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आपराधिक कानून
भारत में ड्रग रिकॉल कानून का अभाव
« »27-Sep-2023
परिचय-
हाल ही में, भारत में ड्रग रिकॉल कानून की आवश्यकता और घटिया दवाओं के प्रसार के मुद्दे ने ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि एक दवा कंपनी ने लापरवाही से दवाओं के गलत लेबल वाले बैच को बाज़ार में भेज दिया है।
- वर्ष 1976 से, भारत घटिया दवाओं के लिये अनिवार्य रिकॉल कानून के निर्माण पर विचार कर रहा है। मादक दवाओं को वापस मंगाने का कार्य अमेरिका में प्रचलित है क्योंकि वहाँ इस तरह के रिकॉल प्रायः होते रहते हैं, लेकिन भारत में अक्सर ऐसा देखने को नहीं मिलता है।
ड्रग रिकॉल
- किसी औषधि की सुरक्षा, प्रभावकारिता या गुणवत्ता को नियंत्रित करने वाले कानूनों और विनियमों का उल्लंघन करने वाले किसी विपणन दवा उत्पाद को हटाने या सही करने की प्रक्रिया को ड्रग रिकॉल कहा जाता है।
- यह तब होता है, जब कोई औषधि जो प्रिस्क्रिप्शन से या काउंटर पर उपलब्ध होती है, उसके हानिकारक या साइड इफेक्ट के कारण बाज़ार से हटा दी जाती है।
- वे तब जारी किये जाते हैं, जब कोई उत्पाद दोषपूर्ण, दूषित, गलत लेबल वाला पाया जाता है या रोगियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करता है।
- बाज़ार से प्रभावित उत्पाद को हटाकर जनता को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से ऐसा किया जाता है और उन लोगों को रिफंड भी प्रदान किया जाता है, जिन्होंने पहले ही उत्पाद खरीद लिया है।
भारत में ड्रग रिकॉल की भूमिका
- वर्ष 1976 में, औषधि सलाहकार समिति में स्वास्थ्य एवं राष्ट्रीय औषधि नियामक मंत्रालय और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ सभी राज्यों के औषधि नियंत्रक शामिल थे।
- इसमें CDSCO ने ड्रग रिकॉल संबंधी चर्चा में हिस्सा लिया।
- चर्चा इस बात पर आधारित थी कि कैसे एक राज्य के दवा नियंत्रक द्वारा वापस मंगाई गई दवाईयाँ दूसरे राज्य में बिक्री के लिये पाई गईं।
- इस मामले को वर्ष 1989, 1996, 2004, 2007, 2016, 2018 और 2019 में नियामक बैठकों में बार-बार उठाया गया था और उनमें से किसी के भी परिणामस्वरूप अनिवार्य रिकॉल क्रियाविधि बनाने के लिये औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में संशोधन नहीं हुआ।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO):
- CDSCO भारत का एक औषधि नियामक है, जो दवाओं, प्रसाधन सामग्रियों, निदान और उपकरणों की सुरक्षा, प्रभावकारिता तथा गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये मानक और उपाय निर्धारित करता है। यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 पर लागू होता है।
भारत में ड्रग रिकॉल कानून की आवश्यकता
- भारत में एक ड्रग रिकॉल कानून की आवश्यकता है ताकि घटिया दवाओं के एक पूरे बैच को मानक गुणवत्ता (NSQ) के रूप में सही न पाए जाने के तुरंत बाद बाज़ार से आसानी से वापस लिया जा सके
- राज्य औषधि नियामक केवल अपने संबंधित राज्यों से कुछ बैचों को वापस लेने का निर्देश दे सकते हैं क्योंकि भारत में बाज़ार से घटिया औषधियों के पूरे बैच को वापस लेने के लिये ऐसा कोई कानून नहीं है।
- राष्ट्रीय रिकॉल को क्रियान्वयित करने और समन्वयित करने के उद्देश्य से एक केंद्रीय औषधि नियामक की आवश्यकता है।
रिकॉल कानून न होने के कारण
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का औषधि विनियमन अनुभाग उदासीनता और विशेषज्ञता के अभाव के कारण औषधि नियामक समस्याओं को हल करने में शामिल नहीं है।
- इसका एक प्रमुख कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के बजाय फार्मास्युटिकल क्षेत्र में रुचि का बढ़ना है।
- भारत में विविध नियामक संरचना भी एक कारण है क्योंकि प्रत्येक राज्य का अपना नियामक है।
- जवाबदेही से बचने की नौकरशाही की मंशा।
कानून के अभाव का परिणाम
- बच्चों के साथ-साथ सामान्य जन लगभग मर रहे हैं या गंभीर दुष्प्रभावों से गुज़र रहे हैं क्योंकि घटिया औषधियाँ बाज़ार से नहीं हटाई गई हैं।
- प्रत्येक माह दर्जनों औषधियाँ सरकारी प्रयोगशालाओं में अनियमित परीक्षण से बच जाती हैं।
भारत में औषधि विनियमों से संबंधित विधिक प्रावधान
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 को 10 अप्रैल, 1940 को अधिनियमित किया गया था।
- यह औषधियों और प्रसाधन सामग्रियों के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को विनियमित करने के लिये एक अधिनियम है।
- इस अधिनियम की धारा 3 (b) के अनुसार, एक औषधि में-
(i) मनुष्यों या जानवरों के आंतरिक या बाह्य उपयोग के लिये सभी दवाएँ और मनुष्यों या जानवरों में किसी बीमारी या विकार के निदान, उपचार, शमन या रोकथाम के लिये उपयोग किये जाने वाले सभी पदार्थ, जिसमें मानव शरीर पर मच्छरों जैसे कीड़ों को भगाने के उद्देश्य से किये गए प्रबंध शामिल होते हैं।
(ii) ऐसे पदार्थ (भोजन के अतिरिक्त) जिनका उद्देश्य मानव शरीर की संरचना या किसी भी कार्य को प्रभावित करना है या मनुष्यों अथवा जानवरों में बीमारी का कारण बनने वाले कीट या कीड़ों के विनाश के लिये उपयोग किया जाना है, जैसा कि समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है, शामिल होते हैं ।
(iii) खाली जिलेटिन कैप्सूल सहित दवाईयों के घटकों के रूप में उपयोग के लिये आशयित सभी पदार्थ; और
(iv) ऐसे उपकरण जो मनुष्यों या जानवरों में बीमारी या विकार के निदान, उपचार, शमन या रोकथाम में आंतरिक या बाहरी उपयोग के लिये होते हैं, जैसा कि बोर्ड के साथ परामर्श के बाद केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है, शामिल होते हैं।
आगे की राह
- एक प्रभावी रिकॉल क्रियाविधि के निर्माण के लिये औषधियों को रिकॉल करने की ज़िम्मेदारी को केंद्रीकृत किया जाना चाहिये।
- देश भर में औषधियों को वापस मंगाने में विफलता के लिये कंपनियों को जवाबदेह ठहराने के कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने वाला एक प्राधिकरण होना चाहिये।
- रिकॉल कानून को प्रभावी बनाने और सिस्टम को केंद्रीकृत बनाने के लिये औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में संशोधन की आवश्यकता है।