होम / करेंट अफेयर्स
सिविल कानून
विधिक बंधक और साम्यिक बंधक के बीच अंतर
« »24-Feb-2025
कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड बनाम सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और अन्य “चूंकि ऐसा बंधक एक ‘साम्यिक बंधक’ है, इसलिये ऐसे बंधकों से प्राप्त होने वाले कोई भी अधिकार केवल व्यक्तिगत प्रकृति के होते हैं और केवल व्यक्तिगत अधिकार (Rights in Personam) होते हैं और इस प्रकार, ये अधिकार किसी अजनबी या बाद के भारग्रस्त (Subsequent Incumbrancer) व्यक्ति के विरुद्ध कार्य नहीं करेंगे।” न्यायमूर्ति जे.बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
न्यायमूर्ति जे.बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि विक्रय के लिये अपंजीकृत करार को जमा करके बनाया गया बंधक, हक़ विलेखों को जमा करके बनाए गए बंधक पर प्रभावी नहीं होगा।
- उच्चतम न्यायालय ने कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड बनाम सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (2025) के मामले में यह निर्णय सुनाया।
कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड बनाम सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- वर्तमान तथ्यों में दो बैंक (बंधक) थे जिन्होंने फ्लैट खरीदने के लिये उधारकर्ताओं को ऋण दिया था।
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (प्रतिवादी संख्या 1) ने एक अपंजीकृत विक्रय करार के आधार पर ऋण दिया, जिसे प्रतिभूति (साम्य बंधक) के रूप में जमा किया गया था।
- कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक (अपीलकर्त्ता) ने भी प्रतिभूति (विधिक बंधक) के रूप में शेयर प्रमाणपत्र (हक़ विलेख) के साथ ऋण प्रदान किया।
- इस मामले में उच्च न्यायालय ने विधिक बंधक की तुलना में साम्यिक बंधक को प्राथमिकता दी।
- अपीलकर्त्ता ने निम्नलिखित आधारों पर निर्णय को चुनौती दी:
- एक साम्यिक बंधक को विधिक बंधक पर प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिये, क्योंकि विधिक बंधक के पास श्रेष्ठ अधिकार होते हैं।
- एक अपंजीकृत विक्रय करार वैध बंधक नहीं बनाता है क्योंकि यह शीर्षक अंतरित नहीं करता है, जिससे बंधक अमान्य हो जाता है।
- इस प्रकार, उच्चतम न्यायालय को इस बात पर विचार करना था कि क्या उच्च न्यायालय ने केवल इसके पूर्व निर्माण के आधार पर साम्यिक बंधक को प्राथमिकता देने में कोई गलती की थी।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- उच्चतम न्यायालय ने निम्नलिखित टिप्पणियाँ कीं:
- विधिक बंधक, साम्यिक बंधक पर प्रबल होता है: उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि एक अपंजीकृत विक्रय करार (साम्यिक बंधक) के जमा द्वारा बनाया गया बंधक, हक़ विलेख (विधिक बंधक) के जमा द्वारा बनाए गए बंधक के अधीन होता है।
- विक्रय के लिये करार द्वारा कोई हित सृजित नहीं होता: संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (TPA) की धारा 54 का हवाला देते हुए, उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि विक्रय के लिये करार से संपत्ति पर कोई हित या भार सृजित नहीं होता है।
- साम्यिक बंधक केवल व्यक्तिगत अधिकार है: न्यायालय ने कहा कि साम्यिक बंधक केवल सम्मिलित पक्षकारों को बांधता है और तीसरे पक्ष या पाश्चिक के बंधकदारों के विरुद्ध प्रवर्तनीय अधिकार का सृजन नहीं करता है।
- संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 78 का अनुप्रयोग: प्रतिवादी बैंक (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया) साम्यिक बंधक के लिये लोक सूचना जारी करने या दस्तावेज़ बनाने में विफल रहा, जिसके कारण प्राथमिकता में इसका स्थगन हुआ।
- विधिक बंधक प्रत्यक्ष भार बनाता है: एक साम्यिक बंधक के विपरीत, एक विधिक बंधक संपत्ति पर प्रत्यक्ष भार सृजित करता है और ऋणदाता को एक मालिकाना हित अंतरित करता है, जिससे यह अधिकार के रूप में प्रवर्तनीय हो जाता है।
- बंधक के लिये आंशिक-विलेखों का जमा होना अपर्याप्त है: आंग्ल विधि के विपरीत, भारतीय विधि (संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 58 (ड.) के अधीन, एक साम्यिक बंधक के लिये पूर्ण हक़ विलेख की आवश्यकता होती है, जब तक कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद वह उपलब्ध न हो।
- अंतिम निर्णय: कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक (अपीलकर्त्ता) द्वारा शेयर प्रमाणपत्रों के जमा के माध्यम से बनाए गए विधिक बंधक को प्राथमिकता दी गई, और साम्यिक बंधक के पक्ष में उच्च न्यायालय के निर्णय को अपास्त कर दिया गया। अपीलकर्त्ता के पक्ष में अपील की अनुमति दी गई।
विधिक बंधक और साम्यिक बंधक के बीच क्या अंतर है?
- साम्यिक बंधक:
- यह तब बनाया जाता है जब बंधक रखने का आशय होता है किंतु संपत्ति पर कोई विधिक भार नहीं सृजित किया जाता है।
- यह अपूर्ण हक़ विलेखों या विक्रय के लिये करार जैसे दस्तावेज़ों को जमा करके सृजित किया जाता है।
- यह व्यक्तिगत रूप से कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह केवल सम्मिलित पक्षकारों को ही बांधता है, तीसरे पक्ष को नहीं।
- हक़ या स्वामित्व का कोई वास्तविक अंतरण नहीं होता, केवल दस्तावेज़ ही ऋणदाता द्वारा रखे जाते हैं।
- प्राथमिकता नियम: पहले के साम्यिक बंधकों को बाद के बंधकों पर प्राथमिकता मिल सकती है, किंतु विधिक बंधक पर नहीं।
- विधिक बंधक:
- यह संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 58(च) के अधीन एक औपचारिक बंधक विलेख या हक़ विलेखों के जमा द्वारा सृजित किया जाता है।
- यह संपत्ति पर प्रत्यक्ष रूप से भार सृजित करता है, जिससे ऋणदाता को संपत्ति के विरुद्ध प्रवर्तनीय अधिकार प्राप्त होता है।
- भले ही कब्ज़ा या स्वामित्व उधारकर्ता के पास रहता है, ऋणदाता व्यतिक्रम के मामले में कब्जे, पुरोबंध या विक्रय के अधिकार बरकरार रखता है।
- यह एक साम्यिक बंधक (Equitable Mortgage) की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, क्योंकि यह एक प्रवर्तनीय मालिकाना हित प्रदान करता है।