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बौद्धिक संपदा अधिकार

प्रतिलिप्यधिकार डिज़ाइन विवाद

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 16-Apr-2025

क्रायोगैस इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड बनाम इनॉक्स इंडिया लिमिटेड और अन्य 

" यह ध्यान में रखा जाना चाहिये कि व्यापक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी विधिक व्यवस्था के अधीन प्रदत्त अधिकार अपने अभिप्रेत उद्देश्य की पूर्ति करें, बिना एक-दूसरे की अधिकारिता में अनुचित रूप से हस्तक्षेप किये।" 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह 

स्रोत: उच्चतम न्यायालय  

चर्चा में क्यों? 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंहकी पीठ ने प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957 की धारा 15 (2) द्वारा उत्पन्न पहेली के समाधान हेतु दो स्तरीय परीक्षण निर्धारित किये 

  • उच्चतमन्यायालय ने क्रायोगैस इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड बनाम इनॉक्स इंडिया लिमिटेड (2025)मामले में यह निर्णय दिया । 

क्रायोगैस इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड बनाम आईनॉक्स इंडिया लिमिटेड (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?  

  • दिनांक 22 अक्टूबर 2024 को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक साझा निर्णय से दो अपीलें उत्पन्न हुई हैं, जो एक प्रतिलिप्यधिकार उल्लंघन विवाद से संबंधित हैं। 
  • यह मामला इनॉक्स इंडिया लिमिटेड (प्रतिवादी) बनाम क्रायोगैस इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड और एलएनजी एक्सप्रेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अपीलकर्त्ता) से संबंधित है, जिसमें क्रायोजेनिक स्टोरेज टैंक और वितरण प्रणालियों से संबंधित कथित बौद्धिक संपदा उल्लंघन का मामला सम्मिलित है। 

  • इनॉक्स द्वारा 24 सितंबर 2018 को एक ट्रेडमार्क वाद दायर किया गया, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ताओं ने एलएनजी सेमी-ट्रेलरों से संबंधित उनके स्वामित्वयुक्त अभियांत्रिकीय रेखाचित्रों एवं साहित्यिक कृतियों में निहित कॉपीराइट का उल्लंघन किया है। 
  • इनॉक्स ने वाद में कॉपीराइट उल्लंघन की घोषणा, प्रतिवादियों पर स्थायी व्यादेश लागू करने, उल्लंघनकारी सामग्रियों के समर्पण (surrender) तथा ₹2 करोड़ की क्षतिपूर्ति की मांग की। 
  • एलएनजी एक्सप्रेस ने सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के आदेश 7 नियम 11 के अधीन वाद को निरस्त करने हेतु एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें यह तर्क दिया गया कि संबंधित रेखाचित्र वास्तव में "डिज़ाइन" की श्रेणी में आते हैं और डिज़ाइंस अधिनियम, 2000 (Designs Act, 2000) के अंतर्गत आते हैं; अतः 50 औद्योगिक प्रतियों के उपरांत वे कॉपीराइट संरक्षण के योग्य नहीं रह जाते 
  • वाणिज्यिक न्यायालय ने 1 अप्रैल 2022 को एलएनजी एक्सप्रेस के आवेदन को स्वीकार कर लिया तथा इनॉक्स की याचिका और अंतरिम व्यादेश के अनुरोध को खारिज कर दिया। 
  • उच्च न्यायालय ने 13 मार्च 2024 को इस आदेश को रद्द कर दिया और मामले को वापस वाणिज्यिक न्यायालय को भेज दिया। 
  • 3 मई 2024 को वाणिज्यिक न्यायालय ने फिर से आईनॉक्स की शिकायत को खारिज कर दिया और उनके अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन को खारिज कर दिया। 
  • उच्च न्यायालय ने अपीलित निर्णय (Impugned Judgment) के माध्यम से वाणिज्यिक न्यायालय के आदेशों को पुनः अपास्त कर दिया, यह कहते हुए कि न्यायालय द्वारा यह उपधारणा करना कि संबंधित रेखाचित्र "डिज़ाइन" हैं, विधिसम्मत नहीं था 
  • उच्च न्यायालय ने मूल वाद को पुनर्स्थापित करते हुए, वाणिज्यिक न्यायालय को निदेश दिया कि वह आठ सप्ताह की अवधि के भीतर अंतरिम व्यादेश याचिका पर निर्णय पारित करे 

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं? 

