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बौद्धिक संपदा अधिकार

फ़िल्म के गीत के अधिकार के विषय में संगीतकार की भूमिका

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 03-Feb-2025

सारेगामा इंडिया लिमिटेड बनाम वेल्स फिल्म इंटरनेशनल लिमिटेड और अन्य ।  

“सिनेमैटोग्राफ फिल्म का कॉपीराइट फिल्म के निर्माता के पास होता है, जिसमें सिनेमैटोग्राफ फिल्म का साउंडट्रैक भी शामिल है”| 

न्यायमूर्ति मिनी पुष्करना  

स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय   

चर्चा में क्यों?  

  • न्यायमूर्ति मिनी पुष्करना की पीठ ने अभिनिर्धारित किया कि सिनेमैटोग्राफ फिल्म, जिसमें फिल्म का साउंडट्रैक भी शामिल है, का कॉपीराइट फिल्म के निर्माता के पास निहित है ।             
  • दिल्ली उच्च न्यायालय नेसारेगामा इंडिया लिमिटेड बनाम वेल्स फिल्म इंटरनेशनल लिमिटेड एवं अन्य (2025) मामले में यह निर्णय दिया ।  

सारेगामा इंडिया लिमिटेड बनाम वेल्स फिल्म इंटरनेशनल लिमिटेड मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?  

  • वादी, साउंड रिकॉर्डिंग और साहित्यिक, संगीतमय और नाटकीय कार्यों में कॉपीराइट प्राप्त करने के साथ-साथ विभिन्न माध्यमों से उनका वितरण, विक्रय और प्रयोग करने में लगा हुआ है ।  
  • वादी को पहले “द ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड” के नाम से जाना जाता था तथा इसे “एच.एम.वी.” (हिज मास्टर्स वॉयस) के नाम से भी जाना जाता था ।  
  • वादी संगीत मनोरंजन उद्योग में काम करता है तथा उसने अनेक ध्वनि रिकॉर्डिंग्स का निर्माण या अधिग्रहण किया है, साथ ही उनमें विभिन्न संगीतमय और नाटकीय कृतियाँ भी शामिल हैं ।  
  • वादी के पास तमिल और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में कार्य सहित फिल्म और गैर-फिल्मी संगीत की एक विस्तृत सूची है और उसने अपने कार्य के प्रयोग के लिये तीसरे पक्ष के साथ लाइसेंसिंग करार किया है ।  
  • 25 फरवरी 1980 को, सिनेमैटोग्राफ फिल्म  मूडू पानी के निर्माता, राजा सिने आर्ट्स ने वादी (तत्कालीन द ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड) के साथ वादी के अभिकर्त्ता सरस्वती स्टोर्स के माध्यम से एक करार किया ।  
  • इस करार के अनुसार, वादी फिल्म  मूडू पानी के ध्वनि रिकॉर्डिंग, संगीत और साहित्यिक कार्यों में कॉपीराइट का स्वामी है, जिसमें  एन इनिया पोन निलावे  गीत भी शामिल है ।  
  • 9 जनवरी 2025 को, वादी ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फिल्म अगाथिया का एक टीज़र देखा, जहाँ प्रतिवादी 1 और 2 ने 10 जनवरी 2025 को एक ध्वनि रिकॉर्डिंग जारी करने की घोषणा की, जिसे  एन इनिया पोन निलावे  गीत का “पुनर्सृजन” बताया गया ।  
  • इसकी जानकारी होने पर, वादी ने प्रतिवादी 1 और 2 को 10 जनवरी 2025 को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें वादी के कॉपीराइट कार्यों का प्रयोग बंद करने और उल्लंघनकारी गीत को प्रकाशित करने से विरत रहने का निर्देश दिया गया ।  
  • विधिक नोटिस प्राप्त करने के पश्चात् भी, प्रतिवादी सं. 1 और 2 ने कथित रूप से उल्लंघनकारी गीत को विभिन्न स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों पर प्रकाशित किया ।  
  • 11 जनवरी 2025 को, प्रतिवादी सं 1 ने ई-मेल के माध्यम से विधिक नोटिस का प्रत्युत्तर दिया, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने प्रतिवादी सं 3 से मूल गीत एन इनिया पोन निलावे को अनुकूलित, रिकॉर्ड / पुनःसृजित और सिंक्रनाइज़ करने का लाइसेंस प्राप्त किया था, जिसे उन्होंने गीत और इसके अंतर्निहित कार्यों में कॉपीराइट का स्वामी होने का दावा किया था ।  
  • परिणामस्वरूप, वादी ने प्रतिवादियों पर गीत के कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए वर्तमान वाद संस्थित किया है ।  

