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आपराधिक कानून
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 32
« »01-Apr-2024
फोटो कंटेंट: राकेश कुमार बनाम बिहार राज्य "पुलिस इंस्पेक्टर की शिकायत के आधार पर अपीलकर्त्ता के विरुद्ध औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के अधीन शुरू की गई कार्यवाही विधिक रूप से अमान्य है। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय बनाम प्रशांत कुमार मिश्र |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों ?
न्यामूर्ति ऋषिकेश रॉय एवं जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि "पुलिस इंस्पेक्टर की शिकायत के आधार पर अपीलकर्त्ता के विरुद्ध औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के अधीन शुरू की गई कार्यवाही विधिक रूप से अमान्य है।”
उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय राकेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में दिया।
राकेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
- इस मामले में 27 सितंबर, 2018 के आदेश को चुनौती दी गई है, जहाँ उच्च न्यायालय ने CrPC की धारा 482 के अधीन दायर एक याचिका को खारिज़ कर दिया था।
- अपीलकर्त्ता ने जमुई के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा 22 नवंबर, 2016 के एक आदेश का विरोध किया, जिसमें औषधि एवं सौंदर्य सामग्री अधिनियम, 1940 के अधीन अपराधों का संज्ञान लिया गया था।
- अपीलकर्त्ता ने इन कार्यवाही को रद्द करने की मांग की।
- उच्च न्यायालय ने अपीलकर्त्ता के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला मानते हुए, संज्ञान आदेश को यथावत रखा।
- हालाँकि, अपीलकर्त्ता ने तर्क दिया कि केवल एक ड्रग इंस्पेक्टर ही अधिनियम के अधीन कार्यवाही कर सकता है, पुलिस अधिकारी नहीं।
- महत्त्वपूर्ण प्रश्न इस बात के आस-पास घूमता है कि क्या पुलिस अधिकारी की कार्रवाई औषधि एवं सौंदर्य सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 32(1)(A) के अधीन वैध शुरुआत है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- अंततः, न्यायालय ने अपीलकर्त्ता के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को अमान्य पाया, संज्ञान आदेश और कार्यवाही को रद्द कर दिया।
- न्यायालय ने कहा कि "दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की योजना एवं अधिनियम की धारा 32 के जनादेश और अधिनियम के अधीन ड्रग इंस्पेक्टर के पास उपलब्ध शक्तियों के परिप्रेक्ष्य एवं उसके कर्त्तव्यों को ध्यान में रखते हुए, एक पुलिस अधिकारी, अधिनियम के अध्याय IV के अधीन संज्ञेय अपराधों के संबंध में धारा 154 CrPC के अधीन FIR दर्ज नहीं कर सकता है तथा वह CrPC के प्रावधानों के अधीन ऐसे अपराधों की जाँच नहीं कर सकता है।
- तद्नुसार अपील की अनुमति दी गई।
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 32 क्या है?
अपराधों का संज्ञान:
- इस अध्याय के अंतर्गत कोई भी अभियोजन तब तक स्थापित नहीं किया जाएगा जब तक कि-
- एक निरीक्षक, या
- केंद्र सरकार या राज्य सरकार का कोई भी राजपत्रित अधिकारी, जिसे केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में उस सरकार द्वारा दिए गए सामान्य या विशेष आदेश द्वारा लिखित रूप में अधिकृत किया गया हो, या
- व्यथित व्यक्ति, या
- एक मान्यता प्राप्त उपभोक्ता संघ, चाहे ऐसा व्यक्ति उस संघ का सदस्य हो या नहीं।
- इस अधिनियम में अन्यथा प्रदान किये गए प्रावधान के अतिरिक्त, सत्र न्यायालय से कमतर कोई भी न्यायालय इस अध्याय के अधीन दण्डनीय अपराध की सुनवाई नहीं करेगा।
- इस अध्याय में सम्मिलित किसी भी चीज़ को किसी भी व्यक्ति को किसी भी कार्य या चूक के लिये किसी अन्य विधि के अधीन अभियोजित करने से रोकने वाला नहीं माना जाएगा, जो इस अध्याय के अंतर्गत अपराध बनता है।