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सांविधानिक विधि

कार्यालय ज्ञापन और भारतीय संविधान का अनुच्छेद 309

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 23-Oct-2024

भारत संघ एवं अन्य बनाम जगदीश सिंह एवं अन्य

“कार्यालय ज्ञापन (OM) COI के अनुच्छेद 309 के तहत नियमों का स्थान नहीं ले सकता या उनके विपरीत नहीं हो सकता।”

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति डॉ. सुधीर कुमार जैन

स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर और न्यायमूर्ति डॉ. सुधीर कुमार जैन की पीठ ने कहा कि कार्यालय ज्ञापन भारत के संविधान, 1950 (COI)के अनुच्छेद 309 के तहत भर्ती नियमों का स्थान नहीं ले सकता।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत संघ और अन्य बनाम जगदीश सिंह और अन्य के मामले में निर्णय दिया।

भारत संघ एवं अन्य बनाम जगदीश सिंह एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में प्रत्यर्थियों को 17 सितंबर, 2010 को उनके कनिष्ठों के साथ संयुक्त आयकर आयुक्त (CIT ) के रूप में पदोन्नत किया गया था।
  • प्रत्यर्थियों से कनिष्ठ अधिकारी, जिन्हें उनके साथ पदोन्नत किया गया था, को अतिरिक्त CIT के रूप में पदोन्नत किया गया है।
  • उपरोक्त के जवाब में प्रत्यर्थियों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के समक्ष एक याचिका दायर की जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रत्यर्थियों के कनिष्ठों की पदोन्नति भारतीय राजस्व सेवा नियम, 2015 (IRS नियम) की अनुसूची II के नियम 7 के उप-नियम 3 और 4 का उल्लंघन है, जिसे उक्त नियम के नीचे नोट 1 के साथ पढ़ा जाए।
  • प्रत्यर्थी का मामला यह था कि प्रत्यर्थी NFSG में पदोन्नति के लिये विचार किये जाने में दो वर्ष की छूट के हकदार थे।
  • तथापि, याचिकाकर्त्ता ने तर्क दिया कि NFSG प्रदान करना केवल उच्च वेतनमान पर नियुक्ति है, पदोन्नति नहीं।
  • विद्वत अधिकरण ने याचिकाकर्त्ता की दलील को खारिज कर दिया।
    • अधिकरण ने भारत संघ बनाम अशोक कुमार अग्रवाल (वर्ष 2013) के मामले में उच्चत्तम न्यायालय के निर्णय पर भरोसा किया, जहाँ यह माना गया था कि एक कार्यालय ज्ञापन भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 309 के तहत भर्ती नियमों का स्थान नहीं ले सकता है।
    • यह माना गया कि कार्यालय ज्ञापन एक कार्यकारी निर्देश होने के कारण केवल वैधानिक भर्ती नियमों का पूरक हो सकता है तथा उसका स्थान नहीं ले सकता।
    • इसलिये अधिकरण ने माना कि प्रत्यर्थी अपने कनिष्ठों के साथ पदोन्नत होने के हकदार होंगे, जिन्हें 1 जनवरी, 2022 से पदोन्नत किया गया था।
  • इस प्रकार, भारत संघ ने COI के अनुच्छेद 226 के तहत इस न्यायालय में याचिका दायर की।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायालय ने कहा कि अधिकरण का यह कहना सही था कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) का कार्यालय ज्ञापन (OM) COI के अनुच्छेद 309 के तहत नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकता या उनके विपरीत नहीं हो सकता।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि IRS नियमों को संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत लागू किया गया था।
  • इसलिये, न्यायालय ने माना कि अधिकरण द्वारा दिये गए निष्कर्ष सही हैं और प्रत्यर्थी IRS नियमों का लाभ पाने के हकदार हैं।
  • इस प्रकार, न्यायालय ने माना कि प्रत्यर्थी अन्य कनिष्ठों के साथ अतिरिक्त CIT के रूप में पदोन्नत होने के हकदार हैं।
  • अत: रिट याचिका खारिज कर दी गई।

COI का अनुच्छेद 309 क्या है?

  • परिचय:
    • COI के अनुच्छेद 309 में संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों का प्रावधान है।
    • संघ और राज्यों के अधीन सेवाओं पर अध्याय के भाग के रूप में अनुच्छेद 309, योग्यता आधारित, कुशल और निष्पक्ष सिविल सेवा प्रणाली स्थापित करने के संविधान निर्माताओं के आशय को दर्शाता है।
    • अनुच्छेद 309 उपयुक्त विधायिका (संसद या राज्य विधानमंडल) को लोक सेवकों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने के लिये कानून बनाने का अधिकार देता है।
    • इसमें सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति की पद्धति, पदावधि और अनुशासनात्मक मामलों को निर्धारित करने की शक्ति शामिल है।
  • अनुच्छेद 309 के घटक:
    • यह प्रावधान संविधान के प्रावधानों के अधीन है
    • इसमें प्रावधान है कि उपयुक्त विधानमंडल के अधिनियम निम्नलिखित को विनियमित कर सकते हैं:
      • भर्ती
      • संघ या किसी राज्य के कार्यकलाप से संबंधित लोक सेवाओं और पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तें।
  • अनुच्छेद 309 की शर्त:
    • निम्नलिखित सरकारें ऐसी सेवाओं और पदों पर भर्ती और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों को विनियमित करने वाले नियम बना सकती हैं, जब तक कि इस अनुच्छेद के तहत उपयुक्त विधानमंडल के अधिनियम द्वारा या उसके तहत उस संबंध में प्रावधान नहीं किया जाता है:
      • राष्ट्रपति या ऐसा कोई अन्य व्यक्ति जिसे वह संघ के मामलों से संबंधित सेवाओं और पदों के मामले में निर्देश दे।
      • राज्य के राज्यपाल या ऐसा कोई अन्य व्यक्ति जिसे वह राज्य के मामलों से संबंधित सेवाओं और पदों के मामले में निर्देश दे।

 COI और कार्यालय ज्ञापन के अनुच्छेद 309 पर ऐतिहासिक निर्णय क्या हैं?

  • भारत संघ बनाम अशोक कुमार अग्रवाल (वर्ष 2013):
    • न्यायालय ने कहा कि यह कानून का स्थापित प्रस्ताव है कि कोई भी प्राधिकारी ऐसे आदेश/कार्यालय ज्ञापन/कार्यकारी निर्देश जारी नहीं कर सकता जो वैधानिक नियमों का उल्लंघन करते हों।
    • वैधानिक नियमों के पूरक के लिये निर्देश जारी किये जा सकते हैं, न कि उनका स्थान लेने के लिये।
    • इस प्रकार, न्यायालय ने माना कि कोई भी कार्यालय ज्ञापन, COI के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत प्रख्यापित भर्ती नियमों का स्थान नहीं ले सकता।