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गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन

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 27-Sep-2024

X बनाम गुजरात राज्य 

“जब लड़की गर्भावस्था समाप्त नहीं करना चाहती तो माता-पिता उसे क्यों बाध्य कर रहे हैं?”

न्यायमूर्ति निर्जर एस. देसाई

स्रोत : गुजरात उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति निर्जर एस. देसाई की पीठ ने कहा कि गर्भपात से पहले लड़की की सहमति आवश्यक है और माता-पिता गर्भपात के लिये  दबाव नहीं डाल सकते।                   

  • गुजरात उच्च न्यायालय ने एक्स बनाम गुजरात राज्य के मामले में यह निर्णय दिया।

एक्स बनाम गुजरात राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • एक व्यक्ति ने अपनी अल्पवयस्क पुत्री के 25 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के लिये याचिका दायर की।
  • यह याचिका इस आधार पर गर्भपात की मांग करते हुए दायर की गई थी कि लड़की 16 वर्ष की है और समाज के निचले तबके से है।
  • इस प्रकार, उच्च न्यायालय के समक्ष मामला यह था कि गर्भावस्था की समाप्ति की अनुमति दी जानी चाहिये या नहीं।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायालय ने कहा कि गर्भपात के लिये मुख्यतः लड़की की सहमति आवश्यक है।
  • माता-पिता उसे गर्भपात कराने के लिये बाध्य नहीं कर सकते।
  • अधिवक्ता ने दलील दी कि जब पीड़िता की उम्र 16 वर्ष हो तो पिता की सहमति भी जरूरी है। इस पर न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की कि सहमति एवं बल प्रयोग दो अलग-अलग चीजें हैं और लड़की को गर्भपात कराने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता।
  • पिता ने अंततः अपनी याचिका वापस ले ली और न्यायालय ने माना कि याचिका वापस ले ली गई मानकर उसका निपटारा कर दिया गया है।

गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन क्या है?

परिचय:

  • भारत में गर्भपात विधिक नहीं था, जब तक कि 1971 में चिकित्सीय गर्भपात अधिनियम, 1971 (MTP अधिनियम) लागू नहीं हुआ।
  • MTP अधिनियम 1 अप्रैल 1972 को लागू हुआ।
  • MTP अधिनियम की धारा 3 में यह निर्धारित किया गया है कि पंजीकृत चिकित्सकों द्वारा कब गर्भपात कराया जा सकता है।

गर्भावस्था की अवधि (LOP)

गर्भावस्था की समाप्ति के लिये पूर्व-आवश्यकताएँ क्या हैं?

धारा 3 (2) (a) के अनुसार LOP 20 सप्ताह से अधिक नहीं है।

यदि चिकित्सा व्यवसायी की सद्भावपूर्वक यह राय हो कि:

(i) गर्भावस्था को जारी रखने से जोखिम हो सकता है

  • किसी गर्भवती महिला का जीवन को, या
  • उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुँचे

(ii) इस बात का पर्याप्त जोखिम है कि यदि बच्चा पैदा हुआ तो वह किसी गंभीर शारीरिक या मानसिक असामान्यता से ग्रस्त होगा।

धारा 3 (2) (b) के अनुसार LOP 20 सप्ताह से अधिक है परंतु 24 सप्ताह से अधिक नहीं है।

अधिनियम के तहत नियमों द्वारा निर्धारित महिला श्रेणी के मामले में, यदि कम से कम दो पंजीकृत चिकित्सकों (RMP) की सद्भावनापूर्वक यह राय हो कि:

 (i) गर्भावस्था को जारी रखने से जोखिम हो सकता है

  • एक गर्भवती महिला का जीवन को, या
  • उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर चोट पहुँचने का संकट हो

(ii) इस बात का पर्याप्त जोखिम है कि यदि बच्चा पैदा हुआ तो वह किसी गंभीर शारीरिक या मानसिक असामान्यता से ग्रस्त होगा।

