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सांविधानिक विधि
भारत में वोटों की गिनती
«26-Nov-2024
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
परिचय
भारत ने चुनावों के दौरान एक ही दिन में 640 मिलियन वोटों की गिनती करने की अपनी प्रभावशाली उपलब्धि के लिये X पर एलन मस्क की प्रशंसा अर्जित की। निर्वाचनों का संचालन नियम 1961, विशेष रूप से नियम 54A, भारतीय चुनावों में वोटों की गिनती के लिये व्यवस्थित प्रक्रिया प्रदान करता है। यह एक संरचित प्रक्रिया स्थापित करता है जिसकी शुरुआत रिटर्निंग ऑफिसर की टेबल पर डाक मतपत्रों से होती है, जिसके बाद 30 मिनट के बाद EVM की गिनती होती है। ये नियम नियंत्रण इकाइयों, VVPAT पर्चियों तथा फॉर्म 17C और फॉर्म 20 जैसे निर्धारित प्रपत्रों में अनिवार्य दस्तावेज़ीकरण से संबंधित विभिन्न सत्यापन चरणों के माध्यम से पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करते हैं।
भारत के निर्वाचन आयोग की कुशल निर्वाचन प्रणाली को इतनी बड़ी मात्रा में मतगणना को गति और सटीकता के साथ प्रबंधित करने की क्षमता के लिये व्यापक प्रशंसा मिली है।
चुनावों में मतों की गिनती के लिये दिशानिर्देश और प्रक्रियाएँ क्या हैं?
- रिटर्निंग ऑफिसर (RO) को मतदान से एक सप्ताह पहले उम्मीदवारों को मतगणना के विवरण (तिथि, समय, स्थान) के बारे में सूचित करना चाहिये, और मतगणना, निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 51 और नियम 66A का पालन करते हुए, RO की टेबल के साथ 14 मतगणना टेबल वाले निर्दिष्ट हॉल में आयोजित की जानी चाहिये।
- नियम 54A के तहत डाक मतपत्रों की गिनती सबसे पहले RO की टेबल पर शुरू होती है, जिसमें केवल निर्धारित समय से पहले प्राप्त मतपत्रों पर ही विचार किया जाता है, इसके बाद 30 मिनट के बाद EVM से गिनती की जाती है, जब तक कि कोई डाक मतपत्र न हो।
- EVM की गणना के लिये, केवल इन्तैक्ट पेपर सील वाले कंट्रोल यूनिट (CU) का उपयोग फॉर्म 17C के साथ किया जाता है, और परिणाम को उसी फॉर्म के भाग-II में दर्ज किये जाने से पहले फॉर्म 17C में उल्लिखित कुल वोटों से मेल खाना चाहिये।
- मतगणना प्रक्रिया में सख्त निगरानी की आवश्यकता होती है, जिसमें EVM स्ट्रांग रूम को पर्यवेक्षकों, RO/ARO तथा उम्मीदवारों/एजेंटों की उपस्थिति में खोला जाता है, तथा कंट्रोल यूनिट और मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की गतिविधि की CCTV कवरेज निरंतर बनी रहती है।
- VVPAT पर्चियों की गिनती CU की गिनती पूरी होने के बाद शुरू होती है, जिसमें प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र/खंड में पाँच यादृच्छिक रूप से चयनित मतदान केंद्रों का अनिवार्य सत्यापन किया जाता है, और यदि CU में खराबी दिखाई देती है तो VVPAT पर्चियों की गिनती की जाती है।
- प्रत्येक मतदान केन्द्र से फार्म 17C को अंतिम परिणाम पत्रक (फार्म 20) संकलित करने के लिये भेजा जाना चाहिये, तथा यदि जीत का अंतर उनकी संख्या से कम है तो अस्वीकृत डाक मतपत्रों का पुनः सत्यापन किया जाना चाहिये।
- परिणाम घोषित करने से पहले रिटर्निंग ऑफिसर को पर्यवेक्षक से अनुमति लेनी होगी तथा फॉर्म 20 पर NOC प्राप्त करनी होगी, और बराबरी की स्थिति में परिणाम लॉटरी द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 से संबंधित कानूनी प्रावधान क्या हैं?
