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सिविल कानून
मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत विधिक प्रतिनिधि के लिये प्रावधान
«13-Mar-2025
साधना तोमर एवं अन्य बनाम अशोक कुशवाह एवं अन्य “MV अधिनियम की धारा 166 यह स्पष्ट करती है कि मोटर यान दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु के कारण पीड़ित प्रत्येक विधिक प्रतिनिधि को क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का उपाय होना चाहिये।” न्यायमूर्ति संजय करोल एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में न्यायमूर्ति संजय करोल एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा है कि मोटर यान अधिनियम (MVA) के अंतर्गत विधिक प्रतिनिधि के रूप में मृतक के आश्रित भी शामिल हैं, न कि केवल तटस्थ उत्तराधिकारी।
- उच्चतम न्यायालय ने साधना तोमर एवं अन्य बनाम अशोक कुशवाह एवं अन्य (2025) मामले में यह निर्णय दिया।
साधना तोमर एवं अन्य बनाम अशोक कुशवाह एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- 25 सितंबर 2016 को धीरज सिंह तोमर (24 वर्ष) अन्य यात्रियों के साथ एक ऑटो-रिक्शा (पंजीकरण क्रमांक MP 30-R-0582) में यात्रा कर रहे थे।
- ऑटो-रिक्शा का चालक तेज गति एवं लापरवाही से वाहन चला रहा था, तभी ग्वालियर में गौतम नगर, बजरंग वाशिंग सेंटर के पास गोहद चौराहा रोड पर वाहन पलट गया।
- इस दुर्घटना के परिणामस्वरूप धीरज सिंह तोमर की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि अन्य यात्री घायल हो गए।
- अपीलकर्त्ताओं (मृतक के आश्रितों) ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) के समक्ष 28,50,000/- रुपये के क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए दावा याचिका दायर की।
- अपीलकर्त्ताओं ने प्रस्तुत किया कि मृतक अपने थोक फल बेचने के व्यवसाय से लगभग 35,000/- रुपये प्रति माह कमा रहा था, जिससे वह अपने परिवार के दैनिक खर्चों का समर्थन करता था।
- MACT ने पाया कि प्रतिवादी संख्या 1 एवं 2 (वाहन का चालक एवं मालिक) संयुक्त रूप से और अलग-अलग रूप से क्षतिपूर्ति देने के लिये उत्तरदायी थे, क्योंकि दुर्घटना के समय चालक वैध और प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस के बिना वाहन चला रहा था।
- MACT ने अपीलकर्त्ता संख्या 1 से 3 को 7% प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज के साथ 9,77,200/- रुपये का क्षतिपूर्ति दिया, जिसकी गणना 4,500/- रुपये प्रति माह की काल्पनिक आय और 40% की भविष्य की संभावनाओं के आधार पर की गई।
- MACT ने व्यक्तिगत खर्चों के लिये गणना की गई राशि में से 1/3 की कटौती की तथा अपीलकर्त्ता संख्या 4 एवं 5 (मृतक के पिता और छोटी बहन) को आश्रितों के रूप में नहीं माना।
- क्षतिपूर्ति की राशि से व्यथित होकर, दावेदार-अपीलकर्त्ताओं ने मासिक आय के निर्धारण और कटौती पद्धति को चुनौती देते हुए ग्वालियर में मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर की।
- उच्च न्यायालय ने क्षतिपूर्ति राशि के संबंध में MACT के निष्कर्षों की पुष्टि की, लेकिन बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह दावेदारों को क्षतिपूर्ति दे तथा फिर उसे दोषी वाहन के चालक एवं मालिक से वसूल करे।
- परिणाम से अभी भी असंतुष्ट, दावेदार-अपीलकर्त्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में अपील किया, यह तर्क देते हुए कि मासिक आय का दोषपूर्ण तरीके से आकलन किया गया था, तथा उचित गुणक लागू नहीं किया गया था।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- उच्चतम न्यायालय ने मृतक की मासिक आय 4,500 रुपये आंकने वाले अधिकरण एवं उच्च न्यायालय के आकलन से असहमति जताई।
- न्यायालय ने कहा कि हालाँकि दावेदार मृतक की आय को निर्णायक रूप से सिद्ध नहीं कर सके, लेकिन यह स्पष्ट है कि दुर्घटना ने परिवार के एक संभावित कमाने वाले सदस्य को छीन लिया।
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम अधिसूचना 2016 का उदाहरण देते हुए न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि अकुशल श्रमिक की मासिक आय 6,500 रुपये निर्धारित की गई थी, जिससे वार्षिक आय 78,000 रुपये हो गई।
- न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि अपीलकर्त्ता संख्या 4 एवं 5 (पिता एवं छोटी बहन), जो दोनों आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं थे, मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत क्षतिपूर्ति के प्रयोजनों के लिये विधिक प्रतिनिधि के रूप में योग्य होंगे, क्योंकि वे मृतक के थोक फल व्यवसाय से होने वाली आय पर निर्भर थे।
- परिणामस्वरूप, न्यायालय ने व्यक्तिगत व्यय के लिये कटौती को 1/3 से 1/4 तक समायोजित किया, जिसमें तीन के बजाय पाँच आश्रित परिवार के सदस्यों को शामिल किया गया।
- न्यायालय ने बीमा कंपनी को पहले क्षतिपूर्ति देने तथा फिर उसे चालक एवं मालिक से वसूलने के लिये उच्च न्यायालय के निर्देश को यथावत बनाए रखा, जो वैध ड्राइविंग लाइसेंस की कमी के कारण संयुक्त रूप से और अलग-अलग उत्तरदायी थे।
- इन टिप्पणियों के आधार पर, उच्चतम न्यायालय ने क्षतिपूर्ति की राशि को 17,52,500/- रुपये (MACT और उच्च न्यायालय के 9,77,200/- रुपये से बढ़ाकर) अधिकरण द्वारा दिये गए ब्याज के साथ पुनर्गणना की।
इस मामले में कौन से महत्वपूर्ण मामलों का उल्लेख किया गया है?
- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम स्वर्ण सिंह एवं अन्य [(2004) 3 SCC 297] - उच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में यह स्थापित करने के लिये संदर्भित किया गया कि बीमा कंपनी को क्षतिपूर्ति देना चाहिये तथा पुनः इसे मालिक और चालक से वसूल करना चाहिये।
- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी [(2017) 16 SCC 680] - यह स्थापित करने के लिये संदर्भित किया गया कि 24 वर्षीय व्यक्ति के लिये उपयुक्त गुणक 18 है।
- मीना देवी बनाम नुनू चंद महतो [(2023) 1 SCC 204] - इस तथ्य पर बल देने के लिये संदर्भित किया गया कि मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत क्षतिपूर्ति देने का उद्देश्य पीड़ित पक्ष को न्यायसंगत एवं उचित क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करना है।
- गुजरात SRTC बनाम रमनभाई प्रभातभाई [(1987) 3 SCC 234] - यह स्थापित करने के लिये संदर्भित किया गया कि "विधिक प्रतिनिधि" वह व्यक्ति है जो मोटर यान दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु के कारण पीड़ित होता है तथा उसे आवश्यक नहीं कि केवल पत्नी, पति, माता-पिता या बच्चे तक ही सीमित रखा जाए।
- एन. जयश्री बनाम चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड [(2022) 14 SCC 712] - मोटर यान अधिनियम, 1988 (MV अधिनियम) के अध्याय XII के अंतर्गत "विधिक प्रतिनिधि" शब्द का व्यापक निर्वचन करने के समर्थन में संदर्भित किया गया, जिसमें इस तथ्य पर बल दिया गया कि निर्भरता के कारण कारित क्षति सिद्ध करना क्षतिपूर्ति का दावा करने के लिये पर्याप्त है।
MV अधिनियम की धारा 166 क्या है?
- धारा 166(1)(c) "मृतक के सभी या किसी भी विधिक प्रतिनिधि" को क्षतिपूर्ति के लिये आवेदन करने की अनुमति देती है, जहाँ मृत्यु दुर्घटना के कारण हुई हो।
- धारा 166(1) के प्रावधान में यह अनिवार्य किया गया है कि जब सभी विधिक प्रतिनिधि क्षतिपूर्ति के आवेदन को दाखिल करने में शामिल नहीं हुए हैं, तो जो लोग शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाना चाहिये।
- "विधिक प्रतिनिधि" शब्द का व्यापक रूप से निर्वचन किया जाना चाहिये तथा उत्तराधिकार विधियों के अंतर्गत इसकी संकीर्ण परिभाषा तक सीमित नहीं होनी चाहिये।
- विधिक प्रतिनिधि वह व्यक्ति होता है जो मोटर यान दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु के कारण पीड़ित होता है तथा आवश्यक नहीं कि वह पति, पत्नी, माता-पिता या बच्चा ही हो।
- विधिक प्रतिनिधि माने जाने की योग्यता मुख्य रूप से "निर्भरता की हानि" की स्थापना है।
- कोई भी व्यक्ति जो मृतक की आय पर निर्भरता तथा उनकी मृत्यु के कारण होने वाले वित्तीय क्षति को प्रदर्शित कर सकता है, वह विधिक प्रतिनिधि के रूप में योग्य है।
- यह निर्वचन मोटर यान अधिनियम के हितैषी उद्देश्य को पूरा करती है, जो मोटर दुर्घटनाओं से प्रभावित पीड़ितों या उनके परिवारों को मौद्रिक राहत प्रदान करना है।
- धारा 166 का विधायी उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मृत्यु के कारण आर्थिक रूप से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति के पास क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिये विधिक उपाय हो।
- मोटर यान अधिनियम, उपचारात्मक एवं लाभकारी विधान होने के नाते, "विधिक प्रतिनिधि" शब्द सहित इसके प्रावधानों की उदार निर्वचन की मांग करता है।