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सिविल कानून
अखिल भारतीय बार परीक्षा
« »19-Sep-2024
निलय राय एवं अन्य बनाम भारतीय विधिज्ञ परिषद् “भारतीय विधिज्ञ परिषद् अगले सप्ताह सूचित करेगी कि इस मामले में नियम कब अधिसूचित किये जाएंगे ”। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ भारतीय विधिज्ञ परिषद् के उस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें विधि अंतिम वर्ष के छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में प्रतिभाग करने से रोकने का निर्णय किया गया है।
- उच्चतम न्यायालय ने निलय राय एवं अन्य बनाम भारतीय विधिज्ञ परिषद् मामले में दायर याचिका पर यह टिप्पणी की।
निलय राय एवं अन्य बनाम भारतीय विधिज्ञ परिषद् मामले में दायर याचिका की पृष्ठभूमि क्या थी?
- अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिये पात्रता के संबंध में भारतीय विधिज्ञ परिषद् (BCI) की अधिसूचना को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई है।
- जारी अधिसूचना में अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को आगामी AIBE में पंजीकरण कराने और उपस्थित होने से रोक दिया गया है।
- यह रिट याचिका दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर तथा लॉ सेंटर के 3 वर्षीय B कार्यक्रम के अंतिम वर्ष के 9 विधि के छात्रों द्वारा दायर की गई है।
- याचिकाकर्त्ताओं ने BCI द्वारा जारी अधिसूचना के विरुद्ध निम्नलिखित याचिका दायर की है:
- यह अधिसूचना भारतीय विधिज्ञ परिषद् बनाम बोनी FOI लॉ कॉलेज (2023) में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विपरीत है, जहाँ संविधान पीठ ने कहा था कि:
- विधि अंतिम वर्ष के छात्रों को AIBE में प्रतिभाग करने की अनुमति दी जानी चाहिये (बशर्ते कि वे विधि में डिग्री प्राप्त कर लें)।
- न्यायालय ने इस मामले में BCI को वर्ष में दो बार परीक्षा आयोजित करने का भी निर्देश दिया।
- याचिकाकर्त्ताओं ने आगे तर्क दिया कि अधिसूचना ने उन्हें आगामी AIBE में उपस्थित होने से रोक दिया है, जिससे उनके पेशेवर करियर को आगे बढ़ाने में उनका बहुमूल्य समय बर्बाद होगा।
- यह अधिसूचना स्वेच्छाचारी है क्योंकि इसमें विश्वविद्यालयों द्वारा अपने परीक्षा परिणाम घोषित करने की अलग-अलग समय-सारिणी को अनदेखा किया गया है और इससे उन छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिनके परीक्षा परिणाम घोषित होने में विलंब होता है।
- यह अधिसूचना भारतीय विधिज्ञ परिषद् बनाम बोनी FOI लॉ कॉलेज (2023) में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विपरीत है, जहाँ संविधान पीठ ने कहा था कि:
- याचिकाकर्त्ता द्वारा निम्नलिखित बिंदुओं के लिये राहत मांगी गई है:
- BCI द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द करने के लिये।
- अंतिम सेमेस्टर को आगामी परीक्षा में बैठने की अनुमति देने के लिये।
- अधिसूचना पर अंतरिम रोक।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका पर BCI से प्रतिउत्तर मांगा है।
- BCI ने न्यायालय को सूचित किया है कि वह अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को AIBE परीक्षा देने की अनुमति देने के लिये नियम बना रहा है।
- इस प्रकार, न्यायालय ने कहा कि एक बार नियम बना दिये जाएँ तो मामले में अधिक स्पष्टता होगी।
- इस प्रकार, BCI के उत्तर पर विचार करने के बाद न्यायालय द्वारा इस मामले पर निर्णय किया जाएगा।
What is AIBE क्या है ?
