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अंतर्राष्ट्रीय कानून
मुक्त व्यापार समझौता
« »21-May-2024
स्रोत: द हिंदू
परिचय:
भारत ने हाल ही में यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ एक ऐतिहासिक व्यापार समझौता किया है, EFTA में आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं। इस उपलब्धि के बीच, भारत के लिये विशेष रूप से, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा विदेशी निवेश विधियों के संबंध में सुपरिभाषित मुक्त व्यापार समझौता नीति की आवश्यकता में वृद्धि हो रही है। वैश्विक व्यापार गतिशीलता की जटिलताओं को कम करने तथा व्यापारिक भागीदारों के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये ऐसी नीतिगत रूपरेखा महत्त्वपूर्ण है।
EFTA समझौते की पृष्ठभूमि क्या है?
- मार्च में, भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ एक महत्त्वपूर्ण व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया, EFTA में आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं।
- इसे व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (FTA) कहा जाता है, इसका उद्देश्य भारत तथा EFTA सदस्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है, इस में पर्यावरण एवं श्रम मानकों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो पिछले समझौतों से हटकर है।
- अर्थशास्त्री बिस्वजीत धर ने व्यापार वार्ता में इस समझौते के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण और श्रम संबंधी विचारों को एकीकृत करने की दिशा में भारत के बदलाव पर ज़ोर दिया।
- FTA सभी भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने का वादा करता है।
- हाल के FTA से अलग, भारत-EFTA समझौते में एक विस्तृत निवेश अध्याय सम्मिलित है, जो सुविधाओं को अधिक प्राथमिकता देता है।
- उल्लेखनीय प्रतिबद्धताओं में EFTA देशों का लक्ष्य आगामी 15 वर्षों में भारत में FDI को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाना और इन लक्ष्यों का वास्तविकता में क्रियान्वयन करते हुए दस लाख नौकरियों के सृजन की सुविधा प्रदान करना शामिल है।
मुक्त व्यापार समझौता क्या है?
- परिचय:
- एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA), दो या दो से अधिक देशों या क्षेत्रों के बीच आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने तथा देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ व्यापार में बाधाओं, जैसे टैरिफ और कोटा को कम करने या समाप्त करने के लिये किया गया एक समझौता है।
- FTA को सामान्यतः आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, नौकरियाँ उत्पन्न करने, प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने तथा उपभोक्ताओं को कम कीमतों पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं तथा सेवाओं तक पहुँच प्रदान करने के लिये विकसित किया गया है।
- भारत विभिन्न मुक्त व्यापार समझौतों में सम्मिलित है, जिसमें दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA), दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) मुक्त व्यापार क्षेत्र, भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) तथा मुक्त व्यापार समझौते के लिये, अन्य देशों के अतिरिक्त यूरोपीय संघ के साथ बातचीत शामिल है।
- यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ (EU) जैसे देशों के साथ भारत की FTA के लिये बातचीत भारत में चल रहे संसदीय चुनावों के कारण रुकी हुई प्रतीत होती है।
- मुक्त व्यापार समझौते की प्रमुख विशेषता:
- सीमा शुल्क (टैरिफ) में कमी या उन्मूलन:
- FTA में, अक्सर भाग लेने वाले देशों के बीच व्यापार किये जाने वाले सामानों पर टैरिफ (आयात पर कर) को कम करना या समाप्त करना शामिल होता है।
- बाज़ार तक पहुँच:
- FTA का लक्ष्य गैर-टैरिफ बाधाओं, जैसे आयात कोटा, लाइसेंसिंग आवश्यकताओं तथा तकनीकी मानकों को कम करके वस्तुओं और सेवाओं के लिये बाज़ार पहुँच में सुधार करना है।
- व्यापार सुविधा:
- FTA में सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, प्रलेखीकरण आवश्यकताओं को सरल बनाने तथा सीमा पार व्यापार से जुड़ी लागत एवं समय को कम करने के लिये व्यापार सुविधा उपायों को बढ़ाने के प्रावधान शामिल हो सकते हैं।
- निवेश सुरक्षा:
- FTA में विदेशी निवेश की सुरक्षा के प्रावधान शामिल हैं, जैसे बिना मुआवज़े के स्वामित्व के विरुद्ध सुरक्षा उपाय तथा निवेश विवादों को हल करने के लिये विधिक तंत्र।
- बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR):
- नवाचार को बढ़ावा देने और रचनाकारों (creators) तथा नवप्रवर्तकों (innovators) के हितों की रक्षा के लिये FTA पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क एवं व्यापार रहस्य सहित बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण करते हैं।
- सेवा व्यापार:
- कुछ FTA में नियामक बाधाओं को कम करके और बाज़ार पहुँच में सुधार कर वित्तीय, दूरसंचार तथा पेशेवर सेवाओं जैसे सेवा व्यापार को सुगम बनाने के प्रावधान शामिल हैं।
- श्रम और पर्यावरण मानक:
- आधुनिक FTA में श्रम अधिकारों तथा पर्यावरण मानकों से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यापार का उदारीकरण, श्रमिकों के अधिकारों अथवा पर्यावरण को हानि नहीं पहुँचाता है।
- सीमा शुल्क (टैरिफ) में कमी या उन्मूलन:
मुक्त व्यापार समझौते के संदर्भ में भारत की स्थिति क्या है?
