द्वारा कंपनी ने अपनी संपूर्ण स्थावर संपत्ति को या उसके किसी भाग को या उसमें के किसी हित को ऐसे डिबेंचरों के धारकों के फायदे के लिये न्यासियों को न्यास पर बंधक रखा है, हस्तांतरित किया है या अन्यया अन्तरित किया है, अथवा
(iv) कोई किसी कंपनी द्वारा पुरोधृत किसी भी डिबेंचर पर किसी भी पृष्ठांकन को या डिबेंचर के अन्तरण को; अथवा
(v) उपधारा (1A) में विनिर्दिष्ट दस्तावेज़ों से भिन्न किसी ऐसी दस्तावेज़ को, जो स्वयं तो स्थावर संपत्ति पर या स्थावर संपत्ति में एक सौ रुपए या उससे अधिक मूल्य का कोई अधिकार, हक या हित सृष्ट, पोषित, समनुदेशित, परिसीमित या निर्वापित नहीं करती, किंतु केवल ऐसी दूसरी दस्तावेज़ को अभिप्राप्त करने का अधिकार सृष्ट करती है, जो निष्पादित की जाने पर कोई ऐसा अधिकार, हक या हित मृष्ट, पोषित, समनुदेशित, परिसीमित या निर्वापित करेगी, अथवा
(vi) किसी न्यायालय की किसी डिक्री या आदेश को जो ऐसी डिक्री या आदेश से भिन्न है, जिसके बारे में यह अभिव्यक्त है कि वह किसी समझौते के आधार पर किया गया है और जो उस संपत्ति से, जो बाद या कार्यवाही की विषयवस्तु है, भिन्न स्वावर संपत्ति को समाविष्ट करता है, अथवा
(vii) सरकार द्वारा स्थावर संपत्ति के किसी भी अनुदान को, अथवा
(viii) किसी राजस्व आफिसर द्वारा किये गए विभाजन की किसी लिखत को, अथवा
(ix) लैंड इम्प्रूवमेंट ऐक्ट, 1871 (1871 का 26) या भूमि अभिवृद्धि उधार अधिनियम, 1883 (1883 का 19) के अधीन उधार अनुदत्त करने वाले किसी आदेश को या सांपार्श्विक प्रतिभूति की किसी लिखत को, अथवा
(x) कृषक उधार अधिनियम, 1884 (1884 का 12) के अधीन उधार अनुदत्त करने वाले किसी आदेश को या उस अधिनियम के अधीन अनुदत्त उधार के प्रति संदाय को प्रतिभूत करने वाली किसी लिखत को, अथवा
[(xa) खैराती विन्यास अधिनियम, 1890 (1890 का 6) के अधीन किसी आदेश को, जो खैराती विन्यासों के किसी कोषपाल में किसी संपत्ति को निहित करता है, या ऐसे किसी कोषपाल को किसी संपत्ति से निर्निहित करता है; अथवा
(xi) बंधक-विलेख पर किसी पृष्ठांकन को जिससे पूरे बंधक धन या उसके किसी भाग का संदाय अभिस्वीकृत किया गया हो और बंधक के अधीन शोध्य धन के संदाय के लिये अन्य किसी रसीद को जब कि रसीद से बंधक का निर्वापन तात्पर्यित न हो; अथवा
(xii) किसी सिविल या राजस्व आफिसर द्वारा लोक नीलाम द्वारा बेची गई किसी संपत्ति के क्रेता को अनुदत्त किसी विक्रय प्रमाणपत्र को।
'स्पष्टीकरण: जिस दस्तावेज़ से यह तात्पर्यित हो या जिसका प्रवर्तन ऐसा हो कि उससे स्थावर संपत्ति के विक्रय की संविदा हो जाती है उसके बारे में इसी तथ्य के कारण कि उसमें किसी अग्रिम धन या पूरे क्रय धन या उसके किसी भाग के संदाय का कथन अंतर्विष्ट है यह न समझा जाएगा कि उसका रजिस्ट्रीकरण अपेक्षित है या कभी भी अपेक्षित था।
(3) पुत्र के दत्तकग्रहण के लिये जो प्राधिकार पहली जनवरी, 1872 के पश्चात् निष्पादित हुए हैं और वसीयत द्वारा प्रदत्त नहीं हैं उनका भी रजिस्ट्रीकरण किया जाएगा।
रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 49:
कोई भी दस्तावेज़ जो धारा 17 द्वारा '[या संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (1882 का खंड 4) के किसी भी उपबंध द्वारा रजिस्ट्रीकृत किये जाने के लिये अपेक्षित है जब तक कि उसका रजिस्ट्रीकरण न हो गया हो,-
(a) उसमें समाविष्ट किसी भी स्थावर संपत्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी;
(b) दत्तकग्रहण की कोई भी शक्ति प्रदत्त करेगी, अथवा
(c) ऐसी संपत्ति पर प्रभाव डालने वाले या ऐसी शक्ति को प्रदत्त करने वाले किसी भी संव्यवहार के साक्ष्य के रूप में ली जाएगीः
'परंतु स्थावर संपत्ति पर प्रभाव डालने वाली और इस अधिनियम या संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (1882 का 4) द्वारा रजिस्ट्रीकृत किये जाने के लिये अपेक्षित अरजिस्ट्रीकृत दस्तावेज़ विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 के अध्याय 2 के अधीन विनिर्दिष्ट पालन के वाद में संविदा के साध्य के तौर पर 3000 या किसी ऐसे सांपार्श्विक संव्यवहार के साक्ष्य के तौर पर, जो रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा लिये जाने के लिये अपेक्षित न हो, ली जा सकेगी ।
TPA की धारा 54:
- यह अनुभाग बिक्री से संबंधित है।
- परिभाषित बिक्री - ‘बिक्री’ को “भुगतान की गई कीमत, या वादा किये गए, या आंशिक भुगतान और आंशिक-वादे के बदले में स्वामित्व के हस्तांतरण” के रूप में परिभाषित किया गया है।
- बिक्री कैसे की गई - ऐसा हस्तांतरण, एक सौ रुपए या उससे अधिक मूल्य की मूर्त स्थावर संपत्ति के मामले में, या प्रत्यावर्तन या अन्य अमूर्त चीज़ के मामले में, केवल एक पंजीकृत साधन द्वारा किया जा सकता है।
- एक सौ रुपए से कम मूल्य की मूर्त अचल संपत्ति के मामले में, ऐसा हस्तांतरण या तो एक पंजीकृत साधन द्वारा या संपत्ति की डिलीवरी द्वारा किया जा सकता है। मूर्त स्थावर संपत्ति की डिलीवरी तब होती है जब विक्रेता खरीदार को, या ऐसे व्यक्ति को, जिसे वह निर्देशित करता है, की संपत्ति पर कब्ज़ा कर लेता है।
- बिक्री के लिये अनुबंध - स्थावर संपत्ति की बिक्री के लिये अनुबंध, एक अनुबंध है कि ऐसी संपत्ति की बिक्री पार्टियों के बीच तय की गई शर्तों पर होगी। यह, अपने आप में, ऐसी संपत्ति में कोई रुचि उत्पन्न नहीं करता है या उस पर कोई शुल्क नहीं लगाता है।