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आपराधिक कानून

छोटे संगठित अपराध

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 27-Nov-2023

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

परिचय:

भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 जिसे मौजूदा भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) को बदलने के लिये पेश किया गया था, इसमें छोटे अपराधों सहित संगठित अपराधों से संबंधित प्रावधान हैं। यह विधेयक इस तथ्य पर विचार करता है कि ये छोटे संगठित अपराध पुलिसिंग शक्तियों को प्रभावित करेंगे। जिस तरह से भारत में पुलिस का ध्यान आमतौर पर छोटे-छोटे, रोजमर्रा के अपराधों पर रहता है। यह दृष्टिकोण, जिसे " क्षतिग्रस्त विंडोज़ पुलिसिंग" कहा जाता है, का मानना है कि बड़े अपराधों को रोकना छोटे अपराधों को संबोधित करके व्यवस्था बनाए रखने पर निर्भर करता है।

संगठित अपराध क्या हैं?

  • भारत में संगठित अपराध में विभिन्न प्रकार की अवैध गतिविधियाँ शामिल हैं जो आपराधिक संगठनों द्वारा योजनाबद्ध, समन्वित और संचालित की जाती हैं।
  • ये समूह अक्सर एक पदानुक्रमित संरचना के साथ कार्य करते हैं और जबरन वसूली, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग आदि अन्य अवैध कार्यों जैसी गतिविधियों में संलग्न होते हैं।
  • आईपीसी में संगठित अपराधों के लिये कुछ प्रावधान हैं, हालाँकि भारत में संगठित अपराधों से निपटने के लिये प्रमुख कानून इस प्रकार हैं:
    • महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून, 1999 (मकोका): यह इस संबंध में सबसे महत्त्वपूर्ण विधायी उपाय है जिसे 1999 में अधिनियमित किया गया था। मकोका संगठित अपराध के नियंत्रण और रोकथाम एवं संगठित अपराध से प्राप्त संपत्ति की जब्ती के लिये कड़े उपाय प्रदान करता है।
    • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA): पीएमएलए कानून है जिसका उद्देश्य संगठित अपराध के वित्तीय पहलुओं पर अंकुश लगाना है। यह आपराधिक गतिविधियों से प्राप्त संपत्तियों पर नज़र रखने और उन्हें जब्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है तथा व्यक्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग के लिये ज़िम्मेदार ठहराता है।
    • स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS): एनडीपीएस में तस्करों के संगठित गिरोहों से संबंधित दंड भी शामिल है।

छोटे संगठित अपराध क्या हैं?  

  • छोटे संगठित अपराध आम तौर पर निम्न-स्तरीय आपराधिक गतिविधियों को संदर्भित करते हैं जो छोटे समूहों या व्यक्तियों द्वारा किर्यान्वित और संचालित किये जाते हैं।
  • इन अपराधों को आम तौर पर प्रमुख संगठित आपराधिक उद्यमों की तुलना में कम गंभीर माना जाता है लेकिन फिर भी इनका समुदायों और व्यक्तियों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
  • छोटे संगठित अपराधों के उदाहरणों में शामिल हो सकते हैं:
    • दुकान से सामान चुराना: संगठित समूह पुनर्विक्रय या निजी उपयोग के लिये खुदरा दुकानों से माल चुराने के लिये मिलकर काम करते हैं।
    • जेब काटना: व्यक्तियों या छोटे समूहों द्वारा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर बिना सोचे-समझे पीड़ितों से पर्स या फोन जैसी कीमती चीजें चुराने के समन्वित प्रयास।
    • सड़कों पर नशीली दवाओं की तस्करी करना: छोटे पैमाने पर नशीली दवा वितरण नेटवर्क पड़ोस के स्तर पर काम कर रहे हैं, जिनमें अक्सर निचले स्तर के डीलर शामिल होते हैं।
    • वाहन चोरी करना: ऐसे समूह जो विभिन्न प्रयोजनों के लिये कारों की चोरी करते हैं, जिनमें आनंदप्रद, पुनर्विक्रय या उसके भागों को अलग करना शामिल है।
    • सेंधमारी करना: संगठित टीमें जो घरों या व्यवसायों में घुसकर मूल्यवान वस्तुओं की चोरी करने में सहयोग करती हैं।
    • धोखाधड़ी करना: धोखाधड़ी के विभिन्न रूपों, जैसे क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, पहचान की चोरी या छोटे पैमाने के वित्तीय घोटाले में संलग्न समूह।
    • अवैध जुए के अड्डे चलाना: छोटे पैमाने पर भूमिगत जुआ परिचालन जिसमें पोकर गेम या खेल सट्टेबाज़ी जैसी गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं।
    • वेश्यावृत्ति करना: अवैध देह व्यापार में शामिल संगठित समूह, वेश्यावृत्ति का व्यवसाय करते हैं और उनकी गतिविधियों से मुनाफा कमाते हैं।

संगठित अपराध की पुलिस व्यवस्था पर तथ्य और आँकड़े क्या हैं?  

  • कोरोना महामारी के दौरान मध्य प्रदेश में कानून प्रवर्तन पर आपराधिक न्याय और पुलिस जवाबदेही परियोजना (सी.पी.ए. परियोजना) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान राज्य में की गई लगभग 80% गिरफ्तारियाँ छोटे अपराधों से संबंधित थीं।
  • इन अपराधों में मुख्य रूप से जुआ और उत्पाद शुल्क कानूनों का उल्लंघन जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं, दोनों में सात साल से कम की सज़ा का प्रावधान था।
  • इसके अलावा, विशेष रूप से कम मात्रा में महुआ से शराब के उत्पादन के लिये आदिवासी और विमुक्त समुदायों के व्यक्तियों को निशाना बनाकर बड़ी संख्या में गिरफ्तारियाँ की गईं।

भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 में छोटे संगठित अपराध की स्थिति क्या है?

धारा 109 संगठित अपराधों को परिभाषित करती है और भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 की धारा 110 छोटे संगठित अपराध या सामान्य रूप से संगठित अपराध को शामिल करती है।

  • धारा 109: संगठित अपराध:
    • अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि पर कब्ज़ा, अनुबंध हत्या, आर्थिक अपराध, गंभीर परिणाम वाले साइबर अपराध, दवाओं की तस्करी, अवैध वस्तुओं या सेवाओं और हथियारों की तस्करी, वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिये मानव तस्करी रैकेट सहित गैरकानूनी गतिविधि के कार्य आदि को संगठित अपराध माना जाएगा
    • यह किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर से अकेले या संयुक्त रूप से कार्य करने वाले व्यक्तियों के समूहों के प्रयास से किया जाता है।
    • यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, वित्तीय लाभ सहित भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिये हिंसा, हिंसा की धमकी, जबरदस्ती, भ्रष्टाचार या संबंधित गतिविधियों या अन्य गैरकानूनी साधनों का उपयोग करके किया जाता है।
  • धारा 110: सामान्यतः संगठित अपराध के छोटे संगठित अपराध.
    • छोटे संगठित अपराध में वाहन की चोरी या वाहन से चोरी, घरेलू और व्यावसायिक चोरी, चाल चोरी, कार्गो अपराध, चोरी (चोरी का प्रयास, निजी संपत्ति की चोरी), संगठित पॉकेटमारी से संबंधित नागरिकों के बीच असुरक्षा की सामान्य भावना उत्पन्न करता है। झपटमारी, दुकान से चोरी या कार्ड स्किमिंग और ए.टी.एम चोरी या सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में गैरकानूनी तरीके से धन की खरीद या टिकटों की अवैध बिक्री, सार्वजनिक परीक्षा प्रश्न पत्र की बिक्री तथा संगठित अपराध के ऐसे अन्य सामान्य रूप शामिल हैं।
    • यह अवश्य ही संगठित आपराधिक समूहों या गिरोहों द्वारा किया गया होगा।
    • इसमें मोबाइल संगठित अपराध समूहों या गिरोहों द्वारा किये गए उक्त अपराध शामिल होंगे जो आगे बढ़ने से पूर्व एक अवधि में क्षेत्र में कई अपराधों को अंजाम देने के लिये संपर्कों के एंकर बिंदुओं का एक नेटवर्क बनाते हैं और आपस में तार्किक समर्थन करते हैं।
    • इसके तहत जो भी कोई छोटा-मोटा संगठित अपराध करेगा या करने का प्रयास करेगा, उसे कम से कम एक साल और अधिकतम सात साल तक की कैद की सज़ा होगी तथा ज़ुर्माना भी देना होगा।

निष्कर्ष:

चूँकि भारत संगठित अपराधों की समस्याओं का सामना कर रहा है, भारतीय न्याय संहिता विधेयक,2023 आपराधिक गतिविधियों की बदलती प्रकृति से निपटने के लिये एक विचारशील और सक्रिय प्रयास है।

यह विधेयक न केवल पुराने आई.पी.सी. को प्रतिस्थापित करता है, बल्कि संगठित अपराधों से प्रभावी ढंग से लड़ने, भारतीय लोगों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिये कानूनों को एक मज़बूत समूह के रूप में भी स्थापित करता है।