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वाणिज्यिक विधि

सीमा शुल्क का भुगतान

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 06-Dec-2024

नलिन चोकसी बनाम सीमा शुल्क आयुक्त

“आयातित वाहन पर सीमा शुल्क के लिये पाश्चिक क्रेता नहीं, बल्कि आयातकर्त्ता उत्तरदायी है।”

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह

स्रोत: उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

उच्चतम न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि आयातित कार पाश्चिक क्रेता को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत "आयातकर्त्ता" नहीं माना जा सकता है और वह सीमा शुल्क का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी नहीं है।

  • न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एक पोर्श कार के क्रेता से 17.92 लाख रुपए का सीमा शुल्क मांगने के उच्च न्यायालय के निर्णय को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि दायित्व मूल आयातक का होता है, पाश्चिक क्रेता का नहीं।

नलिन चोकसी बनाम सीमा शुल्क आयुक्त मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • जून 2002 में, श्री जलालुद्दीन कुन्ही थायिल ने भारत में पोर्श कैरेरा कार का आयात किया।
  • इसके बाद यह कार वर्ष 2003 में श्री शैलेश कुमार को बेच दी गई और अक्तूबर 2004 में नलिन चोकसी ने इसे खरीद लिया।
  • जून 2007 में सीमा शुल्क विभाग ने गंभीर आयात अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए चोकसी सहित कई पक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
  • आरोपों में कार के मॉडल, निर्माण वर्ष और चेसिस नंबर की गलत घोषणा शामिल थी, जो कथित तौर पर वाहन का कम मूल्य और कम बिल दिखाने के लिये किया गया था।
  • सीमा शुल्क विभाग ने 17,92,847 रुपए का अंतर सीमा शुल्क मांगा और कार को ज़ब्त करने का प्रस्ताव रखा।
  • यह नोटिस सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 28(1) और 124 के तहत जारी किया गया था, जिसमें मूल आयातक और पाश्चिक क्रेता को संयुक्त रूप से और अलग-अलग लक्षित किया गया था।
  • प्रारंभ में, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय अधिकरण ने चोकसी की अपील को स्वीकार कर लिया था, तथा पाया था कि चोकसी एक वास्तविक क्रेता है और मूल आयात अनियमितताओं में उसकी कोई भूमिका नहीं है।
  • इसके बाद सीमा शुल्क विभाग ने केरल उच्च न्यायालय में अपील की, जिसने अधिकरण के निर्णय को पलट दिया, जिसके परिणामस्वरूप चोकसी को उच्चतम न्यायालय में अपील करनी पड़ी।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • उच्चतम न्यायालय ने सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 2(26) के तहत 'आयातक' की परिभाषा की जाँच की और निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्त्ता (नलिन चोकसी) आयातक के रूप में योग्य नहीं है, क्योंकि वह न तो कार के आयात में शामिल था और न ही कार उसके लाभ के लिये आयात की गई थी।
  • न्यायालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(30) के तहत 'मालिक' की परिभाषा का गहन विश्लेषण किया तथा निर्धारित किया कि चोकसी को कानूनी मालिक नहीं माना जा सकता, क्योंकि वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र मूल आयातक के नाम पर ही था।
  • न्यायालय ने कब्ज़े और स्वामित्व के बीच अंतर करते हुए विभाग के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वाहन पर केवल कब्ज़ा होने से ही चोकसी को सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है, विशेषकर तब जब वाहन का वास्तविक मालिक (मूल आयातक) ज्ञात हो।
  • पीठ ने आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि चोकसी के विरुद्ध शुरू की गई कार्यवाही - जिसमें कारण बताओ नोटिस, ज़ब्ती और अधिहरण शामिल है - मूल रूप से गैरकानूनी थी और सीमा शुल्क अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं थी।
  • चोकसी के विरुद्ध कार्यवाही को रद्द करते हुए, न्यायालय ने स्पष्ट रूप से स्पष्ट किया कि यह निर्णय विभाग को वाहन के मूल आयातक और पंजीकृत मालिक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा।
  • न्यायालय ने अंततः यह माना कि किसी वाहन के मूल आयात के दौरान की गई सीमा शुल्क चोरी के लिये बाद के क्रेता को मनमाने ढंग से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।

सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 क्या है?

