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सिविल कानून

मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत क्षतिपूर्ति

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 01-Aug-2024

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सुनीता वीरेंद्र साहनी

"पिता जो मृतक का द्वितीय श्रेणी का उत्तराधिकारी है, वह अपने बेटे पर निर्भरता के कारण मोटर वाहन अधिनियम के अधीन क्षतिपूर्ति का दावा करने का अधिकारी है।"

न्यायमूर्ति अरुण पेंडेकर

स्रोत: बॉम्बे उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सुनीता वीरेंद्र साहनी के मामले में केरल उच्च न्यायालय ने माना है कि निर्भरता के बिना भी बीमा कंपनी का दायित्व समाप्त नहीं होता है तथा यह दावेदारों को दावा याचिका दायर करने से नहीं रोकता है।

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सुनीता वीरेंद्र साहनी मामले की क्या पृष्ठभूमि थी?

  • इस मामले में एक व्यक्ति सड़क पार कर रहा था, जिसे ऑटो रिक्शा ने टक्कर मार दी और उसकी मृत्यु हो गई।
  • मृतक (प्रतिवादी) के माता-पिता, पत्नी एवं बेटी ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) के समक्ष दावा दायर किया।
  • मृतक की आय सिद्ध नहीं हुई, लेकिन यह दलील दी गई कि मृतक एक कुशल श्रमिक था तथा उसकी आय 6,000 रुपए थी।
  • प्रतिवादी ने तर्क दिया कि मृतक के माता-पिता का दावा स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि वे एक गाँव में अलग-अलग रहते थे तथा इसलिये, वे मृतक के आश्रितों के रूप में दावा नहीं कर सकते।
  • हालाँकि MACT ने प्रतिवादी के पक्ष में आदेश पारित किया तथा 14,14,000 रुपए की क्षतिपूर्ति निर्धारित की।
  • MACT के निर्णय से व्यथित वादी ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की।

न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ थीं?

  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों का अवलोकन किया तथा निष्कर्ष निकाला कि आश्रितता की अनुपस्थिति में भी मृतक के अधीन दावा करने वाले व्यक्ति का क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार समाप्त नहीं होता।
  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि आश्रितता के बिना भी बीमा कंपनी की देयता समाप्त नहीं होती तथा दावेदारों को दावा याचिका दायर करने से नहीं रोकती।
  • उच्च न्यायालय ने माना कि माता-पिता बेटे के आश्रित हैं, चाहे वे साथ रहते हों या अलग-अलग।
  • इसलिये, वर्तमान मामले में याचिकाकर्त्ता द्वारा वादी द्वारा की गई दलील को खारिज कर दिया गया तथा बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि सभी दावेदार क्षतिपूर्ति के अधिकारी हैं और MACT के निर्णय की पुष्टि की।

निर्णयज विधियाँ:

  • मोंटफोर्ड ब्रदर्स ऑफ सेंट गेब्रियल एवं अन्य बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2014): इस मामले में यह माना गया कि मृतक का प्रत्येक विधिक प्रतिनिधि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MV) के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का दावा करने का अधिकारी है।

मोटर वाहन अधिनियम का उद्देश्य:

  • सड़क सुरक्षा।
  • कुशल परिवहन।
  • सड़क उपयोगकर्त्ताओं के अधिकारों का संरक्षण।
  • यह अधिनियम यातायात विनियमन, वाहन मानकों, लाइसेंसिंग एवं उल्लंघन के लिये दण्ड हेतु एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है।

मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत विधिक प्रतिनिधि कौन हैं?

  • मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के खंड (1) के अनुसार निम्नलिखित दावेदार एवं विधिक प्रतिनिधि हो सकते हैं:
    • उसे चोट लगी है।
    • वह संपत्ति का स्वामी है।
    • वह मोटर दुर्घटना में मरने वाले व्यक्ति का विधिक प्रतिनिधि है।
    • वह घायल व्यक्ति या मृतक के विधिक प्रतिनिधियों द्वारा अधिकृत अभिकर्त्ता (एजेंट) है।

दावा अधिकरणों के समक्ष दावा करने के लिये आवश्यक शर्तें क्या हैं?

  • धारा 165, खंड (1) के अनुसार दावा अधिकरणों के समक्ष क्षतिपूर्ति का दावा करने के लिये निम्नलिखित परिस्थितियों का होना आवश्यक है:
    • जब दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु या शारीरिक चोट शामिल हो।
    • जब दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी तीसरे पक्ष की संपत्ति की हानि हो।
    • जब ऐसी दुर्घटनाएँ मोटर वाहनों के उपयोग से उत्पन्न होती हैं।