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सांविधानिक विधि

पूर्व-सुनवाई का अधिकार

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 07-Aug-2024

अजीत पटेल एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य

“न केवल अभियुक्त को किसी विशेष तरीके से जाँच कराने का अधिकार नहीं है, बल्कि न्यायालय को भी जाँच की निगरानी करने का कोई अधिकार नहीं है”।

न्यायमूर्ति जी.एस. अहलूवालिया

स्रोत: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अजीत पटेल एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में माना है कि अभियुक्त को उसकी जाँच की प्रक्रिया या प्राधिकार निर्धारित करने के लिये पूर्व-सुनवाई का अधिकार नहीं दिया जा सकता।

अजीत पटेल एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • इस मामले में याचिकाकर्त्ता ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत एक रिट याचिका दायर की।
  • याचिकाकर्त्ता ने कोई उपयुक्त रिट जारी करने की मांग की, जिसके द्वारा पुलिस अधिकारियों (प्रतिवादियों) को न्याय के हित में विधि के वैधानिक प्रावधानों के अनुसार याचिकाकर्त्ताओं के विरुद्ध निष्पक्ष जाँच करने का निर्देश दिया जा सके।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने रोमिला थापर बनाम भारत संघ (2018) मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि:
    • अभियुक्त को यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं है कि कौन-सा प्राधिकारी उसकी जाँच करे, क्योंकि जाँच की विश्वसनीयता बहुत महत्त्वपूर्ण है और अभियुक्त को निर्णय लेने की अनुमति देकर इससे समझौता नहीं किया जा सकता।
    • वर्तमान याचिका पर विचार करने की कोई संभावना नहीं है।
    • ऐसी मांग का कोई विधिक आधार नहीं है और यदि इसकी अनुमति दी गई तो यह जाँच प्रक्रिया के लिये हानिकारक होगा।
  • इसलिये मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जाँच के निर्देश देने वाली याचिका अस्वीकार कर दी।

पूर्व-सुनवाई क्या है?

परिचय:

  • अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 23 के अंतर्गत पूर्व-सुनवाई का अधिकार दिया गया है।
  • इसका अर्थ है अन्य व्यक्तियों से पूर्व सुने जाने का अधिकार।
  • यह अधिकार सामान्यतः भारतीय विधिज्ञ परिषद् और राज्य विधिज्ञ परिषद् में पंजीकृत अधिवक्ताओं के पास निहित होता है।
  • अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 23 के तहत प्राथमिकता का क्रम इस प्रकार दिया गया है:
    • महान्यायवादी : उसे अन्य सभी अधिवक्ताओं पर पूर्व-श्रोता का अधिकार है।
    • भारत के द्वितीय अपर महाधिवक्ता
    • भारत के अतिरिक्त अपर महाधिवक्ता
    • भारत के अन्य अतिरिक्त अपर महाधिवक्ता
    • किसी भी राज्य के महाधिवक्ता
    • वरिष्ठ अधिवक्ता
    • अन्य अधिवक्ता
  • पूर्व-सुनवाई के अधिकार को एक नैतिक अधिकार के रूप में भी माना जा सकता है, जिसे बड़ों का सम्मान करने की वर्षों पुरानी भारतीय प्रथा से जोड़ा जा सकता है, जिसे अब पूर्व-सुनवाई के अधिकार के माध्यम से विधिक व्यवहार में शामिल कर लिया गया है।

निर्णयज विधियाँ:

  • प्रबल डोगरा बनाम पुलिस अधीक्षक, ग्वालियर और मध्य प्रदेश राज्य (2017): न्यायालय ने माना कि जाँच के मामले में अभियुक्त का कोई अधिकार नहीं है।
  • रोमिला थापर बनाम भारत संघ (2018): इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने माना कि अभियुक्त को जाँच अधिकारी द्वारा जाँच का निर्देश देने और जाँच अधिकारी की नियुक्ति करने का कोई अधिकार नहीं है।