- AIBE को 30 अप्रैल 2010 को आयोजित एक सभा में भारतीय विधिज्ञ परिषद् द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- शैक्षणिक वर्ष 2009-10 से स्नातक करने वाले सभी विधि छात्रों के लिये AIBE परीक्षा अनिवार्य कर दी गई।
- अभ्यर्थी अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 24 के अंतर्गत अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराने के उपरांत ही परीक्षा में शामिल होने के लिये आवेदन कर सकते हैं।
- AIBE का उद्देश्य एवं महत्त्व
- AIBE का एकमात्र उद्देश्य विधिक व्यवसाय एवं अधिवक्ताओं के स्तर में सुधार करना है।
- यह परीक्षा ज्ञान के मूलभूत स्तर का आकलन करती है तथा विश्लेषणात्मक कौशल का आकलन करने के अतिरिक्त विधि के अभ्यास में प्रवेश के लिये न्यूनतम मानदंड निर्धारित करती है।
- परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला सदस्य किसी भी अधिकरण, न्यायालय और प्रशासनिक निकायों में सुनवाई में भाग ले सकता है।
- AIBE उत्तीर्ण करने के बाद अभ्यर्थी को BCI द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस (COP) प्रदान किया जाता है।
AIBE का प्रारूप एवं प्रकृति क्या है?
- प्रारूप
- यह ऑफलाइन मोड में आयोजित किया जाता है
- परीक्षा का प्रारूप बहुविकल्पीय प्रकार का है
- परीक्षा-अवधि साढ़े तीन घंटे की है
- यह एक ओपन बुक परीक्षा है
- यह 50 शहरों में 140 केंद्रों पर आयोजित किया जाता है।
- सामान्य/OBC के लिये उत्तीर्ण प्रतिशत 45% और SC/ST और विकलांग अभ्यर्थियों के लिये 40% है।
- प्रकृति
- यह नामांकन के बाद की परीक्षा है।
- व्यक्तियों को इस वचन पर अनंतिम रूप से नामांकित किया जाता है कि वे नामांकन के 2 वर्ष के अंदर परीक्षा उत्तीर्ण कर लेंगे।
AIBE- XIX के लिये महत्त्वपूर्ण तिथियाँ क्या हैं?
घटनाक्रम |
महत्त्वपूर्ण तिथियाँ |
AIBE के लिये ऑनलाइन पंजीकरण आरंभ |
3rd सितंबर 2024 |
भुगतान प्रारंभ |
3rd सितंबर 2024 |
ऑनलाइन पंजीकरण समाप्त |
25th अक्तूबर 2024 |
ऑनलाइन मोड के माध्यम से भुगतान की अंतिम तिथि |
28th अक्तूबर 2024 |
पंजीकरण फॉर्म में सुधार की अंतिम तिथि |
30th अक्तूबर 2024 |
प्रवेश पत्र ऑनलाइन जारी होने की तिथि |
18th नबंवर 2024 |
परीक्षा तिथि |
24th नबंवर 2024 |
अंतिम वर्ष के विधि छात्रों के लिये अन्य अवसर क्या हैं?
- CLAT PG
- हर साल PSU भर्ती CLAT LLM स्कोर के माध्यम से होती है।
- CLAT PG के माध्यम से भर्ती आयोजित करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ हैं:
- पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (PGCIL)
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL)
- भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)
- ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC)
- ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL)
- नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC)
- उच्चतम न्यायालय लॉ क्लर्क/रिसर्च असिस्टेंट
- भारत का उच्चतम न्यायालय प्रतिवर्ष आधार पर उच्चतम न्यायालय लॉ क्लर्क- रिसर्च असिस्टेंट के पद के लिये रिक्तियों की घोषणा करता है।
- अभ्यर्थी 5 वर्ष या 3 वर्ष की लॉ डिग्री के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत व्यक्ति हो सकता है।
- परीक्षा के तीन चरण हैं:
- भाग I: बहुविकल्पीय प्रश्न
- भाग II: व्यक्तिपरक लिखित परीक्षा
- भाग III: साक्षात्कार
- राजस्थान न्यायिक सेवाएँ
- किसी भी न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रतिभाग करने के लिये यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी ने विधि में डिग्री पूरी कर ली हो।
- हालाँकि, विधि के अंतिम वर्ष का छात्र राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रतिभाग कर सकता है।