24 सप्ताह से अधिक

(1) यदि गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के लिये गर्भपात आवश्यक हो, तो धारा 5 के अनुसार दो पंजीकृत चिकित्सकों (RMP) की राय ली जाएगी।

(2) यदि भ्रूण में गंभीर असामान्यताएँ  हों, तो नियम 3A(a)(i) के साथ धारा 3(2B) के अनुसार मेडिकल बोर्ड के अनुमोदन से।

  • MTP (संशोधन) नियम, 2021 के नियम 3B बनाम MTP अधिनियम की धारा 3 (2)(b):
    • MTP (संशोधन) नियम, 2021 के नियम 3B में उन महिलाओं की श्रेणियों का प्रावधान है जो MTP अधिनियम की धारा 3 (2) (B) के तहत गर्भपात के लिये पात्र होंगी।:
      • यौन उत्पीड़न या बलात्कार या अनाचार पीडिता
      • अवयस्क
      • गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में परिवर्द्धन (वैधव्य एवं तलाक)
      • शारीरिक विकलांगता वाली महिलाएँ [दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 (2016 का 49) के अंतर्गत निर्धारित मानदण्डों के अनुसार प्रमुख विकलांगता]
      • मानसिक रूप से बीमार महिलाएँ जिनमें मानसिक विकलांगता भी शामिल है।
      • भ्रूण की विकृति जिसका उत्पन्न होने में असंगतता होने का पर्याप्त जोखिम हो या यदि बच्चा पैदा हो जाए तो वह ऐसी शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं से ग्रस्त हो सकता है जिससे वह गंभीर रूप से विकलांग हो सकता है; तथा
      • सरकार द्वारा घोषित मानवीय परिस्थितियों या आपदा या आपातकालीन स्थितियों में गर्भवती महिलाएँ।
  • MTP अधिनियम की धारा 3 (2) का स्पष्टीकरण:
    • धारा 3(2) के स्पष्टीकरण 1 में यह प्रावधान है कि खंड (a) के प्रयोजन के लिये
      • यदि किसी महिला या उसके साथी द्वारा बच्चों की संख्या सीमित करने या गर्भधारण को रोकने के उद्देश्य से उपयोग किये गए किसी उपकरण या विधि की विफलता के परिणामस्वरूप कोई गर्भधारण होता है, तो ऐसी गर्भावस्था से उत्पन्न पीड़ा को गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिये  गंभीर क्षति माना जा सकता है।
    • धारा 3(2) के स्पष्टीकरण 2 में यह प्रावधान है कि खंड (a) और (b) के प्रयोजनों के लिये
      • जहाँ गर्भवती महिला द्वारा यह आरोप लगाया जाता है कि बलात्कार के कारण गर्भधारण हुआ है, वहां गर्भधारण के कारण होने वाली पीड़ा को गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर क्षति माना जाएगा।
  • सहमति
    • MTP अधिनियम की धारा 3 (4) में प्रावधान है कि निम्नलिखित महिलाओं की गर्भावस्था केवल अभिभावक की लिखित सहमति से ही मान्य होगी:
      • महिला की आयु 18 वर्ष नहीं हुई है
      • महिला की आयु 18 वर्ष हो गई है और वह मानसिक रूप से बीमार है।

गर्भपात पर अंतर्राष्ट्रीय स्थिति क्या है?