न्यायालय की टिप्पणियां क्या थीं?   

  • कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 14 परिभाषित करती है कि ‘कॉपीराइट का गठन कैसे होगा’? 
  • न्यायालय ने प्रेक्षित किया कि कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 13 (4) में यह प्रावधान है कि किसी सिनेमैटोग्राफ फिल्म या रिकॉर्ड में कॉपीराइट किसी ऐसे कार्य में पृथक् कॉपीराइट को प्रभावित नहीं करेगा जिसके संबंध में, या जिसका कोई सारभूत भाग, फिल्म, जैसा भी मामला हो, रिकॉर्ड है ।  
  • आगे यह भी पुनः अभिकथित किया गया कि कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की योजना के अधीन सिनेमैटोग्राफ फिल्म का कॉपीराइट फिल्म के निर्माता के पास निहित होता है, जिसमें सिनेमैटोग्राफ फिल्म का साउंडट्रैक भी शामिल है ।  
  • इस प्रकार, कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 17 के अनुसार, किसी सिनेमैटोग्राफ फिल्म या साउंड रिकॉर्डिंग का निर्माता, साउंड रिकॉर्डिंग, साहित्यिक कार्यों, संगीत कार्यों और अन्य कार्यों में कॉपीराइट का पहला स्वामी होता है, जो उक्त सिनेमैटोग्राफ फिल्म का भाग बनते हैं ।  
  • इसके अतिरिक्त, यह प्रेक्षित किया गया कि धारा 17 में परंतुक को वर्ष 2012 में संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था । यह सिनेमैटोग्राफिक फिल्म में संगीतकार के अधिकार की रक्षा करता है ।  
  • तद्नुसार, वर्ष 2012 में संशोधन के पश्चात्, यदि संगीतकार, फिल्म के निर्माता के साथ कोई विशिष्ट करार करता है, तो उसके अधिकार सिनेमैटोग्राफ फिल्म के निर्माता को अंतरित किये जाएंगे । यद्यपि, वर्तमान मामला वर्ष 2012 के संशोधन से पूर्व के कार्य से संबंधित है और इसलिये, उक्त संशोधन वर्तमान मामले पर लागू नहीं होता है ।  
  • न्यायालय ने यह भी प्रेक्षित किया कि किसी भी तरह से संगीतकार को उक्त गीत के बोलों पर कॉपीराइट का अधिकारी नहीं माना जा सकता ।  
  • इस प्रकार, न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि गीत का स्वामी वादी (अर्थात् सारेगामा) था और संगीतकार को गीत को सौंपने का कोई अधिकार नहीं था ।  
  • अतः, न्यायालय ने मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए वादी के पक्ष में अनुतोष प्रदान किया | तदनुसार, वादी के पक्ष में निषेधाज्ञा प्रदान की गई ।  

सिनेमैटोग्राफ फिल्म और संगीतमय कृति के ‘लेखक’ कौन हैं?  

  • कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 2 (घ) में ‘लेखक’ की परिभाषा दी गई है ।  
  • इस धारा के अनुसार, किसी  या ध्वनि रिकॉर्डिंग के संबंध में, कृति का निर्माता ही कृति का स्वामी होता है।  
  • कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 17 में यह प्रावधान है कि यदि कोई सिनेमैटोग्राफ फिल्म किसी व्यक्ति के कहने पर प्रतिफल के लिये बनाई जाती है, तो ऐसा व्यक्ति, किसी तत्प्रतिकूल करार के अभाव में, उसमें कॉपीराइट का प्रथम स्वामी होगा ।  
  • इस प्रकार, कॉपीराइट अधिनियम की धारा 17 के अनुसार, किसी सिनेमैटोग्राफ फिल्म या साउंड रिकॉर्डिंग का निर्माता, साउंड रिकॉर्डिंग, साहित्यिक कार्यों, संगीत कार्यों और अन्य कार्यों में कॉपीराइट का प्रथम स्वामी होता है, जो उक्त सिनेमैटोग्राफ फिल्म का भाग बनते हैं ।  
  • इसके अतिरिक्त, कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 13 (4) में यह प्रावधान है कि किसी सिनेमैटोग्राफ फिल्म या साउंड रिकॉर्डिंग में कॉपीराइट किसी ऐसे कार्य में पृथक् कॉपीराइट को प्रभावित नहीं करेगा जिसके संबंध में, या जिसके किसी महत्त्वपूर्ण भाग के संबंध में, फिल्म या, जैसा भी मामला हो, साउंड रिकॉर्डिंग बनाई गई हो ।  
  • अतः, गीत के संगीतकार के अधिकार को कॉपीराइट अधिनियम की धारा 13(4) और 14(1) के अधीन, सिनेमैटोग्राफ फिल्म के भाग से भिन्न, सुरक्षित रखा जाएगा | 
  • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2012 में धारा 17 में एक परंतुक जोड़ा गया, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि सिनेमैटोग्राफिक फिल्म में शामिल किसी कार्य के मामले में ‘लेखक’ के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे ।  
  • संशोधन का परिणाम यह है कि यदि संगीतकार, फिल्म के निर्माता के साथ विशिष्ट करार करता है, तो उसके अधिकार सिनेमैटोग्राफ फिल्म के निर्माता को अंतरित किये जाएंगे ।  

इस मुद्दे पर ऐतिहासिक निर्णय क्या हैं?  

  • इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड बनाम ईस्टर्न इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन और अन्य (1977)  
    • न्यायालय ने इस मामले में अभिनिर्धारित किया कि किसी सिनेमैटोग्राफिक फिल्म का निर्माता किसी संगीतकार को गीत अंतरित करके उसके अधिकार को पराजित कर सकता है ।  
    • यह अभिनिर्धारित किया गया कि जब एक सिनेमैटोग्राफ फिल्म निर्माता अपनी सिनेमैटोग्राफ फिल्म बनाने या संगीत रचना के उद्देश्य से मूल्यवान प्रतिफल के लिये गीत के संगीतकार को नियुक्त करता है, तो फिल्म से संबंधित साउंडट्रैक में शामिल या अवशोषित करने के लिये साउंड को सिनेमैटोग्राफ फिल्म में शामिल किया जाता है ।  
    • ऐसे मामले में, सिनेमैटोग्राफ फिल्म का निर्माता उसमें कॉपीराइट का प्रथम स्वामी बन जाता है तथा इस प्रकार रचित गीत के संगीतकार के पास कोई कॉपीराइट नहीं रहता, जब तक कि गीत के संगीतकार और सिनेमैटोग्राफ फिल्म के निर्माता के बीच तत्प्रतिकूल कोई संविदा न हो ।  
  • म्यूज़िक ब्रॉडकास्ट प्राइवेट लिमिटेड बनाम इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (2011)  
    • इस मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि साहित्यिक कृति और संगीत कृति में कॉपीराइट के प्रथम स्वामी क्रमशः साहित्यिक कृति के लेखक और संगीत कृति के संगीतकार होते हैं ।