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सिविल कानून

पट्टाकृत अधिकारों का सृजन

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 18-Mar-2025

दिल्ली विकास प्राधिकरण बनाम एस.जी.जी. टावर्स (पी) लिमिटेड और अन्य 

"यह एक स्वीकृत स्थिति है कि अपीलार्थी द्वारा मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन के पक्ष में कभी भी पट्टा निष्पादित नहीं किया गया था, और उक्त भूखण्ड के संबंध में मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन के पक्ष में कोई अधिकार, हक़ और हित नहीं बनाया गया था।" 

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान 

स्रोत: उच्चतम न्यायालय  

चर्चा में क्यों? 

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने पट्टा करार के प्रावधानों का निर्वचन करते हुए धारित किया कि पट्टा करार से पट्टाकृत अधिकारों का सृजन  नहीं होता, जब तक कि पट्टा विलेख निष्पादित और रजिस्ट्रीकृत न हो जाए। 

  • उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण बनाम एस.जी.जी. टावर्स (प्रा.) लिमिटेड एवं अन्य (2025) के मामले में यह धारित किया 

दिल्ली विकास प्राधिकरण बनाम एस.जी.जी. टावर्स (पी) लिमिटेड एवं अन्य (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • 17 जुलाई 1957 को, दिल्ली विकास प्राधिकरण, जिसे पहले दिल्ली सुधार न्यास के नाम से जाना जाता था, ने मैसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन एंड इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में, औद्योगिक क्षेत्र योजना, नजफगढ़ रोड, नई दिल्ली में स्थित 2044.4 वर्ग गज के प्लॉट नंबर 3 के लिये एक पट्टा करार किया। 
  • 25 नवंबर 1972 को मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन ने मेसर्स प्योर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड को प्लॉट बेचने के लिये एक करार किया। तत्पश्चात्, 15 फरवरी 1985 को मेसर्स प्योर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में एक रजिस्ट्रीकृत विक्रय  विलेख-सहित-सौंपना निष्पादित किया गया। 
  •  निष्पादन कार्यवाही (कंपनी एक्स 8 ऑफ 1981) में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 फरवरी 1985 के एक आदेश द्वारा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को उप-पंजीयक, दिल्ली के कार्यालय में रजिस्ट्रीकरण के लिये विक्रय विलेख जमा करने का निदेश दिया।  
  • मेसर्स प्योर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड अंततः परिसमापन में चला गया, और दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष परिसमापन कार्यवाही के भाग के रूप में 24 अगस्त 2000 को भूखण्ड की नीलामी की गई। नीलामी 9 जून 2000 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जारी विक्रय की उद्घोषणा के नोटिस अनुवर्ती में संचालित की गई थी। 
  • 7 दिसंबर 2000 को, प्रथम प्रतिवादी, जिसने नीलामी में भूखण्ड के लिये सफलतापूर्वक बोली लगाई थी, ने विक्रय  की पुष्टि के लिये आवेदन किया। दिल्ली विकास प्राधिकरण कार्यवाही में उपस्थित हुआ और एक जवाब दाखिल किया, जिसमें तर्क दिया गया कि मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन ने कभी भी भूखण्ड में कोई हित नहीं लिया था, और इसलिये, भूखण्ड को नीलामी में नहीं बेचा जा सकता था। 
  • 19 अक्टूबर 2001 के एक आदेश द्वारा, दिल्ली उच्च न्यायालय के विद्वान एकल न्यायाधीश ने प्रथम प्रतिवादी द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया और नीलामी विक्रय की पुष्टि की। 
  • इस निर्णय से व्यथित होकर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के समक्ष अपील दायर की। यद्यपि, 21 जनवरी 2010 के एक विवादित निर्णय द्वारा अपील को खारिज कर दिया गया। 

न्यायालय की क्या टिप्पणियां थीं? 

