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सिविल कानून

आयुध लाइसेंस से इंकार

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 04-Dec-2024

रंजन कुमार मंडल बनाम बिहार राज्य और अन्य

“पटना उच्च न्यायालय: केवल विशिष्ट सुरक्षा खतरे या आसन्न खतरे की कमी के कारण आयुध लाइसेंस देने से इंकार नहीं किया जा सकता।”

न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह

स्रोत: पटना उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

पटना उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि आवेदक को केवल इस आधार पर आयुध लाइसेंस देने से मना नहीं किया जा सकता कि उसे कोई विशेष सुरक्षा खतरा या आसन्न खतरा नहीं है। न्यायालय ने ज़िला मजिस्ट्रेट, खगड़िया और संभागीय आयुक्त, मुंगेर के निर्णयों को खारिज कर दिया, जिन्होंने इस आधार पर याचिकाकर्त्ता के आवेदन को खारिज कर दिया था।

  • पिछले निर्णयों का हवाला देते हुए, न्यायालय ने कहा कि इस तरह के इंकार आयुध नियम, 2016 की मंशा के विपरीत हैं, जो लाइसेंस देने के लिये खतरे की धारणा को पूर्व शर्त के रूप में अनिवार्य नहीं बनाता है।

रंजन कुमार मंडल बनाम बिहार राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • बिहार के खगड़िया में पेट्रोल पंप चलाने वाले पूर्व सैन्यकर्मी रंजन कुमार मंडल ने जनवरी 2013 में आयुध लाइसेंस के लिये  आवेदन किया था। प्रारंभ में उनका आवेदन आशाजनक लगा और स्थानीय उप-विभागीय अधिकारी तथा पुलिस स्टेशन प्रभारी ने उन्हें लाइसेंस देने की अनुशंसा कर दी।
  • इन सिफारिशों के बावजूद, खगड़िया के ज़िला मजिस्ट्रेट ने मार्च 2018 में मंडल के आयुध लाइसेंस आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके जीवन को कोई खतरा नहीं है। जब मंडल ने इस निर्णय के खिलाफ मुंगेर के डिवीजनल कमिश्नर के समक्ष अपील की तो नवंबर 2019 में उनकी अपील भी उन्हीं आधारों पर खारिज कर दी गई।
  • मंडल ने पटना उच्च न्यायालय में रिट मुकदमा दायर किया क्योंकि उनका मानना ​​था कि अस्वीकृति अनुचित थी। उन्होंने तर्क दिया कि खतरे की आशंका होना आयुध लाइसेंस से इंकार करने का एकमात्र मानदंड नहीं होना चाहिये, विशेषकर एक पूर्व सैन्यकर्मी और एक छोटे व्यवसाय के मालिक के रूप में उनकी पृष्ठभूमि को देखते हुए।
  • इस मामले ने बिहार में आयुध लाइसेंस प्रदान करने के मानदंडों के विषय में एक व्यापक कानूनी प्रश्न को उजागर किया, विशेष रूप से यह कि क्या किसी के जीवन को प्रत्यक्ष खतरा न होने पर भी आवेदक को लाइसेंस प्राप्त करने के लिये स्वतः ही अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिये।
  • मुख्य तर्क यह था कि लाइसेंसिंग अधिकारी आवेदक के पेशे, पृष्ठभूमि और व्यक्तिगत सुरक्षा की संभावित आवश्यकता जैसे अन्य प्रासंगिक कारकों पर विचार करने के बजाय केवल खतरे की धारणा पर ध्यान केंद्रित करके आयुध नियम, 2016 की बहुत संकीर्ण व्याख्या कर रहे थे।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

अवलोकन:

