नवीन आपराधिक विधियाँ
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आपराधिक कानून

नवीन आपराधिक विधियाँ

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 02-Jul-2024

 स्रोत: द हिंदू

परिचय:

पुराने आपराधिक विधियों के स्थान पर लागू होने वाली नवीन आपराधिक विधियाँ निम्न प्रकार हैं:

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) को प्रतिस्थापित करेगी।
  • भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) को प्रतिस्थापित करेगी।
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA) भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) को प्रतिस्थापित करेगी।

1 जुलाई 2024 के बाद की स्थितियाँ:

  • 1 जुलाई, 2024 से 650 से ज़्यादा जनपदों एवं 16,000 पुलिस स्टेशनों को नई व्यवस्था में ढलना होगा।
  • संज्ञेय अपराधों को CrPC की धारा 154 के बजाय BNSS की धारा 173 के अधीन दर्ज किया जाएगा।
  • IPC एवं CrPC नए संविधियों के साथ-साथ प्रक्रियात्मक रहेंगी क्योंकि कई मामले पुराने संविधियों के अधीन लंबित हैं।
  • साथ ही, 1 जुलाई 2024 से पहले किये गए अपराध जिनकी रिपोर्ट बाद में दर्ज की जाती है, उन्हें भी पुराने संविधियों के अधीन दर्ज किया जाएगा।

प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के संबंध में क्या संरचनात्मक परिवर्तन किये गए हैं?

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अधीन अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) के माध्यम से FIR दर्ज की जाती है।
  • CCTNS में एक महत्त्वपूर्ण उन्नति की गई है जो लोगों को पुलिस स्टेशन जाए बिना e-FIR दर्ज करने में सहायता करेगा तथा एक ज़ीरो FIR जो अपराध कारित होने के स्थान का अधिकार क्षेत्र की परवाह किये बिना दर्ज की जा सकती है।
  • साथ ही, हिंदी एवं अंग्रेज़ी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में FIR दर्ज करने के लिये CCTNS में बदलाव किये गए हैं।

नए संविधियों के अधीन इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में क्या प्रावधान हैं?

  • BNSS प्रत्येक आपराधिक मामले में तलाशी एवं अभिग्रहण (ज़ब्ती) की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य करता है।
  • यह उन सभी आपराधिक मामलों में फोरेंसिक जाँच को भी अनिवार्य करता है, जहाँ सज़ा 7 वर्ष से अधिक है।
  • रिकॉर्डिंग को बिना किसी विलंब के इलेक्ट्रॉनिक रूप से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
  • BNSS की धारा 105 के अधीन तलाशी एवं अभिग्रहण के दौरान ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग की परिधि में अभिग्राहित वस्तुओं की सूची तैयार करने और साक्षियों के हस्ताक्षर लेने की प्रक्रिया शामिल है।
  • गृह मंत्रालय ई-साक्ष्य नामक मोबाइल एप्लीकेशन का परीक्षण कर रहा है, जिससे पुलिस को अपराध के दृश्यों को रिकॉर्ड करने, आपराधिक मामले में तलाशी और अभिग्रहण करने तथा फाइल को क्लाउड आधारित प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने में सहायता मिलेगी।
  • अधिकारियों ने बताया कि क्लाउड आधारित प्रणाली, जहाँ डेटा संग्रहीत किया जाएगा, की सुरक्षा सबसे महत्त्वपूर्ण है।

BNSS द्वारा किये गए प्रमुख परिवर्तन क्या हैं?

  • जीरो FIR का प्रावधान प्रस्तुत किया गया, यानी अधिकार क्षेत्र की चिंता किये बिना कहीं भी FIR दर्ज की जा सकती है।
  • पुलिस शिकायतों के ऑनलाइन पंजीकरण का भी प्रावधान है।
  • सभी जघन्य अपराधों के लिये अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी का प्रावधान है (BNSS की धारा 176 (3))।

BNS द्वारा प्रमुख परिवर्तन क्यों किये गए हैं?

  • BNS की धारा 69 में विवाह का मिथ्याकारी वचन देने वालों के विरुद्ध प्रावधान है।
  • अप्राप्तवय के साथ सामूहिक बलात्संग एवं भीड़ द्वारा हत्या के संबंध में भी प्रावधान हैं।
  • अप्राप्तवय के साथ बलात्संग के अपराध के मामले में मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास।
  • 'देशद्रोह' के स्थान पर ‘अलगाव' या 'देश की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता के विरुद्ध कृत्य' को सम्मिलित किया गया है।
  • नए संविधि में शीघ्र ही पुरुषों एवं ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के विरुद्ध यौन अपराधों पर एक धारा सम्मिलित की जा सकती है।
    • पुलिस अधिकारियों से कहा जा रहा है कि वे BNS के अधीन उन प्रावधानों को लागू करें जो दोषपूर्ण तरीके से बंधक बनाने एवं शारीरिक चोट पहुँचाने से संबंधित हैं, जब तक कि यह विसंगति दूर नहीं हो जाती।

निष्कर्ष:

एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि सभी राज्यों को नई प्रणाली के अनुकूल होने में सहायता करने के लिये सहायता प्रदान की गई है। नए BNS में 358 धाराएँ हैं, जबकि IPC में 511 धाराएँ हैं। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि राज्य BNSS के कुछ प्रावधानों में अपने स्वयं के संशोधन लाने के लिये स्वतंत्र हैं।