यूरोपीय यूनियन: चैट कंट्रोल लेजिस्लेशन
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अंतर्राष्ट्रीय नियम

यूरोपीय यूनियन: चैट कंट्रोल लेजिस्लेशन

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 25-Jun-2024

स्रोत: द हिंदू

परिचय:

ऑनलाइन बाल यौन शोषण से निपटने के उद्देश्य से यूरोपीय संघ (EU) द्वारा प्रस्तावित 'चैट कंट्रोल’ विधि ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। जबकि कुछ देश इसका समर्थन करते हैं, वहीं फ्राँस, जर्मनी एवं पोलैंड जैसे अन्य देश विधेयक के उन हिस्सों का विरोध करते हैं जो गोपनीयता से समझौता कर सकते हैं, विशेष रूप से निजी संदेशों को स्कैन करने की क्षमता।

  • प्रौद्योगिकी कंपनियों एवं गोपनीयता के समर्थकों ने भी कड़ी आपत्ति जताते हुए यह तर्क दिया है कि यह विधि ऑनलाइन गोपनीयता को कमज़ोर कर सकता है तथा सरकारी निगरानी के लिये सम्भवतः एक अलग मार्ग खोल सकता है।

EU क्या है?

  • EU 27 यूरोपीय देशों का एक राजनीतिक एवं आर्थिक संघ है।
  • इनमें से 19 देश यूरो को अपनी आधिकारिक मुद्रा के रूप में प्रयोग करते हैं। 8 EU सदस्य (बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्वीडन) यूरो का उपयोग नहीं करते हैं।
  • EU का उदय यूरोपीय देशों के मध्य सदियों से चले आ रहे युद्ध को समाप्त करने के लिये एक एकल यूरोपीय राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा से हुआ, जिसकी परिणति द्वितीय विश्व युद्ध के साथ हुई तथा जिसने महाद्वीप के अधिकांश हिस्से को तबाह कर दिया।
  • यह एकल बाज़ार के रूप में कार्य करता है, जो सदस्य देशों के मध्य माल, पूंजी, सेवाओं एवं लोगों की मुक्त आवागमन की अनुमति देता है।
  • यूरोपीय संघ की अपनी स्वयं की शासी संस्थाएँ हैं, जिनमें यूरोपीय संसद भी शामिल है तथा यह कई क्षेत्रों में ऐसे विधियों का निर्माण करती है जो सभी सदस्य देशों पर लागू होते हैं।

यूरोपीय संघ के गठन एवं उद्भव का क्या कारण था?

  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आर्थिक सहयोग के माध्यम से भविष्य के संघर्षों को रोकने के लिये यूरोपीय संघ का गठन किया गया।
  • वर्ष 1952 में यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय (ECSC) से शुरू होकर, पेरिस संधि (1951) के अंतर्गत इसकी स्थापना की गई, जिसमें छह देश सम्मिलित थे।
  • वर्ष 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) का निर्माण किया गया।
  • धीरे-धीरे सदस्यता का विस्तार हुआ और विभिन्न संधियों के माध्यम से आगे एकीकरण हुआ।
  • मास्ट्रिच संधि (1992) ने आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ का निर्माण किया, जिस पर 7 फरवरी 1992 को नीदरलैंड के मास्ट्रिच में यूरोपीय समुदाय के सदस्यों द्वारा यूरोपीय एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिये हस्ताक्षर किये गए थे।
    • शीत युद्ध की समाप्ति के साथ इसे एक बड़ा धक्का लगा।
  • यूरो संकट (2008) और ब्रेक्जिट (2016) जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  • वर्ष 2012 में, यूरोपीय संघ को यूरोप में शांति व सुलह, लोकतंत्र एवं मानवाधिकारों की उन्नति में योगदान देने के लिये नोबेल शांति पुरस्कार मिला।

यूरोपीय संघ के उद्देश्य क्या हैं?

  • सदस्य देशों के मध्य शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देना
  • एकल बाज़ार के माध्यम से आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करना
  • सामाजिक प्रगति एवं समानता को बढ़ावा देना
  • नागरिकों के अधिकारों एवं स्वतंत्रता की रक्षा करना
  • एक सामान्य विदेश एवं सुरक्षा नीति स्थापित करना
  • न्याय एवं गृह मामलों के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करना
  • वैश्विक नेता के रूप में यूरोपीय संघ की भूमिका को बनाए रखना और उसका निर्माण करना
  • यूरोपीय मूल्यों एवं संस्कृति को बढ़ावा देना
  • पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाना एवं जलवायु परिवर्तन से निपटना
  • वैज्ञानिक एवं तकनीकी उन्नति को प्रोत्साहित करना

यूरोपीय संघ के क्या कार्य हैं?

