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आपराधिक कानून

गर्भावस्था के दौरान ज़मानत

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 03-Dec-2024

सुरभि पुत्री राजू सोनी बनाम महाराष्ट्र राज्य, पीएसओ रेलवे पुलिस स्टेशन गोंदिया, ज़िला गोंदिया के माध्यम से

"जेल में बच्चे को जन्म देने से माँ और बच्चे दोनों पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं, इसलिये मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है।"

न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी फाल्के

स्रोत: बॉम्बे उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी फाल्के की पीठ ने कहा कि गर्भवती महिला को ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिये।

  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सुरभि पुत्री राजू सोनी बनाम महाराष्ट्र राज्य, पीएसओ रेलवे पुलिस स्टेशन गोंदिया, ज़िला गोंदिया के माध्यम से के मामले में यह निर्णय दिया।

सुरभि पुत्री राजू सोनी बनाम महाराष्ट्र राज्य, पीएसओ रेलवे पुलिस स्टेशन गोंदिया, ज़िला गोंदिया के माध्यम से मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • अपराध रजिस्ट्रीकृत कर छापेमारी की गई, जहाँ आवेदक सहित पाँच व्यक्तियों से प्रतिबंधित सामग्री बरामद की गई।
  • मामला यह था कि आवेदक और उसके पति सह-अभियुक्त के साथ 6,64,020 रुपए मूल्य की व्यावसायिक मात्रा में “गांजा” ले जा रहे थे।
  • पंचों की मौजूदगी में तलाशी ली गई और नमूने प्राप्त किये गए।
  • गिरफ्तारी के समय आवेदक दो महीने की गर्भवती थी और अब उसका गर्भ उन्नत अवस्था में है, इसलिये वह स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS अधिनियम) की धारा 20 (b) (ii), 29 और 8 (c) के तहत अपराधों के लिये नियमित ज़मानत चाहती है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायालय ने कहा कि यह पूरी तरह स्थापित है कि आवेदक और उसके पति के पास अन्य सह-अभियुक्तों के साथ प्रतिबंधित सामग्री थी।
  • यह भी पाया गया कि चूँकि गिरफ्तारी की तिथि को आवेदक गर्भवती थी तथा अब उसकी गर्भावस्था काफी बढ़ गई है, इसलिये बच्चे के जन्म के दौरान जटिलताओं की आशंका है।
  • यह माना गया कि जेल के माहौल में गर्भावस्था के दौरान बच्चे को जन्म देने से न केवल आवेदक पर बल्कि बच्चे पर भी प्रभाव पड़ेगा, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
  • जेल में बच्चे को जन्म देने से माँ के साथ-साथ बच्चे पर भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है, इसलिये मानवीय दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
  • इस प्रकार, न्यायालय ने माना कि वर्तमान तथ्यों को देखते हुए आवेदक को अस्थायी ज़मानत पर रिहा करने के आवेदन पर मानवीय आधार पर विचार किया जाना चाहिये।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) के कौन-से प्रावधान ज़मानत का प्रबंध करते हैं?

  • BNSS अध्याय XXXV के अंतर्गत ज़मानत का प्रावधान करता है।

प्रावधान संख्या

इसमें क्या प्रावधान है

संख्या 478

किस मामले में ज़मानत लेनी होगी

संख्या 479

विचाराधीन कैदियों की हिरासत की अधिकतम अवधि

संख्या 480

अज़मानती अपराधों में ज़मानत

संख्या 482

अग्रिम ज़मानत

संख्या 483

उच्च न्यायालय और सत्र न्यायालय की विशेष शक्ति

धारा 478 निम्नलिखित का प्रावधान करती है:

  • किसी व्यक्ति (जो अज़मानती अपराध का आरोपी न हो) को गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया हो तो उसे ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है, बशर्ते वह ज़मानत देने को तैयार हो।
  • यदि व्यक्ति ज़मानत के लिये प्रतिभू (गारंटर या ज़मानत) देने में असमर्थ है, तो अधिकारी या न्यायालय को उसे निजी बॉण्ड (न्यायालय में उपस्थित होने के वचन) पर रिहा करना होगा।
  • यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तारी के एक सप्ताह के भीतर ज़मानत बॉण्ड प्रस्तुत नहीं कर पाता है, तो यह माना जाता है कि वह निर्धन है (वह ज़मानत बॉण्ड वहन करने में असमर्थ है)।
  • ये प्रावधान विशिष्ट अन्य कानूनी धाराओं (जैसे, धारा 135 की उप-धारा (3) या धारा 492) को प्रभावित नहीं करते हैं।
  • यदि कोई व्यक्ति ज़मानत की शर्तों का पालन करने में विफल रहता है (जैसे आवश्यकतानुसार न्यायालय में उपस्थित होना), तो न्यायालय भविष्य में उसी मामले में उसे ज़मानत देने से इनकार कर सकता है।
  • यदि ज़मानत देने से इनकार कर दिया जाता है, तो भी न्यायालय ज़मानत बॉण्ड की शर्तों को तोड़ने के लिये दंड लागू कर सकता है (धारा 491 के तहत)।