  • उच्च न्यायालय ने प्रशासनिक आदेशों का गंभीरतापूर्वक विश्लेषण किया और पाया कि आयुध लाइसेंस को अस्वीकार करना मूल रूप से त्रुटिपूर्ण था, क्योंकि यह केवल किसी विशिष्ट खतरे की आशंका के अभाव पर आधारित था, जो आयुध नियम, 2016 की न्यायिक व्याख्या के विपरीत है।
  • न्यायालय ने व्यापक रूप से पूर्ववर्ती निर्णयों का संदर्भ दिया, विशेष रूप से दीपक कुमार मामले में खंडपीठ के निर्णय का, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि आसन्न खतरे की अनुपस्थिति लाइसेंस अस्वीकृति के लिये स्पष्ट आधार नहीं हो सकती, क्योंकि ऐसा दृष्टिकोण आयुध लाइसेंस प्रावधानों के पीछे विधायी मंशा को मूल रूप से कमज़ोर करेगा।
  • न्यायिक तर्क में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि लाइसेंसिंग प्राधिकारियों को आवेदक की आवश्यकताओं का व्यापक मूल्यांकन करना चाहिये तथा उनके पेशे की प्रकृति, संभावित भेद्यता और तत्काल खतरे के मापदंडों से परे व्यक्तिगत सुरक्षा की वास्तविक आवश्यकता पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिये।
  • आयुध नियम, 2016 के नियम 12(3)(a) की आलोचनात्मक व्याख्या एक अनिवार्य प्रावधान के रूप में की गई, जिसके तहत लाइसेंसिंग प्राधिकारियों को व्यापक पुलिस रिपोर्ट और उनके स्वतंत्र न्यायिक मूल्यांकन के आधार पर आवेदनों का मूल्यांकन करने की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से ऐसे व्यक्तियों के लिये जिनकी व्यावसायिक परिस्थितियों के कारण सुरक्षा हेतु व्यक्तिगत आयुध रखना आवश्यक हो सकता है।
  • न्यायालय ने कहा कि आयुध लाइसेंस का निर्धारण एक सूक्ष्म, बहुआयामी मूल्यांकन के आधार पर किया जाना चाहिये, जिसमें जटिल कारकों पर विचार किया जाना चाहिये,  न कि खतरे की धारणा के एकल मानदंड के आधार पर यांत्रिक अस्वीकृति की जानी चाहिये।
  • न्यायिक व्याख्या में इस बात पर बल दिया गया कि आवेदक की आयुध की वास्तविक आवश्यकता के विषय में प्राधिकारी को समझाने की मूल क्षमता, उसकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि और संभावित प्रणालीगत जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, लाइसेंस निर्णय में प्राथमिक विचारणीय बिंदु होना चाहिये।

संदर्भित मामला:

  • दीपक कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (2019);
    • एक ऐतिहासिक डिवीजन बेंच के निर्णय (LPA संख्या 758/2018) में स्पष्ट रूप से कहा गया कि विशिष्ट सुरक्षा खतरे की अनुपस्थिति आयुध लाइसेंस आवेदन को खारिज करने का आधार नहीं हो सकती।

आयुध नियम, 2016 की धारा 12 क्या है?

  • धारा 12 कुछ मामलों में लाइसेंसिंग प्राधिकारी के दायित्वों से संबंधित है।
  • उप धारा (1): यह परिचयात्मक खंड इंगित करता है कि लाइसेंसिंग प्राधिकरण को कुछ श्रेणियों में प्रतिबंधित या अनुमेय आयुधों और गोला-बारूद के लिये लाइसेंस प्रदान करते समय विशिष्ट मानदंडों का पालन करना होगा।
  • उप धारा (2): प्रतिबंधित आयुध लाइसेंस देने के मानदंड
  • लाइसेंसिंग प्राधिकारी निम्नलिखित परिस्थितियों में व्यक्तियों के आवेदनों पर विचार कर सकता है:
  • वे व्यक्ति जो गंभीर और प्रत्याशित जीवन खतरों का सामना कर रहे हैं, विशेष रूप से:
    • उच्च उग्रवादी, आतंकवादी या चरमपंथी गतिविधि वाले क्षेत्रों के निवासी।
    • वे व्यक्ति जो उग्रवादियों, आतंकवादियों या चरमपंथियों के मुख्य लक्ष्य हैं।
    • वे व्यक्ति जो उग्रवादी, आतंकवादी या चरमपंथी उद्देश्यों का विरोध करने के कारण खतरे का सामना कर रहे हैं।
  • सरकारी अधिकारी जो:
    • अपने पद या कर्त्तव्य की प्रकृति के कारण प्रत्याशित जोखिमों का सामना करना पड़ता है। 
    • आधिकारिक ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करते समय संभावित जीवन खतरों के संपर्क में आते हैं।
  • संसद या विधान सभा के सदस्य जो:
    • उग्रवाद-विरोधी, आतंकवाद-विरोधी या चरमपंथ-विरोधी सरकारी कार्यक्रमों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।
    • अपने राजनीतिक विचारों या रुख के कारण जोखिम में हैं।
  • ऐसे व्यक्तियों के परिवार के सदस्य या रिश्तेदार जो:
    • अतीत या वर्तमान में ऐसे कर्त्तव्य या पद हैं जो उन्हें जीवन के लिये जोखिम में डालते हैं।
    • ज्ञात या अज्ञात कारणों से असुरक्षित हैं।
  • कोई अन्य व्यक्ति जिसके पास वैध एवं वास्तविक कारण हो, जैसा कि लाइसेंसिंग प्राधिकारी द्वारा विस्तृत आदेश के माध्यम से निर्धारित किया गया हो।
  • महत्त्वपूर्ण शर्त: लाइसेंस देने से पहले, प्राधिकरण को यह करना होगा:
    • ज़िला मजिस्ट्रेट से सिफारिशें प्राप्त करना 
    • राज्य सरकार से परामर्श करना 
    • पुलिस रिपोर्ट की जाँच करना 
    • स्वतंत्र सत्यापन करना 
    • स्वयं को संतुष्ट करें कि आवेदक को वास्तव में लाइसेंस की आवश्यकता है
  • उप-धारा (3): अनुमेय शस्त्र लाइसेंस के लिये मानदंड
  • लाइसेंसिंग प्राधिकारी निम्नलिखित आवेदनों पर विचार कर सकता है:
  • ऐसे व्यक्ति जिनकी वास्तविक आवश्यकता जीवन या संपत्ति की सुरक्षा के लिये है:
    • व्यवसाय की प्रकृति
    • पेशेवर आवश्यकता
    • नौकरी से जुड़े जोखिम
  • समर्पित खिलाड़ी जो:
    • कम से कम दो वर्षों तक किसी लाइसेंस प्राप्त शूटिंग क्लब या राइफल एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य रहे हों।
    • संरचित शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से लक्ष्य अभ्यास को आगे बढ़ाने का प्रयास करना।
  • सेवा पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति, जिनमें शामिल हैं:
    • वर्तमान या पूर्व रक्षा बल कर्मी
    • केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य
    • राज्य पुलिस बल के सदस्य
    • जिन्हें अपने जीवन या संपत्ति की रक्षा करने की वास्तविक आवश्यकता है