  • आर्थिक एकीकरण: सदस्य देशों के मध्य वस्तुओं, सेवाओं एवं श्रम के मुक्त प्रवाह को सक्षम बनाता है।
  • एकल मुद्रा: यूरो आसान व्यापार एवं आर्थिक सहयोग की सुविधा देता है।
  • वित्तीय सहायता: सदस्य देशों के मध्य ऋण एवं बेलआउट की अनुमति देता है।
  • साझा मानक: मानवाधिकारों एवं पर्यावरण पर साझा नीतियों को बढ़ावा देता है।
  • राजनीतिक प्रभाव: सहायता के बदले में सदस्य देशों पर शर्तें लगा सकता है।
  • संतुलन अधिनियम: राष्ट्रीय संप्रभुता को संरक्षित करते हुए आर्थिक एकता का लक्ष्य।
  • वैश्विक व्यापार में अग्रणी: सबसे बड़ा व्यापार समूह, जो आंतरिक एवं वैश्विक स्तर पर मुक्त व्यापार के लिये प्रतिबद्ध है।
  • मानवीय प्रयास: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख दानकर्त्ता, जो प्रतिवर्ष लाखों लोगों की सहायता करता है।
  • राजनयिक भूमिका: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता, लोकतंत्र एवं विधि के शासन को बढ़ावा देने के लिये कार्य करता है।
  • लक्ष्य: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के एक मॉडल के रूप में विकसित होने का प्रयास जारी है।

भारत के साथ यूरोपीय संघ के संबंध कितने सौहार्दपूर्ण हैं?

  • यूरोपीय संघ शांति को बढ़ावा देने, रोज़गार सृजन, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा देश भर में सतत् विकास को बढ़ाने के लिये भारत के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • भारत निम्न आय वाले देश की श्रेणी से मुक्त होकर मध्यम आय वाले देश (OECD 2014) के रूप में ख्याति प्राप्त की तथा यूरोपीय संघ-भारत भी पारंपरिक वित्तीय सहायता के द्वारा परस्पर प्राथमिकताओं पर केंद्रित करने वाली साझेदारी की ओर विकसित हुआ।
  • वर्ष 2017 के यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन में, नेताओं ने सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 के कार्यान्वयन पर सहयोग को मज़बूत करने के अपने आशय को दोहराया तथा यूरोपीय संघ-भारत विकास वार्ता को जारी रखने के लिये सहमति व्यक्त की।
  • यूरोपीय संघ वर्ष 2019-20 में वस्तुओं के मामले में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जो चीन एवं अमेरिका से आगे था, जिसका कुल व्यापार 90 बिलियन अमरीकी डॉलर के करीब था।
  • भारत-यूरोपीय संघ द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश समझौता (BTIA): यह भारत एवं यूरोपीय संघ के मध्य एक मुक्त व्यापार करार है, जिसे वर्ष 2007 में प्रारंभ किया गया था।
    • हाल ही में भारत एवं यूरोपीय संघ ने नई दिल्ली में भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश करार के लिये वार्ता का पहला दौर पूरा किया।
    • वार्ता का दूसरा दौर सितंबर 2022 में ब्रुसेल्स में होने वाला है।
    • BTIA पर हस्ताक्षर के साथ, भारत एवं यूरोपीय संघ अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वस्तुओं व सेवाओं के व्यापार एवं निवेश में बाधाओं को दूर करके द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की आशा करते हैं।

यूरोपीय संघ के चैट कंट्रोल लेजिस्लेशन की क्या स्थिति है?

  • यूरोपीय संघ के 'चैट कंट्रोल’ लेजिस्लेशन के नए प्रारूप की समीक्षा 30 जून को की जाएगी।
  • नया संस्करण साझा किये गए फोटो, वीडियो एवं लिंक को स्कैन करने पर केंद्रित है, न कि टेक्स्ट संदेश या ऑडियो पर।
  • स्कैन करने से पहले उपयोगकर्त्ता की सहमति लेने की योजना है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह वास्तविक विकल्प नहीं है।
  • यदि उपयोगकर्त्ता स्कैनिंग के लिये सहमत नहीं हैं, तो वे चित्र, वीडियो या लिंक भेजने या प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।
  • यूरोपीय संघ ने पहले भी कभी-कभी इस तरह के नियमों में अपवाद बनाए हैं।
  • नवंबर 2023 में, यूरोपीय संघ ने कुछ ऑनलाइन सेवाओं को बाल दुर्व्यवहार सामग्री के लिये संदेशों को स्कैन करने की अनुमति दी।
  • यूरोपीय संघ ने पहले भी यदा-कदा इस प्रकार के नियमों में अपवाद बनाए हैं।
  • नवंबर 2023 में, यूरोपीय संघ ने कुछ ऑनलाइन सेवाओं को बाल दुर्व्यवहार सामग्री के लिये संदेशों को स्कैन करने की अनुमति दी।
    • यह नियम अगस्त में समाप्त हो रहा है तथा इसकी समय-सीमा की योजना फरवरी में रोक दी गई थी।
    • सिग्नल एप के संस्थापक का कहना है कि ये परिवर्तन मात्र औपचारिकता हैं।
  • कुछ विशेषज्ञों को चिंता है कि यदि यूरोपीय संघ ऐसा करता है, तो इससे छोटे लोकतांत्रिक देशों को भी निगरानी बढ़ाने के लिये प्रोत्साहन मिल सकता है।

प्रस्तावित लेजिस्लेशन के विरुद्ध प्रमुख तर्क क्या हैं?

  • इन्क्रिप्शन में सुरक्षा का अभाव: आलोचकों का तर्क है कि यह लेजिस्लेशन प्रभावी रूप से एंड-टू-एंड इन्क्रिप्शन को तोड़ता है, जो डिजिटल गोपनीयता की आधारशिला है।
  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: निजी संदेशों को स्कैन करने से बड़े पैमाने पर निगरानी एवं डेटा संग्रह हो सकता है।
  • दुरुपयोग की संभावना: सरकारें इस तकनीक का उपयोग राजनीतिक सामग्री की निगरानी के लिये कर सकती हैं, जिससे स्वतंत्र भाषण एवं आभिव्यक्ति को खतरा हो सकता है।
  • सुरक्षा जोखिम: इन्क्रिप्शन को कमज़ोर करने से उपयोगकर्त्ता हैकिंग एवं डेटा उल्लंघनों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
  • मिथ्या सकारात्मकता: दोषमुक्त सामग्री को दोषपूर्ण तरीके से बाल यौन शोषण सामग्री के रूप में चिह्नित किये जाने का जोखिम है।
  • सेवा वापसी: सिग्नल जैसे कुछ ऐप इन नियमों का पालन करने के बजाय यूरोपीय संघ छोड़ सकते हैं।
  • वैश्विक निहितार्थ: यह लेजिस्लेशन भारत जैसे अन्य देशों में इसी तरह के उपायों के लिये एक न्यायिक पूर्वनिर्णय का आधार बन सकता है।
  • तकनीकी सीमाएँ: विशेषज्ञ ज़ोर देते हैं कि इन्क्रिप्शन से समझौता किये बिना निगरानी की अनुमति देने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • उपयोगकर्त्ता की सहमति से जुड़े मुद्दे: जबकि लेजिस्लेशन में उपयोगकर्त्ता की सहमति की आवश्यकता होती है, लेकिन मना करने से तात्पर्य है कि प्रमुख सुविधाओं खो देना।
  • असंगत प्रभाव: लेजिस्लेशन कुछ अपराधियों को पकड़ने के लिये सभी उपयोगकर्त्ताओं के गोपनीयता अधिकारों को हानि पहुँचा सकता है।
  • वैकल्पिक समाधान: आलोचकों का तर्क है कि सभी की गोपनीयता से समझौता किये बिना बाल शोषण से निपटने के लिये बेहतर प्रावधान हैं।

निष्कर्ष:

  • यूरोपीय संघ का प्रस्तावित 'चैट नियंत्रण' लेजिस्लेशन डिजिटल गोपनीयता अधिकारों के साथ बाल संरक्षण को संतुलित करने में एक जटिल चुनौती प्रस्तुत करता है। ऑनलाइन बाल यौन शोषण से निपटने के उद्देश्य से, इस लेजिस्लेशन ने इन्क्रिप्शन एवं गोपनीयता को कमज़ोर करने की अपनी क्षमता के कारण महत्त्वपूर्ण विवाद को जन्म दिया है। प्रमुख चिंताओं में बड़े पैमाने पर निगरानी का जोखिम, सरकारी दुरुपयोग की संभावना एवं वैश्विक स्तर पर इसके द्वारा स्थापित की जाने वाली पूर्वनिर्णय शामिल हैं। जैसे-जैसे प्रस्ताव विकसित होता जा रहा है, यह ऐसे दूरगामी डिजिटल विनियमों के लाभों एवं जोखिमों दोनों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता को उजागर करता है। चल रही बहस डिजिटल युग में गोपनीयता के मूल अधिकार से समझौता किये बिना बच्चों को ऑनलाइन प्रभावी ढंग से सुरक्षा प्रदान करने वाले समाधान को खोजने में कठिनाई को रेखांकित करती है।