  • न्यायालय ने निम्नलिखित दो विवाद्यक निर्धारित किये: 
    • यह निर्धारित करने के लिये क्या मापदंड हैं कि कोई कार्य या लेख प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957 (Copyright Act) की धारा 15(2) में निर्धारित सीमा के अंतर्गत आता है, जिससे इसे डिज़ाइन अधिनियम (Designs Act) की धारा 2(घ) के अधीन 'डिज़ाइन' के रूप में वर्गीकृत किया जा सके? 
    • क्या उच्च न्यायालय ने वाणिज्यिक न्यायालय के आदेश को अपास्त करने और इस प्रकार सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के अधीन आवेदन को खारिज करने में गलती की है? 
  • न्यायालय ने सर्वप्रथम प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम के अधीन संरक्षण के लिये लागू विधियों का विश्लेषण किया। 
  • न्यायालय ने कहा कि अधिनियम की धारा 2 (ग) के अंतर्गत 'कलात्मक कार्य' का व्यापक अर्थ है तथा इसे अधिनियम की धारा 14 (ग) के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त है। 
  • तथापि, यदि कलात्मक कार्य को औद्योगिक प्रक्रिया (मैनुअल, मैकेनिकल या रासायनिक) के माध्यम से पुन: प्रस्तुत किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक आकर्षक वस्तु बनती है, तो आकार, विन्यास, पैटर्न, आभूषण या संरचना की विशेषताएं डिज़ाइन अधिनियम की धारा 2 (घ) के अधीन एक 'डिजाइन' का गठन करती हैं। 
  • जबकि एक 'कलात्मक कार्य' प्रतिलिप्यधिकार संरक्षण के लिये योग्य है, इसका वाणिज्यिक या औद्योगिक अनुप्रयोग ('डिज़ाइन') प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम की धारा 15(2) के अधीन सीमाओं के अधीन है।  
  • कलात्मक कार्य से प्राप्त डिज़ाइन को केवल तभी संरक्षण प्राप्त होता है जब वह डिज़ाइन अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हो। 'कलात्मक कार्य' की परिभाषा व्यापक है, जबकि 'डिज़ाइन' विशिष्ट विशेषताओं (आकार, विन्यास, पैटर्न, अलंकरण, या रंग संयोजन) तक सीमित है, जिसका उपयोग औद्योगिक रूप से आकर्षक उत्पाद बनाने के लिये किया जाता है। 
  • प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम के अधीन 'कलात्मक कार्य' के रूप में योग्य न होने वाले कार्यों को स्वचालित रूप से डिज़ाइन अधिनियम के अधीन संरक्षण प्राप्त नहीं होता है। डिज़ाइन अधिनियम के अधीन संरक्षण प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम के अधीन संरक्षण से कम स्थायी है और इसके लिये विशिष्ट मानदंडों को पूर्ण करना आवश्यक है। 
  • न्यायालय यह निर्धारित करने के लिए 'कार्यात्मक उपयोगिता' परीक्षण लागू करते हैं कि कोई कार्य डिजाइन अधिनियम के तहत संरक्षण के लिए योग्य है या नहीं। 
  • इस मामले में न्यायालय ने प्रतिलिप्यधिकार की धारा 15 (2) के कारण उत्पन्न पहेली के समाधान हेतु दो आयामी दृष्टिकोण अपनाया:  
    • क्या विचाराधीन कार्य विशुद्ध रूप से एक 'कलात्मक कार्य' है जो प्रतिलिप्यधिकार के अधीन संरक्षण का हकदार है या क्या यह ऐसे मूल कलात्मक कार्य से प्राप्त एक 'डिज़ाइन' है और प्रतिलिप्यधिकार की धारा 15(2) में भाषा के आधार पर औद्योगिक प्रक्रिया के अधीन है।  
    • यदि ऐसा कोई कार्य प्रतिलिप्यधिकार संरक्षण के लिये योग्य नहीं है, तो 'कार्यात्मक उपयोगिता' का परीक्षण लागू करना होगा जिससे उसके प्रमुख उद्देश्य का निर्धारण किया जा सके, और फिर यह पता लगाया जा सके कि क्या यह डिजाइन अधिनियम के अधीन डिजाइन संरक्षण के लिये योग्य है। 
  • न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह कहना सही था कि मूल कलात्मक कार्य डिजाइन के अर्थ में आएगा या नहीं, इस प्रश्न का उत्तर सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत आवेदन पर निर्णय करते समय नहीं दिया जा सकता। 

डिजाइन क्या है? 

  • डिजाइन अधिनियम की धारा 2 (घ) “डिज़ाइन” शब्द को परिभाषित करती है। 
  • "डिजाइन" से तात्पर्य आकार, विन्यास, पैटर्न, अलंकरण, या रेखाओं या रंगों की संरचना की विशेषताओं से है, जो दो-आयामी या तीन-आयामी रूपों में वस्तुओं पर लागू होती हैं। 
  • इन विशेषताओं को औद्योगिक प्रक्रिया (मैनुअल, मैकेनिकल या रासायनिक) के माध्यम से लागू किया जाना चाहिये और तैयार उत्पाद में दृश्य रूप से आकर्षक होना चाहिये 
  • परिभाषा में स्पष्ट रूप से निम्नलिखित को सम्मिलित नहीं किया गया है: 
    • निर्माण का कोई भी तरीका या सिद्धांत 
    • कोई भी वस्तु जो मूलतः यांत्रिक उपकरण है 
    • व्यापार और व्यापारिक चिह्न अधिनियम, 1958 के अधीन परिभाषित ट्रेडमार्क 
    • भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 479 में परिभाषित संपत्ति चिह्न 
    • प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम की धारा 2(ग) में परिभाषित कलात्मक कार्य। 

कौन सा प्रावधान डिज़ाइन और कॉपीराइट के बीच परस्पर क्रिया का प्रावधान करता है? 

  • धारा 15 (1) में उपबंध है कि डिज़ाइन अधिनियम, 2000 के अधीन पंजीकृत किसी भी डिज़ाइन में प्रतिलिप्यधिकार सुरक्षा मौजूद नहीं है। 
  • धारा 15 (2) में यह उपबंध है कि डिजाइन अधिनियम के अधीन पंजीकृत होने योग्य किंतु अपंजीकृत डिजाइनों के लिये, प्रतिलिप्यधिकार संरक्षण तब समाप्त हो जाता है जब उस डिजाइन को सम्मिलित करने वाले किसी भी लेख कोप्रतिलिप्यधिकार स्वामी या किसी लाइसेंस प्राप्त व्यक्ति द्वारा औद्योगिक प्रक्रिया के माध्यम सेपचास से अधिक बार पुन: प्रस्तुत किया गया हो।