होम / एडिटोरियल
अंतर्राष्ट्रीय कानून
व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (TEPA)
« »15-Mar-2024
स्रोत: द हिंदू
परिचय:
10 मार्च, 2024 को, भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किये, जिसमें स्विट्ज़रलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे तथा लिकटेंस्टीन शामिल थे। यह भारत के राजनयिक परिदृश्य के लिये एक महत्त्वपूर्ण विकास था। इस समझौते की परिणति, जो वर्ष 2008 से चल रही है, भारत के व्यापार संबंधों के लिये खासकर पश्चिमी देशों के साथ, एक महत्त्वपूर्ण क्षण है।
व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
|
व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) में वृद्धि के अवसर क्या हैं?
- TEPA भारत के सेवा क्षेत्र में ढेर सारे अवसर प्रदान करता है, आसान बाज़ार पहुँच और सुव्यवस्थित वीज़ा नियमों की पेशकश करता है।
- वास्तुकार से लेकर नर्सों तक के पेशेवर, उन्नत अवसरों से लाभान्वित होने के लिये तैयार हैं।
- इसके अलावा, समझौते का लक्ष्य अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को उत्प्रेरित करना है, जिससे दस लाख रोज़गार सृजन करने का वचन किया गया है।
- सस्ते आयात की संभावना के साथ, भारतीय उपभोक्ता अप्रत्याशित लाभ की आशा कर सकते हैं, जबकि उत्पादकों को लागत प्रभावी मशीनरी तक पहुँच प्राप्त होगी।
TEPA किस प्रकार भारत की व्यापार चपलता का प्रमाण है?
- भारत द्वारा EFTA समझौते का त्वरित क्रियान्वयन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार गठबंधनों को बढ़ावा देने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- संयुक्त अरब अमीरात के साथ समझौते के बाद यह हाल के वर्षों में दूसरा बड़ा व्यापार समझौता है।
- विशेष रूप से, यह पश्चिमी देशों के गुट के साथ भारत की पहली ऐसी व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है, जो वर्ष 2014 के बाद से व्यापार समझौतों के प्रति अपनी पूर्ववर्ती अनिच्छा से प्रस्थान का संकेत देता है।
- संरक्षणवाद की वैश्विक लहर के बीच मुक्त व्यापार को अपनाकर, भारत अपने विकसित होते आर्थिक रुख के बारे में एक शक्तिशाली संदेश देता है।
इस समझौते में अव्यापार मुद्दे क्या हैं?
- TEPA श्रम अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और लैंगिक समानता जैसे अव्यापार मुद्दों को शामिल करके एक मिसाल कायम करता है।
- हालाँकि इन मुद्दों को व्यापार समझौतों में एकीकृत करने की आवश्यकता बहस का विषय हो सकती है, यह यूरोपीय संघ (EU) जैसे संभावित सहयोगियों की प्राथमिकताओं के साथ संरेखित है, जो एक ज़िम्मेदार वैश्विक कर्त्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
TEPA भारत के आर्थिक परिदृश्य को कैसे आकार देगा?
- TEPA के प्रावधानों में बाज़ार तक पहुँच और निवेश प्रोत्साहन से लेकर बौद्धिक संपदा अधिकार एवं सतत् विकास तक कई प्रकार के क्षेत्र शामिल हैं।
- "मेक इन इंडिया" पहल के तहत सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धताओं के साथ, यह समझौता भारत के आर्थिक प्रक्षेप पथ में एक परिवर्तनकारी बदलाव की शुरुआत करता है।
- इसके अलावा, यह भारत को यूरोपीय संघ के बाज़ारों में निर्बाध रूप से एकीकृत करने की स्थिति में रखता है, जिससे भारतीय कंपनियों को अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार करने का प्रवेश द्वार मिलता है।
निष्कर्ष:
जैसा कि भारत EFTA देशों के साथ व्यापार संबंधों के इस नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है, TEPA सिर्फ एक द्विपक्षीय समझौते से अधिक महत्त्व रखता है। यह तेज़ी से विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य में स्पष्टता और सहयोग की दिशा में एक रणनीतिक धुरी का प्रतिनिधित्व करता है।