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आपराधिक कानून

अद्यतन यूट्यूबर्स विवाद

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 11-Feb-2025

3 यूट्यूबर्स के विरुद्ध एफ.आई.आर. 

“अश्लील सामग्री के लिये यूट्यूबर्स के विरुद्ध विधिक कार्यवाही”  

स्रोत:द हिंदू   

चर्चा में क्यों?  

असम पुलिस ने “इंडियाज गॉट लैटेंटशो के दौरान कथित तौर पर अश्लील टिप्पणी करने को लेकर एक लोकप्रियपॉडकास्टर और कॉमेडियनसमेत पाँच लोगों केविरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कीहै। मुंबई पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू की है, जबकिविभिन्न क्षेत्राधिकारों में अनेक विधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं । 

  • विवाद ने तब और तूल पकड़ लिया जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नेअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने वालीटिप्पणी की, तत्पश्चात् आरोपी नेअनुचित टिप्पणी के लिये माफी मांगी ।  

यूट्यूबर्स के विरुद्ध एफ.आई.आर. की पृष्ठभूमि क्या थी?  

  • एक पॉडकास्टर/कंटेंट क्रिएटर और कई अन्य लोगों कोएक टैलेंट शो कार्यक्रम के दौरान की गईअनुचित टिप्पणियों के कारण विधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है ।  
  • विभिन्न विधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं: 
    • बांद्रा मजिस्ट्रेट न्यायालय में एक आपराधिक शिकायत,  
    • मुंबई पुलिस कमिश्नर को शिकायत, 
    • महाराष्ट्र महिला आयोग में शिकायत की गई ।  
  • मुंबई पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, परंतु अभी तक एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की है । पुलिस की एक टीम उस जगह पर गई, जहाँ शो रिकॉर्ड किया गया था ।  
  • प्रमुख अधिकारियों ने जवाब दिया: 
    • महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं पर टिप्पणी की ।  
    • राष्ट्रीय महिला आयोग के पूर्व प्रमुख और राज्यसभा सांसद ने घटना की निंदा की ।  
    • शिवसेना प्रवक्ता ने इस तरह के व्यवहार के बारे में चेतावनी जारी की ।  
  • असम पुलिस ने अश्लील टिप्पणी के संबंध में कंटेंट क्रिएटर और एक कॉमेडियन सहित पाँच लोगों के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज की है ।  
  • यह मामला गुवाहाटी क्राइम ब्रांच में निम्नलिखित धाराओं के अधीन दर्ज किया गया: 
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000  
    • महिलाओं का अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986  
    • भारतीय न्याय संहिता, 2023 में महिला की लज्जा को भंग करने और अश्लील कृत्य से संबंधित प्रावधान हैं ।  
  • अतिरिक्त विधिक कार्यवाहियों में शामिल हैं: 
    • अधिवक्ता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सख्त कंटेंट मॉडरेशन की मांग कर रहे हैं,  
    • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अन्वेषण का अनुरोध,  
    • सार्वजनिक हस्तियों के कंटेंट निर्माताओं के साथ जुड़ाव के संबंध में दिशा-निर्देशों की मांग की गई ।  
  • आरोपी पक्ष ने टिप्पणी के लिये माफी मांगते हुए कहा, “मैंने जो कहा, वह मुझे नहीं कहना चाहिये था... मेरी टिप्पणी न केवल अनुचित थी, अपितु वह मजाकिया भी नहीं थी । हास्य मेरी विशेषता नहीं है” ।  

कौन-सी विधिक कार्यवाहियाँ शुरू की गई हैं और किन विधियों के अधीन ?  

  • गुवाहाटी क्राइम ब्रांच में निम्नलिखित के अधीन एफ.आई.आर. दर्ज की गई: 
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धाराएँ 
    • महिलाओं का अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986  
    • भारतीय न्याय संहिता की धाराएँ, जो “महिला की लज्जा भंग करने और अश्लील कृत्यसे संबंधित हैं | 
  • बांद्रा मजिस्ट्रेट न्यायालय में आपराधिक शिकायत दर्ज की गई: 
    • भारतीय न्याय संहिता की धारा 296:अश्लील कृत्य और गाने 
    • भारतीय न्याय संहिता की धारा 352:लोकशांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान 
    • भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 : लोक रिष्टिकारक वक्तव्य 
    • भारतीय न्याय संहिता की धारा 225:लोक सेवक से संरक्षा के लिये आवेदन करने से विरत रहने के लिये किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिये क्षति की धमकी 
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम कीधारा 67 
  • शिकायतों में विभिन्न विधिक ढाँचों के अधीन कार्यवाही की मांग की गई है: 
    • आपराधिक विधि (भारतीय न्याय संहिता)  
    • सूचना प्रौद्योगिकी विधि 
    • महिला सुरक्षा संबंधी विधि 
  • ये शिकायतें विभिन्न न्यायक्षेत्रों और प्राधिकरणो में दर्ज की गई हैं: 
    • असम पुलिस (गुवाहाटी क्राइम ब्रांच)  
    • मुंबई पुलिस 
    • बांद्रा मजिस्ट्रेट न्यायालय  
    • महाराष्ट्र महिला आयोग 
    • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय 

इसमें कौन-से विधिक प्रावधान अंतर्वलित हैं?  

