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सांविधानिक विधि
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
« »12-Sep-2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
परिचय:
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय कॉलेजियम को निर्देश दिया कि वह पदोन्नति के लिये अनुशंसित दो न्यायिक अधिकारियों के नामों पर पुनर्विचार करे।
- भारतीय संविधान, 1950 (COI) में कॉलेजियम प्रणाली का कोई उल्लेख नहीं है।
- कॉलेजियम प्रणाली उच्चतम न्यायालय द्वारा न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से विकसित की गई है।
कॉलेजियम प्रणाली कैसे विकसित हुई?
मामले |
निर्णय |
एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981) |
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सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (1993)
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राष्ट्रपति संदर्भ के संबंध में (1998) |
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कॉलेजियम प्रणाली कैसे काम करती है?
नियुक्ति |
परामर्श |
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति। |
उच्चतम न्यायालय के 4 वरिष्ठतम न्यायाधीश |
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति। |
उच्चतम न्यायालय के 2 वरिष्ठतम न्यायाधीश |
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का स्थानांतरण। |
उच्चतम न्यायालय के 4 वरिष्ठतम न्यायाधीश तथा दोनों उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश। |
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का विवरण देने वाला प्रक्रिया ज्ञापन क्या है?
- वर्ष 1998 में केंद्र ने एक प्रक्रिया ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये आरंभ से लेकर अब तक की प्रक्रिया का विवरण दिया गया।
- इस प्रक्रिया के एक भाग के रूप में:
- मुख्य न्यायाधीश को कॉलेजियम बनाने वाले उच्च न्यायालय के दो अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करना होगा।
- वे कारणों सहित अपनी अनुशंसाएँ मुख्यमंत्री, राज्यपाल और भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजेंगे।
- मुख्यमंत्री की सलाह के आधार पर राज्यपाल केंद्र के विधि एवं न्याय मंत्री को प्रस्ताव भेजेंगे।
- विधि एवं न्याय मंत्री पृष्ठभूमि की जाँच करेंगे तथा संपूर्ण सामग्री भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजेंगे।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के बाकी कॉलेजियम के साथ इस पर विचार करेंगे।
कॉलेजियम की अनुशंसाओं को कब चुनौती दी जा सकती है?
- सीमित आधार जिन पर अनुशंसाओं को चुनौती दी जा सकती है वे निम्नवत हैं:
- किसी भी व्यक्ति या संस्था के साथ “प्रभावी परामर्श” का अभाव था।
- विचाराधीन अभ्यर्थी न्यायाधीश बनने के लिये “योग्य” नहीं था – ये योग्यताएँ अनुच्छेद 217 (उच्च न्यायालय के लिये) और अनुच्छेद 124 (उच्चतम न्यायालय के लिये) में निर्धारित हैं।
प्रावधान |
पात्रता के आधार |
अनुच्छेद 124 (3): उच्चतम न्यायालय |
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अनुच्छेद 217 (2): उच्च न्यायालय |
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कॉलेजियम प्रणाली के दोष क्या हैं?
- कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है और इसकी अस्पष्टता के लिये आलोचना की जाती है।
- कॉलेजियम सिस्टम में भाई-भतीजावाद का मुद्दा भी है। जो व्यक्ति किसी न्यायाधीश के रिश्तेदार हैं, उनके पदोन्नति की संभावना अधिक होती है।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये कोई स्थायी आयोग नहीं है, जिसके कारण न्यायाधीशों की नियुक्ति में अकुशलता आ गई है।
निष्कर्ष:
- न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से विकसित कॉलेजियम प्रणाली भारत में उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया है।
- वास्तव में इस प्रक्रिया में कुछ कमियाँ हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिये।