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सिविल कानून

24 सप्ताह से अधिक का गर्भपात

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 25-Feb-2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

परिचय 

हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक 35 वर्षीय महिला को एक निजी अस्पताल में अपने 25-सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने का निर्णय सुनाया, जो भारत के गर्भपात विधियों में महत्त्वपूर्ण अंतराल को दर्शाता है। यह मामला गर्भ का चिकित्सकीय समापन नियम, 2003 (Medical Termination of Pregnancy Rules) को अपडेट करने की तत्काल आवश्यकता को सामने लाता है, खासकर 24 सप्ताह से अधिक के गर्भधारण के लिये निजी अस्पतालों में प्रक्रियाओं के संबंध में। यह ऐतिहासिक निर्णय एक महत्त्वपूर्ण पूर्व-निर्णय कायम करता है, साथ ही प्रजनन अधिकारों और स्वास्थ्य देखभाल की सुलभता के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठता है।   

भारत में गर्भपात पर क्या विधि है? 

  • गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 (MTP Act) की धारा 3 के अधीन 20 सप्ताह तक की गर्भ को समाप्त करने के लिये एक रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक की मंजूरी की आवश्यकता होती है। 
  • 20-24 सप्ताह के बीच के गर्भ के लिये, दो रजिस्ट्रीकृत चिकित्सकों से अनुमोदन अनिवार्य है। 
  • गर्भ का चिकित्सकीय समापन नियम (2003) का नियम 3 बलात्संग पीड़ितों, अवयस्कों और गर्भ के दौरान बदली हुई वैवाहिक स्थिति वाली महिलाओं सहित विशिष्ट श्रेणियों के लिये 20-24 सप्ताह के बीच गर्भपात की अनुमति देता है। 
  • 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ के लिये, राज्य सरकारों को पर्याप्त भ्रूण असामान्यता के मामलों का मूल्यांकन करने के लिये प्रत्येक जिले में मेडिकल बोर्ड स्थापित करना चाहिये 
  • चिकित्सकों को यह आकलन करना चाहिये कि क्या गर्भावस्था जारी रखने से महिला के जीवन को खतरा है या गंभीर शारीरिक/मानसिक नुकसान हो सकता है। 
  • उन्हें यह भी निर्धारित करना चाहिये कि जन्म लेने वाले बच्चे में गंभीर शारीरिक/मानसिक असामान्यता का पर्याप्त जोखिम है या नहीं। 
  • विधि के अनुसार निर्णय लेने में मातृ स्वास्थ्य जोखिम और भ्रूण असामान्यता दोनों का मूल्यांकन करना आवश्यक है। 

निजी अस्पतालों में गर्भपात के लिये क्या नियम हैं? 

  • गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम की धारा 4 सरकारी अस्पतालों या अनुमोदित निजी सुविधाओं में गर्भपात की अनुमति देती है। 
  • निजी अस्पतालों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी/जिला स्वास्थ्य अधिकारी की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति से अनुमोदन प्राप्त करना होगा। 
  • गर्भ का चिकित्सकीय समापन नियमों के नियम 5(6) के अधीन, समिति आवेदनों की समीक्षा कर सकती है और निजी अस्पतालों को अनुमोदन प्रमाण पत्र जारी कर सकती है। 
  • निजी अस्पतालों को अनुमोदन के लिये 'फॉर्म A' जमा करना होगा, जिसमें वर्तमान में केवल दो श्रेणियाँ शामिल हैं: 12 सप्ताह तक का गर्भपात और 24 सप्ताह तक का गर्भपात। 
  • सुविधा में आवश्यक उपकरण होने चाहिये और गर्भ का चिकित्सकीय समापन नियमों के अधीन निर्दिष्ट सभी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये।  
  • अस्पताल के पास सोनोग्राफी और अन्य संबंधित प्रक्रियाओं के संचालन के लिये वैध लाइसेंस होना चाहिये।  
  • अनुमोदन की स्थिति बनाए रखने के लिये नियमित निगरानी और सरकारी नियमों का अनुपालन अनिवार्य है। 

XYZ बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी? 

  • याचिकाकर्त्ता 35 वर्षीय महिला थी जो अपनी 25 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की मांग कर रही थी। 
  • चिकित्सीय परीक्षण से पता चला कि भ्रूण में स्केलेटल डिसप्लेसिया था, जो हड्डियों और तंत्रिका संबंधी कार्यप्रणाली को प्रभावित करने वाला एक आनुवंशिक विकार है। 
  • इस स्थिति में प्रसवोत्तर रुग्णता बहुत अधिक थी और इसके लिये कई सुधारात्मक सर्जरी की आवश्यकता होगी। 
  • जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने गर्भपात की सिफारिश की थी। 
  • सिफारिश के बावजूद, वह निजी अस्पतालों के संबंध में विधिक सीमाओं के कारण आगे नहीं बढ़ सकी। 

उच्च न्यायालय के समक्ष कौन से विवाद्यक उठाए गए? 

  • प्राथमिक विवाद्यक निजी अस्पतालों के लिये फॉर्म A के संबंध में गर्भ का चिकित्सकीय समापन नियमों में अस्पष्टता थी। 
  • फॉर्म A में केवल 12 सप्ताह और 24 सप्ताह तक के गर्भपात के लिये श्रेणियाँ प्रदान की गई थीं। 
  • फॉर्म A में 24 सप्ताह से अधिक अवधि की गर्भ समाप्ति के लिये कोई श्रेणी नहीं थी। 
  • चुने गए निजी अस्पताल में आवश्यक सुविधाएँ होने के बावजूद प्रक्रिया नहीं हो सकी। 
  • याचिकाकर्त्ता के वकील ने 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ के लिये फॉर्म A में तीसरी श्रेणी जोड़ने की आवश्यकता पर तर्क दिया। 

न्यायालय की टिप्पणियाँ और निर्णय क्या थे? 

  • न्यायालय ने गर्भावस्था के उन्नत चरण को देखते हुए मामले की "अत्यंत तात्कालिकता" को मान्यता दी। 
  • पीठ ने याचिकाकर्त्ता के प्रजनन स्वतंत्रता और शारीरिक स्वायत्तता के अधिकार पर विचार किया। 
  • उन्होंने सत्यापित किया कि चुने गए निजी अस्पताल ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन नियमों के अधीन सभी आवश्यक शर्तें पूरी की हैं। 
  • न्यायालय ने फॉर्म A की सीमाओं के बड़े मुद्दे को भविष्य के विचार के लिये खुला रखते हुए गर्भपात की अनुमति दी। 
  • अप्रैल 2024 से एक समान पूर्व-निर्णय का हवाला दिया गया जहाँ एक निजी अस्पताल में 27 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दी गई थी। 

निष्कर्ष: 

बॉम्बे उच्च न्यायालय का निर्णय में न केवल तत्काल चिकित्सा आवश्यकता को दर्शाता  है, अपितु भारत के गर्भपात नियमों में महत्त्वपूर्ण खामियों को भी उजागर करता है। यह मामला सुरक्षित और सुलभ गर्भपात सेवाओं को सुनिश्चित करते हुए असाधारण मामलों को बेहतर ढंग से समायोजित करने के लिये गर्भ का चिकित्सकीय समापन नियमों को अद्यतन करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। चूंकि भारत अपनी स्वास्थ्य सेवा नीतियों को विकसित करना जारी रखता है, इसलिये यह निर्णय अधिक व्यापक और समावेशी प्रजनन स्वास्थ्य सेवा विनियमों की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।