  • कानूनी ढाँचा: वर्ष 1962 का सीमा शुल्क अधिनियम एक व्यापक कानून है जो भारत में सीमा शुल्क लगाने, आयात और निर्यात के विनियमन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रबंधन के लिये कानूनी आधार प्रदान करता है।
  • संवैधानिक आधार: यह अधिनियम भारतीय संविधान की अनुसूची VII की सूची 1 की प्रविष्टि संख्या 83 से अपनी शक्ति प्राप्त करता है, जो केंद्र सरकार को आयात और निर्यात पर कानून बनाने और शुल्क एकत्र करने का अधिकार देता है।
  • अधिनियम के प्रमुख प्रावधान:
    • धारा 12 विशेष रूप से भारत में आयातित या भारत से निर्यात किये जाने वाले माल पर शुल्क लगाने का प्रावधान करती है।
    • आयातित और निर्यात किये जाने वाले माल के मूल्य का निर्धारण करने की प्रक्रियाओं को परिभाषित करती है।
    • कार्गो, बैगेज और अंतर्राष्ट्रीय यात्री निकासी के लिये नियम स्थापित करती है।
  • शुल्क निर्धारण: यह अधिनियम सीमा शुल्क अधिनियम, 1975 के साथ मिलकर कार्य करता है, ताकि निम्नलिखित निर्दिष्ट किया जा सके:
    • आयात और निर्यात शुल्क के अधीन वस्तुएँ।
    • शुल्क की दरें (विशिष्ट, मूल्यानुसार, या विशिष्ट सह मूल्यानुसार)।
    • शुल्क दरें निर्धारित करने के लिये मूल्यांकन विधियाँ।
    • प्रवर्तन कार्य:
      • कार्गो, बैगेज और डाक वस्तुओं के आयात और निर्यात को नियंत्रित करता है।
      • तस्करी को रोकने के लिये तंत्र प्रदान करता है।
      • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निषेध और प्रतिबंधों को लागू करने में सक्षम बनाता है।
  • आधुनिकीकरण पहलू: अधिनियम को लगातार अद्यतन किया गया है:
    • अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना।
    • इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (EDI) को लागू करना।
    • विश्व सीमा शुल्क संगठन के मानकों के साथ संरेखित करना।
    • व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना।
  • अनुप्रयोग का दायरा: हितधारकों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • अंतर्राष्ट्रीय यात्री।
    • आयातक और निर्यातक।
    • व्यापारी।
    • निर्माता।
    • वाहक।
    • बंदरगाह और हवाई अड्डा प्राधिकरण।
    • अन्य सरकारी और अर्द्ध-सरकारी एजेंसियाँ।
  • मूल्यांकन सिद्धांत: WTO मूल्यांकन समझौते (पूर्व में GATT) पर आधारित, जो आयातित और निर्यातित वस्तुओं के सीमा शुल्क मूल्य का निर्धारण करने के लिये मानकीकृत तरीके प्रदान करता है।

सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रावधान क्या हैं?

  • धारा 12: सीमा शुल्क का अधिरोपण:
    • आयातित और निर्यातित वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगाने के लिये मौलिक आधार प्रदान करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर शुल्क लगाने के लिये कानूनी ढाँचे को निर्दिष्ट करता है।
  • धारा 14: माल का मूल्यांकन:
    • आयातित और निर्यातित वस्तुओं के मूल्य निर्धारण की विधि को परिभाषित करता है।
    • लागू सीमा शुल्क की गणना के लिए महत्त्वपूर्ण।
    • सीमा शुल्क मूल्यांकन नियमों के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • धारा 29: बिल ऑफ एंट्री:
    • आयातित वस्तुओं के लिये बिल ऑफ एंट्री प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
    • आयातकों द्वारा प्रदान किये जाने वाले विवरण निर्दिष्ट करता है।
    • सीमा शुल्क निकासी और शुल्कों के आकलन के लिये आवश्यक है।
  • धारा 30: शिपिंग बिल:
    • माल के निर्यात के लिये आवश्यक दस्तावेज़ीकरण को नियंत्रित करता है।
    • निर्यातकों द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी को परिभाषित करता है।
    • निर्यात मंज़ूरी और दस्तावेज़ीकरण के लिये महत्त्वपूर्ण।
  • धारा 34: जहाजों और वायुयानों का आवक प्रवेश:
    • जहाजों और वायुयानों के लिये प्रवेश और आगमन प्रक्रियाओं को विनियमित करता है।
    • वाहकों के लिये रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को बताता है।
  • धारा 75: माल का अधिहरण:
    • उल्लंघन के मामलों में माल को अधिहरण करने का प्रावधान करता है।
    • उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करता है जिनके तहत माल को अधिहरण किया जा सकता है।
  • धारा 110: गिरफ्तार करने की शक्ति:
    • सीमा शुल्क अधिकारियों को सीमा शुल्क अपराधों के संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।
    • ऐसी गिरफ्तारियों के लिये शर्तों और प्रक्रियाओं को परिभाषित करता है।
  • धारा 111: माल, वाहन और दस्तावेजों का अधिहरण:
    • उन विशिष्ट स्थितियों के बारे में विस्तार से बताया गया है जिनके कारण अधिहरण हो सकता है।
    • संभावित सीमा शुल्क उल्लंघनों के विभिन्न परिदृश्यों को शामिल किया गया है।
  • धारा 112: अनुचित आयात या निर्यात के लिये जुर्माना:
    • गलत या अवैध आयात और निर्यात गतिविधियों के लिये दंड की स्थापना करता है।
    • उल्लंघन के मौद्रिक और कानूनी परिणामों को परिभाषित करता है।
  • धारा 129: निषेध के विपरीत आयातित या निर्यातित माल:
    • निषेधों का उल्लंघन करके आयातित या निर्यात किये गए माल से संबंधित मामले।
    • ऐसे मामलों में की जा सकने वाली कानूनी कार्रवाइयों को निर्दिष्ट करता है।
  • धारा 131: कंपनियों द्वारा अपराध:
    • कॉर्पोरेट संस्थाओं द्वारा किये गए सीमा शुल्क अपराधों को संबोधित करता है।
    • उल्लंघन के मामले में कंपनी के अधिकारियों की देयता को परिभाषित करता है।
  • धारा 138: अपराधों का संज्ञान
    • सीमा शुल्क से संबंधित अपराधों पर मुकदमा चलाने की प्रक्रिया प्रदान करता है।
    • सीमा शुल्क उल्लंघनों से निपटने के लिये कानूनी प्रक्रिया निर्दिष्ट करता है।

सीमा शुल्क अधिनियम के अंतर्गत मूल्यांकन सिद्धांत:

मानकीकृत एवं पारदर्शी शुल्क निर्धारण सुनिश्चित करने के लिये विश्व व्यापार संगठन मूल्यांकन समझौते पर आधारित।

  • धारा 28(1): शुल्क या दंड की वसूली।
  • धारा 124: अधिहरण और दंड के लिये कानूनी ढाँचा।