उत्तर प्रदेश विधि-विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021
Drishti IAS द्वारा संचालित Drishti Judiciary में आपका स्वागत है









होम / करेंट अफेयर्स

आपराधिक कानून

उत्तर प्रदेश विधि-विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021

    «    »
 07-Sep-2023

जोस पापाचेन और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

उत्तर प्रदेश विधि-विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 4 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के लिये सक्षम व्यक्ति कौन है?”

न्यायमूर्ति शमीम अहमद

स्रोतः इलाहाबाद उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

जोस पापाचेन और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 की धारा 4 के दायरे की व्याख्या की है।

पृष्ठभूमि

  • इस मामले में, अपीलकर्ता जोस पापाचेन और शीजा धर्म से ईसाई हैं, जिन पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदायों के बीच विभिन्न प्रलोभनों द्वारा धर्म परिवर्तन (हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में) में सहायक होने का आरोप लगाया गया था।
  • 24 जनवरी, 2023 को शिकायतकर्ता द्वारा यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करवाई गई थी।
  • शिकायतकर्ता एक राजनीतिक दल का ज़िला मंत्री है।
  • मार्च 2023 में विशेष न्यायाधीश ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी जिसके बाद, उच्च न्यायालय के समक्ष एक अपील दायर की गई थी।
  • फिर इस मामले में, अपील दायर करने की अनुमति दी गई और अपीलकर्ताओं को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

  • न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने कहा कि उक्त प्रावधान के आदेश के अनुसार, केवल वह व्यक्ति जिसका धर्म परिवर्तन किया गया है, उसके माता-पिता, भाई, बहन या कोई अन्य व्यक्ति, जो उससे रक्त, विवाह या दत्तक ग्रहण के कारण से संबंधित है, ही इस तरह के धर्मांतरण के आरोप से संबंधित प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करवा सकता है और कोई अन्य व्यक्ति नहीं।
  • न्यायालय ने यह भी कहा कि इस अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, एक पीड़ित व्यक्ति या उसके करीबी रिश्तेदार इस अधिनियम की धारा 3 के तहत केवल अपराध करने का आरोप लगाते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कर सकते हैं। यह धारा धर्म परिवर्तन के साथ-साथ गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव और/या प्रलोभन के माध्यम से इसके प्रयास के साथ-साथ इसके उन्मूलन और साजिश पर भी प्रतिबंध लगाती है।
  • न्यायालय ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता इस अधिनियम की धारा 4 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के लिये सक्षम व्यक्ति नहीं था।

कानूनी प्रावधान

उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021

  • वर्ष 2021 में, उत्तर प्रदेश विधानसभा ने इस अधिनियम को पारित किया, जिसने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 का स्थान लिया, जिसे नवंबर 2020 में प्रख्यापित किया गया था।
  • उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा ने 24 नवंबर, 2020 को अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी जिसके बाद 28 नवंबर, 2020 को राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इसे मंज़ूरी दे दी और हस्ताक्षर किये।
  • यह कानून उत्तर प्रदेश राज्य में लागू है, यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिनियमित एक धर्मांतरण विरोधी कानून है।
  • यह अधिनियम गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी रूपांतरण पर रोक लगाने का प्रावधान करता है।
  • इस अधिनियम की धारा 4 प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराने में सक्षम व्यक्तियों से संबंधित है, इसमें कहा गया है कि -
    • कोई भी पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन या कोई अन्य व्यक्ति जो उससे रक्त, विवाह या गोद लेने के कारण से संबंधित है, ऐसे रूपांतरण की प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कर सकता है जो धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।