धारा 480 में निम्नलिखित प्रावधान है

  • किसी अज़मानती अपराध के अभियुक्त या संदिग्ध व्यक्ति को ज़मानत पर रिहा नहीं किया जा सकता, यदि:
      • इस अपराध के लिये मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है, तथा यह मानने के लिये उचित आधार मौजूद हैं कि वे दोषी हैं।
      • अपराध संज्ञेय है, तथा व्यक्ति पर पहले भी निम्नलिखित आरोप दर्ज हैं:
        • ऐसा अपराध जिसके लिये मृत्युदंड, आजीवन कारावास या 7 वर्ष या उससे अधिक कारावास की सज़ा हो।
        • दो या अधिक अपराधों के लिये 3-7 वर्ष तक कारावास का दंड।
    • न्यायालय ऐसे व्यक्तियों को ज़मानत दे सकता है यदि:
      • वे एक बच्चा, एक महिला, या कोई बीमार या दुर्बल व्यक्ति हो सकते हैं।
      • एक और विशेष कारण है जो ज़मानत देना उचित और न्यायसंगत बनाता है।
    • किसी व्यक्ति को ज़मानत देने से केवल इसलिये इनकार नहीं किया जा सकता कि जाँच के दौरान उसे साक्षी की पहचान के लिये या 15 दिनों से अधिक समय तक पुलिस हिरासत में रखने की आवश्यकता हो सकती है, बशर्ते कि वह न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिये सहमत हो।
    • यदि अपराध मृत्युदंड, आजीवन कारावास या 7 वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दंडनीय है, तो न्यायालय को ज़मानत देने से पहले सरकारी अभियोजक को अपना पक्ष रखने का अवसर देना चाहिये।

क्या जमानत देते समय गर्भावस्था को ध्यान में रखा जाता है?

  • गर्भावस्था एक ऐसा कारक है जिस पर किसी महिला को ज़मानत देते समय विचार किया जाना चाहिये।
  • जेल में प्रसव कराने से माँ और बच्चे पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं और उनके शिशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा करने की आवश्यकता है।
  • न्यायालयों ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर विचार किया है कि कैदी को आवश्यक चिकित्सीय देखभाल उपलब्ध हो।
  • न्यायालयों ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर विचार किया है कि कैदी अपनी शारीरिक और मानसिक भलाई बनाए रख सके।
  • न्यायालयों ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर विचार किया है कि कैदी अपने नवजात शिशु के लिये पोषणयुक्त वातावरण उपलब्ध करा सके।

गर्भावस्था के दौरान ज़मानत पर महत्त्वपूर्ण निर्णयज विधि क्या हैं?

आर.डी. उपाध्याय बनाम आंध्र प्रदेश राज्य एवं अन्य (2007):

  • न्यायालय ने इस मामले में निम्नलिखित आदेश दिये:
    • गर्भवती कैदियों के लिये अस्थायी रिहाई:
      • गर्भवती कैदियों को अस्थायी रूप से रिहा किया जाना चाहिये (पैरोल या निलम्बित सज़ा पर) ताकि वे जेल के बाहर बच्चे को जन्म दे सकें, यदि उनके पास उपयुक्त विकल्प हो।
      • यह सुविधा केवल असाधारण मामलों में ही अस्वीकार की जा सकती है, जैसे उच्च सुरक्षा जोखिम या इसी प्रकार की गंभीर परिस्थितियाँ।
    • जन्म रजिस्ट्रीकरण:
      • जेल में होने वाले जन्मों को स्थानीय जन्म रजिस्ट्रीकरण कार्यालय में रजिस्ट्रीकृत किया जाना चाहिये।
      • जन्म प्रमाण पत्र में जेल का उल्लेख नहीं होना चाहिये; केवल सामान्य इलाके का पता दर्ज किया जाना चाहिये।
    • बच्चों के नामकरण संस्कार:
      • जहाँ तक ​​संभव हो, जेल में जन्मे बच्चों के नामकरण समारोह आयोजित करने की सुविधा को बाहर रखा जाना चाहिये।