  • दिल्ली इम्प्रूवमेंट न्यास ने 17 जुलाई 1957 को मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन के पक्ष में नजफगढ़ रोड, दिल्ली में एक प्लॉट के लिये पट्टा करार किया था। करार में खण्ड 24 शामिल था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि औपचारिक पट्टा विलेख निष्पादित और रजिस्ट्रीकृत होने तक कोई स्वामित्व या पट्टाकृत अधिकार उत्पन्न नहीं होगा। 
  • पट्टा विलेख कभी निष्पादित नहीं किया गया, फिर भी मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन ने 25 नवंबर 1972 को मेसर्स प्योर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ ₹3,06,700/- में विक्रय करार किया। तत्पश्चात्, 15 फरवरी 1985 को मेसर्स प्योर ड्रिंक्स के पक्ष में विक्रय विलेख निष्पादित किया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने 4 फरवरी 1985 के आदेश में रजिस्ट्रार को विक्रय विलेख रजिस्ट्रीकृत करने का निदेश दिया। 
  • मेसर्स प्योर ड्रिंक्स का परिसमापन हो गया और 24 अगस्त 2000 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के अधीन भूखण्ड की नीलामी की गई। प्रथम प्रतिवादी ने सबसे ऊंची बोली लगाई और दिल्ली उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर 2001 को नीलामी विक्रय की पुष्टि की। 
  • दिल्ली विकास प्राधिकरण ने विक्रय को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन के पास कभी भी स्वामित्व अधिकार नहीं थे। यद्यपि, दिल्ली उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने अपील को खारिज कर दिया। 
  • उच्चतम न्यायालय ने 4 अक्टूबर 2023 के आदेश में संव्यवहार के अधीन देय अनर्जित आय पर स्पष्टता मांगी और प्रावधानित परिसमापन को वित्तीय विवरण प्रदान करने का निदेश दिया। यह पता चला कि नीलामी विक्रय से प्राप्त धन को सावधि जमा में निवेश किया गया था, किंतु कंपनी के विरुद्ध कुल लंबित दावे ₹60.66 करोड़ से अधिक थे, जबकि उपलब्ध धन केवल ₹10 करोड़ था। 
  • उच्चतम न्यायालय ने फिर से पुष्टि की कि चूंकि पट्टा कभी निष्पादित नहीं हुआ, इसलिये मेसर्स मेहता कंस्ट्रक्शन ने कभी स्वामित्व अधिकार अर्जित नहीं किया, और न ही मेसर्स प्योर ड्रिंक्स या प्रथम प्रतिवादी ने। प्रथम प्रतिवादी ने केवल पट्टा करार के अधीन अधिकार अर्जित किये, यदि कोई हो, परंतु स्वामित्व या पट्टाकृत अधिकार नहीं। 
  • उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने सही ढंग से निर्णय दिया था कि नीलामी भूखण्ड का विक्रय नहीं था और दिल्ली विकास प्राधिकरण को कब्जे या अनर्जित आय की वसूली के लिये उचित उपाय करने की अनुमति दी थी। 
  • उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि यदि प्रथम प्रतिवादी संव्यवहार को नियमित करना चाहता है, तो वह अनर्जित आय या किसी अन्य राशि के भुगतान के लिये दिल्ली विकास प्राधिकरण से आवेदन कर सकता है, जिस पर दिल्ली विकास प्राधिकरण विधि  के अनुसार विचार करेगा। 
  • मामले का समापन करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने विवादित निर्णयों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं पाया और अपील को खारिज कर दिया। 

पट्टा करार क्या है? 

  • इसके बारे में: 
    • संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (संपत्ति अंतरण अधिनियम ) की धारा 105 के अधीन, स्थावर  संपत्ति का पट्टा ऐसी संपत्ति का उपभोग करने के अधिकार का ऐसा अंतरण  है, जो एक अभिव्यक्त या विवक्षित समय के लिये शाश्वतकाल के लिये किया जाता है। 
    • संपत्ति अंतरण अधिनियम  की धारा 105 के अधीन प्रतिफल और कालावधि: 
    • किसी कीमत के, जो दी गई हो या जिसे देने का वचन दिया गया हो, अथवा धन, या फसलों के अंश या सेवा या किसी मूल्यवान वस्तु के, जो कालावधीय रूप से या विनिर्दिष्ट अवसरों पर अंतरिती द्वारा, जो उस अंतर को ऐसे निबंधनों पर प्रतिगृहीत करता है, अंतरक को की या दी जानी है, प्रतिफल  के रूप में किया गया हो। 
  • पक्ष: 
    •  वह अन्तरक पट्टाकर्त्ता कहलाता है, वह अंतरिती पट्टदार कहलाता है, वह कीमत प्रीमियम कहलाती है और इस प्रकार देय या करणीय धन, अंश, सेवा या अन्य वस्तु भाटक कहलाती है।    
    • संपत्ति अंतरण अधिनियम पट्टाकर्ता और पट्टेदार दोनों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। उदाहरण के लिये, पट्टाकर्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि पट्टेदार को संपत्ति का शांतिपूर्ण कब्ज़ा मिले, तथा पट्टेदार को किराया देना चाहिये और सहमति के अनुसार संपत्ति का रखरखाव करना चाहिये 
  • पट्टों के प्रकार: 
    • पट्टे विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें निश्चित अवधि के लिये पट्टे, कालावधीय रूप से पट्टे और शाश्वतकाल के लिये पट्टे शामिल हैं। 
  • रजिस्ट्रीकरण : 
    • कतिपय मामलों में, स्थानीय विधियों के अनुसार, पट्टे की अवधि और शर्तों के आधार पर, पट्टा करारों को रजिस्ट्रीकृत करने की आवश्यकता हो सकती है। यद्यपि, पट्टे की कालावधि और पट्टे की प्रक्रिया से संबंधित विधि संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 106 और 107 के अंतर्गत उल्लिखित है। 
  • पर्यवसान: 
    • पट्टे का कई शर्तों पर पर्यवसान किया जा सकता है जैसे कि पट्टा अवधि की समाप्ति, किसी भी पक्ष द्वारा शर्तों का उल्लंघन, या परस्पर सम्मति 

