कोलकाता बलात्संग मामले में उच्चतम न्यायालय का निर्देश
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कोलकाता बलात्संग मामले में उच्चतम न्यायालय का निर्देश

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 21-Aug-2024

आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्संग एवं हत्या तथा इससे संबंधित मुद्दे

“देश ज़मीनी स्तर पर वास्तविक परिवर्तन के लिये बलात्संग या हत्या की प्रतीक्षा नहीं कर सकता।”

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा

स्रोत: उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक डॉक्टर के कथित बलात्संग एवं हत्या का स्वत: संज्ञान लिया तथा चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिये एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया।

  • उच्चतम न्यायालय ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्संग एवं हत्या तथा संबंधित मुद्दों के संबंध में इस मामले में कई निर्देश दिये।

मामले के तथ्य क्या हैं?

  • 9 अगस्त 2024 को कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 31 वर्षीय स्नातकोत्तर डॉक्टर की 36 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट के दौरान अस्पताल के सेमिनार रूम में हत्या कर दी गई तथा कथित तौर पर उसके साथ बलात्संग कारित किया गया।
  • इस घटना के बाद डॉक्टरों के संघों, छात्र निकायों एवं नागरिक समूहों द्वारा देशव्यापी विरोध एवं आंदोलन प्रारंभ हो गए।
  • 15 अगस्त 2024 को एक बड़ी भीड़ ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आपातकालीन वार्ड एवं अन्य विभागों में तोड़फोड़ की।
  • भारतीय चिकित्सा संघ ने 17 अगस्त 2024 को 24 घंटे के लिये देश भर में चिकित्सा सेवाएँ (आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर) बंद करने का आह्वान किया।
  • इस घटना ने भारत में डॉक्टरों एवं अन्य चिकित्सा पेशेवरों, विशेष रूप से महिलाओं के लिये संस्थागत सुरक्षा की कमी को उजागर किया, जो यौन एवं गैर-यौन हिंसा दोनों मामलों में उच्च जोखिम की श्रेणी में हैं।
  • कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अंवेषण ब्यूरो (CBI) को 13 अगस्त 2024 को जाँच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया।

न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ थीं?

  • गोपनीयता एवं गरिमा संबंधी चिंताएँ:
    • न्यायालय ने मीडिया में पीड़िता के नाम, फोटोग्राफ एवं मृतक के शरीर को दिखाने वाली वीडियो क्लिप के व्यापक प्रसार पर गहरी चिंता व्यक्त की।
  • महिलाओं के लिये समानता का अधिकार:
    • न्यायालय ने कहा कि काम की सुरक्षित परिस्थितियों को बनाए रखना हर कामकाजी पेशेवर के लिये अवसर की समानता को साकार करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • यह केवल डॉक्टरों की सुरक्षा का मामला नहीं है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के रूप में उनकी सुरक्षा एवं कल्याण राष्ट्रीय हित का विषय है।
    • न्यायालय ने आगे कहा कि देश ज़मीनी स्तर पर वास्तविक बदलाव के लिये बलात्संग या हत्या की प्रतीक्षा नहीं कर सकता।
  • मामले का प्रारंभिक निपटान:
    • न्यायालय ने मामले को लेकर राज्य सरकार के रवैये पर प्रश्न किये, विशेषकर घटना को आत्महत्या सिद्ध करने की प्रारंभिक प्रयास और माता-पिता को शव देखने की अनुमति देने में विलंब पर।
    • न्यायालय ने प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के समय पर चिंता जताई, जो कि देर रात को दर्ज की गई, जबकि शव परीक्षण दिन में ही कर लिया गया था।
  • अस्पताल सुरक्षा एवं गुंडागर्दी:
    • न्यायालय ने विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल में हुई तोड़फोड़ को रोकने एवं उससे निपटने में राज्य की अक्षमता की आलोचना की।
    • न्यायाधीशों ने इस बात पर अविश्वास व्यक्त किया कि पुलिस की जानकारी या संलिप्तता के बिना 7,000 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो सकती है।
  • सुरक्षा संबधी उपाय:
    • सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण, न्यायालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को अस्पताल एवं छात्रावास को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया।
  • विवेचना की स्थिति:
    • न्यायालय ने CBI (मुख्य मामले के संबंध में) एवं पश्चिम बंगाल राज्य (गुंडागर्दी की विवेचना के संबंध में) दोनों को 22 अगस्त 2024 तक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

नेशनल टास्क फोर्स के गठन पर न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ हैं?

  • उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों एवं कल्याण से संबंधित अनुशंसाएँ तैयार करने के लिये चिकित्सा पेशेवरों एवं पदेन सदस्यों से मिलकर एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया।
  • NTF को दो श्रेणियों में वर्गीकृत एक कार्य योजना तैयार करने का काम सौंपा गया है:
    • चिकित्सा पेशेवरों के विरुद्ध लिंग आधारित हिंसा सहित हिंसा को रोकना
    • सभी चिकित्सा पेशेवरों के लिये सम्मानजनक एवं सुरक्षित कार्य स्थितियों के लिये एक लागू करने योग्य राष्ट्रीय प्रोटोकॉल प्रदान करना
  • न्यायालय ने NTF के लिये विचार करने हेतु विशिष्ट क्षेत्रों की प्रारूप तैयार की, जिसमें सुरक्षा उपाय, अवसंरचना विकास, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं का रोज़गार, प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं यौन हिंसा की रोकथाम शामिल हैं।
  • NTF को तीन सप्ताह के अंदर एक अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के अंदर एक अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
  • सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार को एक महीने के अंदर अस्पताल की सुरक्षा तथा सुविधाओं के विभिन्न पहलुओं पर डेटा एकत्र करने और प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।