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संवेदनशील साक्षी का अभिसाक्ष्य केंद्र

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 19-Jan-2024

स्मृति तुकाराम बडाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य

"उच्च न्यायालयों को संवेदनशील साक्षी का अभिसाक्ष्य केंद्र (VWDC) स्थापित करने के निर्देश।"

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा

स्रोत: उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उच्च न्यायालयों को संवेदनशील साक्षी का अभिसाक्ष्य केंद्र (VWDC) स्थापित करने के निर्देश दिये।

  • उच्चतम न्यायालय ने स्मृति तुकाराम बडाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य के मामले में यह टिप्पणी दी।

स्मृति तुकाराम बडाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • वर्ष 2018 के निर्णय पर विविध आवेदन:
    • उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र राज्य बनाम बंदू @ दौलत, (2018) के मामले में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ द्वारा जारी निर्देशों पर कोर्टरूम स्थापित करने के लिये देश के प्रत्येक ज़िले में संवेदनशील साक्षी केंद्र स्थापित करने के लिये एक विविध आवेदन पर सुनवाई कर रहा था।
  • वर्ष 2022 के निर्णय में विस्तृत दिशा-निर्देश:
    • आवेदन में स्मृति तुकाराम बडाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य (2022) के मामले में न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ द्वारा दिये गए निर्देशों का भी उल्लेख किया गया है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • उच्चतम न्यायालय ने अपनी पूर्व निर्णयों और VWDC के लिये निर्देश जारी करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

संवेदनशील साक्षी के अभिसाक्ष्य केंद्र के लिये उच्चतम न्यायालय द्वारा क्या निर्देश दिये गए हैं?

  • अवधि विस्तार:
    • चूँकि वर्तमान में VWDC की स्थापना एवं निगरानी का काम चल रहा है, इसलिये न्यायालय ने जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय सुश्री न्यायमूर्ति गीता मित्तल की नियुक्ति की अवधि 31 जुलाई, 2024 तक बढ़ा दी है।
  • समाप्ति की समय सीमा:
    • न्यायालय ने सभी उच्च न्यायालयों को सभी ज़िलों में VWDC स्थापित करने के लिये आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।
    • यह कार्य 30 अप्रैल, 2024 तक या उससे पहले पूरा किया जाएगा।
  •  ताज़ा स्थिति रिपोर्ट:
    •  समिति के अध्यक्ष तद्नुसार एक नई अद्यतन स्थिति रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं और अनुपालन की स्थिति का संकेत देते हुए मई, 2024 के पहले सप्ताह तक इसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।
  •  दो उच्च न्यायालयों द्वारा अभी भी इसे कार्यान्वित न किया जाना:
    •  न्यायालय का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया गया है कि दो उच्च न्यायालयों ने अभी तक न्यायमूर्ति गीता मित्तल द्वारा प्रसारित वर्ष 2022 के मॉडल के आधार पर VWDC दिशानिर्देशों को लागू नहीं किया है।
    •  जहाँ तक सिविल मामलों का सवाल है, ओडिशा राज्य ने अभी तक इसके दिशानिर्देशों को लागू नहीं किया है।
    •  संवेदनशील साक्षी की विस्तारित परिभाषा के संदर्भ में, तमिलनाडु राज्य ने कोई कार्रवाई नहीं की है। उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति गीता मित्तल को इस तथ्य को इस आदेश की प्रति के साथ ओडिशा और मद्रास के उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल का ध्यान आकर्षित करने की अनुमति दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों उच्च न्यायालय 30 अप्रैल, 2024 को या उससे पहले सकारात्मक रूप से आवश्यक कदम उठाएँ।

वर्ष 2022 के निर्णय में उच्चतम न्यायालय द्वारा क्या निर्देश दिये गए थे?

  • संवेदनशील साक्षी की विस्तारित परिभाषा:
    • यौन उत्पीड़न के आयु-तटस्थ पीड़ित शामिल किये गए।
    • लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) के तहत लिंग-तटस्थ पीड़ितों को शामिल किया गया।
    • भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 377 के तहत यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की उम्र और लिंग-तटस्थता को कवर किया गया है।
    • इसमें मानसिक बीमारी, खतरे की अनुभूति, बोलने या सुनने में अक्षमता या अन्य निःशक्तता वाले साक्षी शामिल हैं।x`
  •  संवेदनशील साक्षी का अभिसाक्ष्य केंद्र (VWDC) की स्थापना:
    • उच्च न्यायालयों को इस निर्णय की तिथि से दो महीने के भीतर एक VWDC योजना को अपनाने और अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया था।
    •  जिन उच्च न्यायालयों के पास पहले से ही VWDC योजनाएँ मौजूद हैं, उन्हें वर्तमान आदेश में बताए गए दिशानिर्देशों के अनुरूप उपयुक्त संशोधन करने पर विचार करने का सुझाव दिया गया था।
    •  पर्यवेक्षण और आवधिक मूल्यांकन के लिये इन-हाउस स्थायी VWDC समिति का निर्माण किया गया।
  •  लागत अनुमान और फंडिंग:
    • उच्च न्यायालयों को तीन महीने के भीतर VWDC स्थापित करने की लागत का अनुमान लगाने का निर्देश दिया गया था।
    •  राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर धनराशि की मंज़ूरी और वितरण में तेज़ी लाने का निर्देश दिया गया।
  • अखिल भारतीय VWDC प्रशिक्षण कार्यक्रम:
    •  न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति को प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करने का निर्देश दिया गया।
    • उच्च न्यायालयों को सहयोग करने और समिति को राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) तथा राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (SLSA) के साथ जुड़ने का निर्देश दिया गया।
  •  अनुपालन एवं निगरानी :
    • न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक ज़िला न्यायालय को इस आदेश की तिथि से चार महीने के भीतर कम-से-कम एक स्थायी VWDC रखना होगा।
    • सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को अनुपालन निगरानी के लिये उचित कदम उठाने के लिये कहा गया।
  • समन्वय और समर्थन:
    •  महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को समन्वय के लिये एक नोडल अधिकारी नामित करने का निर्देश दिया गया।
    •  समिति अध्यक्ष के परामर्श से उच्च न्यायालयों को उचित प्रशिक्षण के लिये विशेषज्ञों को भर्ती करने का निर्देश दिया गया था।
  • तार्किक और वित्तीय सहायता:
    •  उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मानदेय सहित व्यय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वहन किया जाएगा।
    • उच्चतम न्यायालय ने समिति अध्यक्ष को ज़रूरत पड़ने पर निर्देश मांगने का अधिकार दिया