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अंतर्राष्ट्रीय कानून
कतर का मुकदमा
« »05-Jan-2024
डहरा ग्लोबल केस "कतर में अपीलीय न्यायालय द्वारा डहरा ग्लोबल केस में सज़ाएँ कम कर दी गई हैं।" विदेश मंत्रालय (MEA) |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, कतर के एक न्यायालय ने डहरा ग्लोबल केस में 8 भारतीय नौसेना के दिग्गजों की मृत्यु की सज़ा को अलग-अलग जेल की सज़ा में परिवर्तित कर दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने मृत्यु की सज़ा को कम करने की पुष्टि की।
डहरा ग्लोबल केस मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
- 30 अगस्त, 2022:
- दोहा में कतरी इंटेलिजेंस सर्विसेज़ ने भारतीय नौसेना के 8 जवानों को गिरफ्तार किया था।
- 1 मार्च, 2023:
- कतर न्यायालय ने उनकी ज़मानत अर्ज़ी को खारिज़ कर दिया।
- 28 अक्तूबर, 2023:
- कतर की प्रथम दृष्टया न्यायालय ने उन सभी को मृत्यु की सज़ा सुनाई।
- 28 दिसंबर, 2023:
- कतर में अपीलीय न्यायालय ने मृत्यु की सज़ा को जेल की सज़ा में परिवर्तित कर दिया।
अगला कदम क्या हो सकता है?
- अपील:
- भारतीय कानूनी टीम को 8 नौसैनिकों की जेल की सज़ा के खिलाफ अपील करने के लिये कुल 60 दिनों का समय दिया गया।
- संधि का अनुप्रयोग:
- भारत और कतर के बीच सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर एक संधि है जिसे जेल की सज़ा के खिलाफ उपर्युक्त अपील विफल होने पर लागू किया जा सकता है।
भारत और कतर के बीच क्या संधि है?
- संधि पर हस्ताक्षर:
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2 दिसंबर, 2014 को भारत और कतर के बीच सजायाफ्ता व्यक्तियों के हस्तांतरण से संबंधित संधि पर हस्ताक्षर करने को मंज़ूरी दी।
- संधि का उद्देश्य:
- इस संधि के कार्यान्वयन ने कतर में कैद भारतीय कैदियों को, या इसके विपरीत, अपनी सज़ा के शेष हिस्से को काटने के दौरान अपने परिवारों के करीब रहने में सक्षम बनाया।
- इस पर सामाजिक पुनर्एकीकरण के उद्देश्य से हस्ताक्षर किये गये थे।
- कैदियों का प्रत्यावर्तन अधिनियम, 2003:
- वर्ष 2004 से पहले, विदेशी कैदियों को उनकी शेष सज़ा के लिये उनके गृह देश में स्थानांतरित करने की अनुमति देने वाला ऐसा कोई घरेलू कानून नहीं था।
- इसके अलावा, विदेशी न्यायालयों द्वारा दोषी ठहराए गए भारतीय मूल के व्यक्तियों को भारत में अपनी सज़ा पूरी करने के लिये स्थानांतरित करने का कोई प्रावधान नहीं था।
- इस अंतर को दूर करने के लिये, कैदियों का प्रत्यावर्तन अधिनियम, 2003 अधिनियमित किया गया था।
- अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये, भारत के साथ पारस्परिक हित साझा करने वाले देशों के साथ एक संधि/समझौते पर हस्ताक्षर करना आवश्यक था।
- अन्य राष्ट्रों के साथ समान संधि:
- भारत सरकार पहले ही यूनाइटेड किंगडम, मॉरीशस, बुल्गारिया, ब्राज़ील, कंबोडिया, मिस्र, फ्राँस, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, थाईलैंड, तुर्की, इटली, बोस्निया और हर्ज़ेगोविना, इज़राइल, रूस, वियतनाम और ऑस्ट्रेलियाकी सरकारों के साथ समझौते कर चुकी है।