  • भारतीय न्याय संहिता की धारा 296, जो अश्लील कृत्यों और गानों से संबंधित है: 
    • सार्वजनिक स्थान पर कोई भी अश्लील कृत्य करना, जिससे दूसरों को क्षोभ कारित हो, इसके लिये दण्ड तीन माह तक का कारावास और/या एक हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है ।  
    • किसी भी सार्वजनिक स्थान पर या उसके आसपास अश्लील गीत, गाथा या शब्द गाने, सुनाने या बोलने पर समान दण्ड हो सकता है - तीन माह तक का कारावास और/या एक हजार रुपए तक का जुर्माना ।  
  • भारतीय न्याय संहिता की धारा 352 में लोकशांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान के बारे में उपबंधित है: 
    • विधि यह अभिकथित करती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह से जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति का अपमान करता है, यह जानते हुए कि इस तरह के उकसावे से लोकशांति भंग होने या कोई अन्य अपराध कारित होने की संभावना है, तो उसे दो वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है ।  
    • यह धारा अनिवार्यतः जानबूझकर किये गए उत्तेजक अपमान को अपराध मानती है, जिससे विधिविरुद्ध व्यवहार को उकसाने या लोक  व्यवस्था को बिगाड़ने की संभावना हो सकती है ।  
  • भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 उन कथनों से संबंधित है जो लोकरिष्टि का कारण बनते हैं: 
    • उपधारा (1) ऐसे कथनों (इलेक्ट्रॉनिक सहित) को बनाने/प्रकाशित करने/प्रसारित करने पर रोक लगाती है जो: 
      • सैन्य कर्मियों में विद्रोह उत्पन्न कर सकता है या उन्हें अपने कर्त्तव्य से विमुख कर सकता हैं ।  
      • जनता में भय उत्पन्न कर सकता है, जिससे राज्य के विरुद्ध अपराध बढ़ सकते हैं ।  
      • किसी भी समुदाय को दूसरे के विरुद्ध अपराध करने के लिये उत्प्रेरित कर सकता है | दण्ड: 3 वर्ष तक का कारावास और/या जुर्माना ।  
    • उपधारा (2) मिथ्या सूचना पर केंद्रित है जो: 
      • विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता उत्पन्न करना या बढ़ावा देना ।  
      • धर्म, नस्ल, भाषा, जाति आदि के आधार पर घृणा फैलाना ।  
      • समुदायों के बीच दुर्भावना उत्पन्न करनादण्ड : 3 वर्ष तक का कारावास और/या जुर्माना ।  
    • उपधारा (3) धार्मिक स्थलों के संबंध में अपराधों को संबोधित करती है: 
      • यदि यह कृत्य पूजा स्थलों पर किया गया हो,  
      • धार्मिक समारोहों/सभाओं के दौरान किया गया हो | वर्द्धित दण्ड : 5 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना ।  
    • अपवाद खण्ड:   
      • यदि व्यक्ति के पास यह मानने के लिये युक्तियुक्त आधार हों कि सूचना सत्य है, तो वह कोई अपराध नहीं है ।  
      • सद्भावनापूर्वक कार्य किया गया हो | 
      • रिष्टि कारित करने का आशय नहीं होना चाहिये | 
  • भारतीय न्याय संहिता की धारा 225 
    • यह किसी व्यक्ति को विधिक सुरक्षा प्राप्त करने से रोकने के लिये दी गई धमकियों के बारे में प्रावधानित करती है विधि अभिकथित करती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को विधिक सुरक्षा प्राप्त करने हेतु आवेदन करने से रोकने के लिये उसे क्षति पहुँचाने की धमकी देता है, जो ऐसी सुरक्षा प्रदान करने के लिये सशक्त है, तो उसे एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है ।  
    • यह धारा मूलतः किसी व्यक्ति को प्राधिकृत लोक सेवकों से सहायता या संरक्षण प्राप्त करने से रोकने के उद्देश्य से की गई धमकी को अपराध मानती है ।  
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 
    • यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने से संबंधित हैपहली बार अपराध करने वालों के लिये दण्ड में तीन वर्ष तक का कारावास और पाँच लाख रुपए तक का जुर्माना शामिल हैपश्चातवर्ती अपराध करने पर दण्ड पाँच वर्ष तक के कारावास और दस लाख रुपए तक के जुर्माने तक विस्तारित हो जाता है | 
    • यह धारा विशेष रूप से उस इलेक्ट्रॉनिक सामग्री को लक्षित करती है जो कामुक है, कामुक हितों को आकर्षित करती है या इसे एक्सेस करने वालों को भ्रष्ट/दुराचारी बना सकती है ।