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श्रम कानून

4 श्रम संहिताओं का कार्यान्वयन अवरुद्ध

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 20-Sep-2023

परिचय-

  • देश में विभिन्न श्रम कानूनों को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से भारतीय संसद ने वर्ष 2019 में एक श्रम संहिता विधेयक और सितंबर, 2020 में तीन श्रम संहिता विधेयक पारित किये।
  • भारत की केंद्र सरकार ने 29 जटिल श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समेकित किया है, जिसमें वेतन संहिता अधिनियम, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता विधेयक, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2020 शामिल हैं।
  • सरकार का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2024, अर्थात् अप्रैल, 2023 तक संहिता को लागू करना है।
  • ये सरकार द्वारा पूर्वानुमानित आर्थिक सुधारों का हिस्सा हैं।

संहिताओं द्वारा लाए गए कुछ प्रमुख परिवर्तन

  • यह श्रमिकों के हड़ताल पर जाने के अधिकार पर नई शर्तें लागू करता है।
    • आकस्मिक हड़ताल (Flash Strike) गैरकानूनी होगी।
    • यूनियनों को हड़ताल पर जाने से पूर्व 60 दिन का नोटिस देना होगा।
    • यदि कार्यवाही किसी श्रम न्यायाधिकरण या राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित है, तो कर्मचारी उनके समापन के पश्चात् 60 दिनों तक हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं
  • उपरोक्त शर्तें सभी उद्योगों पर लागू होंगी।
  • महिलाओं को सुरक्षा और सहमति के आधार पर सभी प्रकार के प्रतिष्ठानों में और रात में (शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच) रोज़गार की अनुमति दी जाएगी।

कानूनी प्रावधान

  • वेतन संहिता अधिनियम, 2019:
    • यह संहिता वर्ष 2019 में संसद द्वारा पारित की गई, जो 1 अप्रैल, 2020 से लागू हुई।
    • संहिता द्वारा प्रतिस्थापित कानूनों का उल्लेख नीचे किया गया है: -
      • न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948
      • मज़दूरी संदाय अधिनियम, 1936
      • बोनस संदाय अधिनियम, 1965
      • समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
    • संहिता में उल्लेख है, कि भारत सरकार श्रमिकों के जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए एक न्यूनतम मज़दूरी तय करेगी
    • संहिता के उल्लंघन में अधिकतम सजा, तीन महीने की कैद के साथ 1 लाख रुपए का ज़ुर्माना, का प्रावधान है।
  • औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020:
    • उपर्युक्त संहिता को 28 सितंबर, 2020 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई।
    • किसी प्रतिष्ठान में स्थायी आदेश के लिये नियोजित श्रमिकों की न्यूनतम संख्या 100 से बढ़ाकर 300 कर दी गई है।
    • यह श्रमिकों को 60 दिन का नोटिस दिये बिना और न्यायाधिकरण या राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही लंबित होने के दौरान हड़ताल पर जाने से रोकता है।
    • छँटनी किये गए कामगारों को प्रशिक्षण देने के लिये एक री-स्किलिंग फंड स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2020:
    • संहिता को 23 सितंबर, 2020 को राज्यसभा में पारित किया गया और 28 सितंबर, 2023 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई।
    • कर्मचारियों की परिभाषा में अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिक, निर्माण श्रमिक, फिल्म उद्योग श्रमिक और लेबर फोरम शामिल हैं।
    • कामकाजी पत्रकारों के लिये ग्रेच्युटी अवधि 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष कर दी गई है।
    • असंगठित श्रमिकों, प्लेटफॉर्म श्रमिकों और गिग श्रमिकों के लिये एक सामाजिक सुरक्षा कोष स्थापित किया जा सकता है।
    • संहिता में राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की स्थापना के प्रस्ताव का उल्लेख है।
  • व्यावसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थितियाँ संहिता विधेयक, 2020:
    • संहिता को 23 सितंबर, 2020 को राज्यसभा में पारित किया गया और 28 सितंबर, 2023 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई।
    • संहिता की प्रयोज्यता नीचे उल्लिखित है: -
      • वह स्थान जहाँ कोई उद्योग, व्यापार, व्यवसाय, विनिर्माण या व्यवसाय संचलित किया जाता हो जिसमें 10 या अधिक श्रमिक कार्यरत हों; या
      • एक मोटर परिवहन उपक्रम, समाचार पत्र प्रतिष्ठान, ऑडियो-वीडियो उत्पादन, भवन और अन्य निर्माण कार्य या बागान, जिसमें 10 या अधिक श्रमिक कार्यरत हैं; या
      • वह कारखाना जिसमें 10 या अधिक श्रमिक कार्यरत हों; या
      • एक खदान, बंदरगाह या उसके आसपास जहाँ गोदी (Docks) का काम किया जाता है।
    • कोई व्यक्ति जो एक राज्य से दूसरे राज्य में आता है, रोज़गार प्राप्त करता है और प्रति माह 18000 रुपये तक कमाता है, उसे अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिक कहा जाता है।
    • सभी प्रकार के प्रतिष्ठानों में और रात में (शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच) महिलाओं का रोज़गार महिलाओं की सुरक्षा तथा सहमति पर निर्भर करेगा।

नवीन श्रम संहिताओं के लाभ

  • यह 29 केंद्रीय कानूनों को समेकित करके श्रम कानूनों के सरलीकरण का प्रावधान करता है।
  • यह व्यवसायों के लिये परिभाषा और अधिकारों की बहुलता को कम करेगा।
  • यह आसान विवाद समाधान प्रदान करेगा।
  • इससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और कारोबार करना आसान हो जाएगा।
  • यह लचीलेपन और सुरक्षा मानकों को बढ़ाएगा और लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा।

नवीन श्रम संहिताओं की आलोचना

  • आलोचकों को ये संहिता मज़दूर विरोधी लगती है।
  • बदलावों से उन कंपनियों की संख्या और प्रकार में वृद्धि होगी, जो सरकारी स्वीकृति के बिना कर्मचारियों को नौकरी से निकाल सकेंगी।
  • यूनियनों द्वारा हड़ताल कैसे बुलाई जा सकती है, उनके लिये यह नए मानदंड लागू करता है।
  • यह उन नियमों को खारिज करता है जो महिलाओं को नाईट शिफ्ट में काम करने से रोकते हैं।
  • यह नवीन सामाजिक-सुरक्षा व्यवस्था का परिचय देता है।
  • छोटे स्टार्टअप, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) में कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिये कोई विशेष प्रावधान प्रदान नहीं किया गया है।
  • अदृश्य श्रम के लिये कोई मान्यता नहीं
    • इस प्रकार का कार्य घर का प्रबंधन करने जैसा अदृश्य, अवैतनिक और अनियमित होता है।

निष्कर्ष-

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, कई बार उच्च सकल घरेलू उत्पाद (GDP) समाज के सबसे निम्न वर्ग को उच्च आय के अवसर प्राप्त नहीं हो पाते हैं। इसके लिये बेहतर गुणवत्ता वाली आजीविका और बेहतर कामकाजी स्थितियाँ प्रदान करने हेतु रोज़गार और श्रम नीतियों में भी बदलाव होना चाहिये। हालाँकि इसमें न तो संहिता का प्रभाव, न ही कोई अस्थायी प्रवर्तन अवधि को समझा जाता है