भारत में आग्नेयास्त्र लाइसेंस प्राप्त करने की शर्तें क्या हैं?

आग्नेयास्त्रों, गोला-बारूद के अधिग्रहण और कब्जे के लिये लाइसेंस:

  • सामान्य प्रावधान:
    • आयुध अधिनियम 1959 की धारा 3।
    • कोई भी व्यक्ति तब तक कोई आग्नेयास्त्र या गोला-बारूद प्राप्त नहीं करेगा, न ही अपने पास रखेगा और न ही उसे लेकर चलेगा, जब तक कि उसके पास इस अधिनियम तथा संबंधित नियमों के अनुसार जारी वैध लाइसेंस न हो।
      • अपवाद: कोई व्यक्ति लाइसेंस धारक की उपस्थिति में या उसके लिखित प्राधिकार के तहत लाइसेंस की मरम्मत या नवीनीकरण जैसे उद्देश्यों के लिये आग्नेयास्त्र या गोला-बारूद ले जा सकता है।
  • कब्जे पर सीमाएँ:
    • उप धारा (3) में उल्लिखित व्यक्तियों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति किसी भी समय दो से अधिक आग्नेयास्त्र नहीं रखेगा।
      • संक्रमण खण्ड: शस्त्र (संशोधन) अधिनियम, 1983 के लागू होने पर जिन व्यक्तियों के पास तीन से अधिक आग्नेयास्त्र थे, वे तीन आग्नेयास्त्र रख सकते हैं तथा उन्हें अतिरिक्त आग्नेयास्त्रों को 90 दिनों के भीतर जमा करना होगा।
      • आगे के संशोधन: आयुध (संशोधन) अधिनियम, 2019 के लागू होने पर दो से अधिक आग्नेयास्त्र रखने वाले व्यक्ति दो आग्नेयास्त्र रख सकते हैं और उन्हें एक वर्ष के भीतर अतिरिक्त आग्नेयास्त्र जमा करना होगा।
  • अपवाद:
    • उपधारा (2) में निर्धारित सीमाएँ निम्नलिखित पर लागू नहीं होतीं:
      • आग्नेयास्त्रों के डीलर
      • लक्ष्य अभ्यास के लिये विशिष्ट प्रकार की राइफलों का उपयोग करने वाले लाइसेंस प्राप्त या मान्यता प्राप्त राइफल क्लबों या संघों के सदस्य।
  • आग्नेयास्त्र जमा करना:
    • उप धारा (2) के अंतर्गत आग्नेयास्त्रों के जमा करने के संबंध में प्रावधान इस अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के अंतर्गत किये गए किसी भी जमा पर समान रूप से लागू होंगे।

लाइसेंस प्रदान करना (धारा 13):

लाइसेंस देने से इंकार (धारा 14):