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आपराधिक कानून
पहलवान मामले में अंतरिम जमानत
« »19-Jul-2023
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने सांसद और महिला पहलवानों द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह को अंतरिम जमानत दे दी थी।
- राज्य बनाम बृज भूषण सिंह और अन्य के मामले की सुनवाई कर रहे थे ।
पृष्ठभूमि
- दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 354ए (यौन टिप्पणी), 354डी (पीछा करना) और 506(1) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
- बाद में दिल्ली पुलिस की ओर से आरोपियों के खिलाफ नाबालिग के आरोप को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की गयी।
- कथित अपराधों की समयसीमा 2016 और 2019 के बीच है।
- आरोप है कि अपराध डब्ल्यूएफआई कार्यालय, आरोपी के आधिकारिक आवास और विदेश में भी किये गये।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
- सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई (2022) के आदेश पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उन अपराधों पर एक टिप्पणी दी थी जो 7 साल या उससे कम की कैद से दंडनीय हैं।
- अदालत ने कहा कि यदि आरोप पत्र गिरफ्तारी के बिना दायर किया गया है और आरोपी ने पूरी जांच में सहयोग किया है तो उसके आवेदन पर उसे शारीरिक हिरासत में लिये बिना सुना जा सकता है।
- अदालत ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि गिरफ्तारी के साथ आरोप पत्र दायर किया गया है और आरोपियों ने "जांच में सहयोग किया है"।
अंतरिम जमानत
- जमानत का तात्पर्य किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त की अंतिम रिहाई से है जिसमें अदालत ने अभी तक फैसला नहीं सुनाया है।
- उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान राज्य बनाम बालचंद उर्फ बलिया (1978) मामले में "जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है" का सिद्धांत रखा , जो आपराधिक न्याय प्रणाली में जमानत के महत्व को प्रमाणित करता है।
- नियमित या अग्रिम जमानत देने के लिये सुनवाई से पहले आरोपी को दी जाने वाली अल्पकालिक जमानत को अंतरिम जमानत कहा जाता है।
- नियमित जमानत: नियमित जमानत अक्सर उस व्यक्ति को जारी की जाती है जिसे पहले पुलिस द्वारा गिरफ्तार और हिरासत में लिया गया हो। सीआरपीसी की धारा 437 और धारा 439 के तहत आरोपी को ऐसे कारावास से मुक्त होने का अधिकार है। इसलिये, नियमित जमानत का मतलब मुकदमे में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये किसी आरोपी को जेल से रिहा करना है।
- अग्रिम जमानत: अग्रिम जमानत गिरफ्तारी की आशंका वाले आरोपी को दी गई रिहाई है।
- गिरफ्तारी की आशंका वाला व्यक्ति सीआरपीसी, 1973 की धारा 438 के तहत जमानत पर रिहा होने के निर्देश के लिये सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकता है।
- यह अवधारणा निर्दोषता के अनुमान के कानूनी सिद्धांत पर आधारित है।
रद्दीकरण रिपोर्ट
- ऐसी स्थिति हो सकती है जहां पुलिस यह निष्कर्ष निकाल सकती है कि कोई अपराध नहीं किया गया है और रद्दीकरण रिपोर्ट दर्ज कर सकती है।
- जांच पूरी होने पर पुलिस अधिकारी की ऐसी रिपोर्ट दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 173 के तहत दर्ज की जाती है
- मजिस्ट्रेट पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट से सहमत हो सकता है और कार्यवाही बंद करने का निर्णय ले सकता है।