पट्टे के सृजन के लिये कौन से विधिक प्रावधान शामिल हैं? 

  • संपत्ति अंतरण अधिनियम  की धारा 106: लिखित संविदा या स्थानीय प्रथा के अभाव में कुछ पट्टों की कालावधि 
    •  तत्प्रतिकूल संविदा या स्थानीय विधि या प्रथा न हो तो कृषि या विनिर्माण के प्रयोजनों के लिये स्थावर संपत्ति का पट्टा ऐसा वर्षानुवर्षी पट्टा समझा जाएगा जो या तो पट्टाकर्ता या पट्टेदार द्वारा छह मास की सूचना द्वारा पर्यवसेय है; और किसी अन्य प्रयोजन के लिये स्थावर संपत्ति का पट्टा मासानुमासी पट्टा समझा जाएगा जो या तो पट्टाकर्ता या पट्टेदार द्वारा पंद्रह दिन की सूचना द्वारा पर्यवसेय है।  
    •  तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, उपधारा (1) में वर्णित कालावधि सूचना की प्राप्ति की तारीख से प्रारंभ होगी।  
    •  जहां कोई वाद या कार्यवाही उपधारा (1) में वर्णित कालावधि के अवसान के पश्चात् फाइल की गई है, वहाँ उस उपधारा के अधीन कोई सूचना केवल इस कारण अविधिमान्य नहीं समझी जाएगी कि उसमें वर्णित कालावधि उक्त उपधारा में विनिर्दिष्ट कालावधि से कम है।  
    •  उपधारा (1) के अधीन प्रत्येक सूचना लेखबद्ध और उसे देने वाले व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से हस्ताक्षरित होगी और उस पक्षकार को जिसे उसके द्वारा आवद्ध करना आशयित है या तो डाक द्वारा भेजी जाएगी या स्वय उस पक्षकार को या उसके कुटुम्बियों या नौकरों में से किसी एक को, उसके निवास पर निविदत्त या परिदत्त की जाएगी, या (यदि ऐसी निविदा या परिदान साध्य नहीं है तो) संपत्ति के किसी सहजदृश्य भाग पर लगा दी जाएगी ।] 
  • संपत्ति अंतरण अधिनियम  की धारा 107: पट्टा कैसे किये जाते है  
    •  स्थावर सम्पत्ति का वर्षानुवर्षी या एक वर्ष से अधिक किसी अवधि का या वार्षिक भाटक आरक्षित करने वाला पट्टण केवल रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा किया जा सकेगा।  
    • '[स्थावर संपत्ति के अन्य सब पट्टे या तो रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा या कब्जे के परिदान सहित मौखिक करार द्वारा किये गए सकेंगे ।]  
    • जहां कि स्थावर संपत्ति का पट्टण रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा किया गया है वहां ऐसी लिखत या जहां कि एक लिखत से अधिक लिखत हैं वहां हर एक लिखत पट्टाकर्ता और पट्टेदार दोनों द्वारा निष्पादित की जाएंगी :]  
    • परन्तु राज्य सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट कर सकेगी कि वर्षानुवर्षी या एक वर्ष से अधिक अवधि के या वार्षिक भाटक आरक्षित करने वाले पट्टों को छोड़कर स्थावर संपत्ति के पट्टे या ऐसे पट्टों का कोई वर्ग अरजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा या कब्जे के परिदान बिना मौखिक करार द्वारा किया जा सकेगा।