  • संयुक्त राज्य अमेरिका:
    • रो बनाम वेड (1973):
      • रो बनाम वेड के ऐतिहासिक निर्णय से पूर्व, अमेरिका के 30 राज्यों में गर्भपात अवैध था।
      • परंतु ज़िला न्यायालय में जीत के बाद रो ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। ​​22 जनवरी, 1973 को सुप्रीम कोर्ट ने 7-2 के बहुमत से संविधान में संशोधन किया। "गोपनीयता के अधिकार" के अंतर्गत विधि की उचित प्रक्रिया के बाद, अब अमेरिका में गर्भपात को वैधानिक मान्यता दे दी गई।
      • इस निर्णय से कई संघीय और राज्य गर्भपात विरोधी विधानों पर रोक लग गयी।
      • महिलाओं को भ्रूण के जीवित रहने तक, अर्थात् तीसरी तिमाही तक गर्भपात का अधिकार दिया गया।
    • प्लांड पैरेंटहुड बनाम केसी (1992):
      • 5-4 बहुमत से सुप्रीम कोर्ट ने रो केस के केंद्रीय निर्णय की पुनः पुष्टि की।
    • डॉब्स बनाम जैक्सन महिला स्वास्थ्य संगठन (2022):
      • गर्भपात क्लिनिक, महिला स्वास्थ्य संगठन ने मिसिसिपी के गर्भपात विधान को चुनौती दी, जिसमें केवल 15 सप्ताह तक गर्भपात का विकल्प दिया गया था।
      • अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड के ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया।
      • इस प्रकार, गर्भपात का संवैधानिक अधिकार रद्द कर दिया गया।
  • यूनाइटेड किंगडम:
    • गर्भपात अधिनियम, 1967 (मानव निषेचन एवं भ्रूणविज्ञान अधिनियम, 1990 द्वारा संशोधित) में यह बताया गया है कि K. में गर्भपात कब वैध है।
    • गर्भपात वैध है यदि यह पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा किया गया हो और सद्भावनापूर्वक कार्य करने वाले दो डॉक्टरों द्वारा निम्नलिखित में से अधिक आधारों पर अधिकृत किया गया हो:
      • गर्भावस्था अपने चौबीसवें सप्ताह से अधिक नहीं हुई है और गर्भावस्था के जारी रहने से गर्भवती महिला या उसके परिवार के किसी भी मौजूदा बच्चे के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुँचने का जोखिम शामिल होगा, जो गर्भावस्था के समाप्त होने की तुलना में अधिक है; या
      • गर्भवती महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर स्थायी क्षति से बचाने के लिये गर्भपात आवश्यक है; या
      • गर्भावस्था को जारी रखने से गर्भवती महिला के जीवन को खतरा होगा, जो गर्भावस्था को समाप्त करने से अधिक होगा; या
      • इस बात का पर्याप्त जोखिम है कि यदि बच्चा पैदा हुआ तो वह ऐसी शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं से ग्रस्त होगा जिससे वह गंभीर रूप से विकलांग हो जाएगा।
  • अन्य देशों की स्थिति:
    • वर्ष 2017 के आँकड़ों के अनुसार, 59 देशों ने ऐच्छिक गर्भपात की अनुमति दी, जिनमें से केवल 7 देशों ने 20 सप्ताह से अधिक की प्रक्रिया की अनुमति दी।
    • ये 7 देश हैं: कनाडा, चीन, नीदरलैंड, उत्तर कोरिया, सिंगापुर, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम। अब भारत भी इनमें शामिल हो गया है।

MTP अधिनियम पर ऐतिहासिक निर्णयज विधियाँ क्या हैं?

  • सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन (2009):
    • उच्चतम न्यायालय ने माना कि MTP अधिनियम के अंतर्गत महिलाओं को दिया गया गर्भपात का अधिकार, भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रजनन संबंधी विकल्प चुनने के महिलाओं के संवैधानिक अधिकार से संबंधित है।
  • उच्च न्यायालय का स्वयं प्रस्ताव बनाम महाराष्ट्र राज्य (2018):
    • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उचित रूप से यह निर्धारित किया कि किसी महिला को अवांछित गर्भधारण के लिये बाध्य करना उसकी शारीरिक स्वायत्तता का उल्लंघन करता है, उसके भावनात्मक संकट को बढ़ाता है, तथा गर्भधारण से जुड़े तात्कालिक सामाजिक, वित्तीय और अन्य परिणामों के कारण उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

X बनाम प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, NCT दिल्ली सरकार (2022):

    • उच्चतम न्यायालय ने MTP अधिनियम, 1971 के अंतर्गत सभी महिलाओं को गर्भावस्था के 24 सप्ताह के भीतर गर्भपात कराने का अधिकार दिया है।