भारत ने व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न देशों और क्षेत्रीय समूहों के साथ कई मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) किये हैं। भारत से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण FTA निम्नलिखित हैं:
- आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र (AIFTA):
- वर्ष 2009 में हस्ताक्षरित, इस समझौते का उद्देश्य भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के सदस्य देशों ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड तथा वियतनाम के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देना है। इसमें कृषि, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेवाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
- भारत-जापान व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA):
- वर्ष 2011 में हस्ताक्षरित इस समझौते का उद्देश्य भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देना है। इसमें वस्तुओं, सेवाओं और व्यापार में निवेश शामिल है तथा इसमें टैरिफ कटौती, उत्पत्ति के नियम एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- भारत-कोरिया व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA):
- वर्ष 2009 में हस्ताक्षरित इस समझौते का उद्देश्य भारत और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देना है। इसमें वस्तुओं, सेवाओं और व्यापार में निवेश शामिल है तथा इसमें टैरिफ कटौती, उत्पत्ति के नियम एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- भारत-मलेशिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA):
- वर्ष 2011 में हस्ताक्षरित इस समझौते का उद्देश्य भारत और मलेशिया के बीच व्यापार तथा निवेश संबंधों को बढ़ाना है। इसमें वस्तुओं, सेवाओं और व्यापार में निवेश शामिल है तथा इसमें टैरिफ कटौती, उत्पत्ति के नियम एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- भारत-सिंगापुर व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA):
- वर्ष 2005 में हस्ताक्षरित इस समझौते का उद्देश्य भारत और सिंगापुर के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत करना है। इसमें वस्तुओं, सेवाओं और व्यापार में निवेश शामिल है तथा इसमें टैरिफ कटौती, उत्पत्ति के नियम एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
- वर्ष 2009 में हस्ताक्षरित इस FTA का उद्देश्य भारत और आसियान सदस्य देशों के बीच व्यापार तथा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें वस्तुओं, सेवाओं और व्यापार में निवेश शामिल है तथा इसमें टैरिफ कटौती, उत्पत्ति के नियम एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- ये समझौते आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने, बाज़ार पहुँच को सुविधाजनक बनाने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिये विकसित किये गए हैं, जिससे भारत तथा उसके व्यापारिक भागीदार देशों के व्यवसायों एवं उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
भारत द्वारा हस्ताक्षरित अन्य प्रमुख व्यापार समझौते क्या हैं?
FTAs/PTAs |
भागीदार देश |
|
AIFTA |
ASEAN-भारत मुक्त व्यापार समझौता |
ब्रुनेई, दार उस सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम |
IJCEPA |
भारत जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता |
जापान |
SAPTA |
अधिमान्य व्यापार समझौता |
अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका। (नेपाल के लिये पहले से ही अधिमन्य) |
APTA |
एशिया प्रशांत व्यापार समझौता |
बांग्लादेश, चीन, लाओस, कोरिया गणराज्य, श्रीलंका |
ISLFTA |
भारत श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता |
श्रीलंका |
निष्कर्ष:
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के साथ भारत का हालिया ऐतिहासिक व्यापार समझौता एक सुपरिभाषित मुक्त व्यापार समझौता नीति के महत्त्व को रेखांकित करता है। पर्यावरण और श्रम मानकों पर केंद्रित यह समझौता भारत की व्यापार वार्ता रणनीति में बदलाव का प्रतीक है। सुविधाओं को प्राथमिकता देने वाले एक विस्तृत निवेश अध्याय के साथ, इस समझौते का उद्देश्य भविष्य के समझौतों के लिये एक उदाहरण स्थापित करते हुए आर्थिक संबंधों को मज़बूत करना तथा सतत् विकास को बढ़ावा देना है।