- अधिनियम का नियम 51 मतगणना के समय और स्थान से संबंधित है।
- रिटर्निंग ऑफिसर मतदान के लिये निर्धारित तिथि से कम-से-कम एक सप्ताह पूर्व, या तिथियों में से पहली तिथि से, वह स्थान जहाँ मतगणना की जाएगी तथा वह तिथि और समय नियत करेगा जिस पर मतगणना प्रारंभ होगी, तथा प्रत्येक उम्मीदवार या उसके निर्वाचन अभिकर्त्ता को इसकी लिखित सूचना देगा:
- परन्तु यदि किसी कारणवश रिटर्निंग ऑफिसर ऐसा करना आवश्यक समझे तो वह प्रत्येक उम्मीदवार या उसके निर्वाचन अभिकर्त्ता को लिखित में सूचना देने के पश्चात् इस प्रकार निश्चित की गई तिथि, समय और स्थान या स्थानों में या उनमें से किसी में परिवर्तन कर सकेगा।
- रिटर्निंग ऑफिसर मतदान के लिये निर्धारित तिथि से कम-से-कम एक सप्ताह पूर्व, या तिथियों में से पहली तिथि से, वह स्थान जहाँ मतगणना की जाएगी तथा वह तिथि और समय नियत करेगा जिस पर मतगणना प्रारंभ होगी, तथा प्रत्येक उम्मीदवार या उसके निर्वाचन अभिकर्त्ता को इसकी लिखित सूचना देगा:
- नियम 54A डाक द्वारा प्राप्त मतों की गणना से संबंधित है।
- रिटर्निंग ऑफिसर को पहले डाक मतपत्रों की प्रक्रिया करनी होगी, तथा निर्धारित समय के बाद प्राप्त होने वाले फॉर्म 13C कवर को खोला या गिना नहीं जाएगा।
- वैध कवर के लिये, रिटर्निंग ऑफिसर को एक-एक करके कवर खोलने के बाद प्रत्येक फॉर्म 13A घोषणा की जाँच करनी चाहिये, तथा यदि घोषणापत्र लापता है, गलत तरीके से हस्ताक्षरित/सत्यापित है, या फॉर्म 13B के साथ उसकी क्रम संख्या मेल नहीं खाती है तो मतपत्र को अस्वीकार कर देना चाहिये।
- अस्वीकृत मतपत्रों को उनकी घोषणापत्रों के साथ फार्म 13C कवर में वापस रखा जाना चाहिये तथा उन्हें निर्वाचन क्षेत्र का नाम, मतगणना तिथि तथा विषय-वस्तु का विवरण अंकित करते हुए एक पैकेट में सील कर दिया जाना चाहिये।
- सभी वैध फॉर्म 13A घोषणापत्रों को किसी भी फॉर्म 13B कवर को खोलने से पहले आवश्यक विवरण के साथ एक अलग पैकेट में सील किया जाना चाहिये, जिसे फिर मतपत्र जाँच के लिये क्रमिक रूप से खोला जाता है।
- यदि डाक मतपत्र पर पहचान चिह्न/लेखन है, वोट नहीं है, एक से अधिक वोट हैं, नकली/क्षतिग्रस्त है, या रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उपलब्ध कराए गए मूल कवर में वापस नहीं किया गया है तो उसे अस्वीकार कर दिया जाना चाहिये।
- यदि डाक मतपत्र पर किये गए चिह्नों के कारण अपेक्षित उम्मीदवार स्पष्ट नहीं होता है तो मतपत्र को अस्वीकार कर दिया जाएगा, हालाँकि यदि मतदाता का आशय स्पष्ट है तो मतपत्र को केवल अस्पष्ट या एकाधिक चिह्नों के कारण अस्वीकार नहीं किया जाएगा।
- रिटर्निंग ऑफिसर को प्रत्येक उम्मीदवार के सभी वैध डाक मतों की गणना करनी होगी, फॉर्म 20 (परिणाम पत्रक) में कुल संख्या दर्ज करनी होगी, तथा सार्वजनिक रूप से उनकी घोषणा करनी होगी।
- अंत में, सभी वैध और अस्वीकृत मतपत्रों को अलग-अलग एक सीलबंद पैकेट में बाँधा जाना चाहिये, जिस पर RO की मुहर, उम्मीदवार/एजेंट की मुहर (यदि वांछित हो), निर्वाचन क्षेत्र का नाम, मतगणना की तिथि और सामग्री का विवरण अंकित होना चाहिये।
- नियम 56 मतों की गिनती से संबंधित है।
- मतगणना प्रक्रिया प्रत्येक बॉक्स से मतपत्रों को जाँच के लिये सुविधाजनक बंडलों में व्यवस्थित करने के साथ शुरू होती है, जिसमें रिटर्निंग ऑफिसर को उपधारा (2) में उल्लिखित विशिष्ट आधारों के आधार पर मतपत्रों को अस्वीकार करने का अधिकार होता है।
- यदि किसी मतपत्र में पहचान चिह्न हो, उचित मतदान चिह्न न हो, एक से अधिक उम्मीदवारों के वोट हों, मतदान का स्पष्ट संकेत न हो, वह नकली/क्षतिग्रस्त हो, उस पर गलत क्रम संख्या अंकित हो, या उसमें अपेक्षित प्रमाणीकरण चिह्न और हस्ताक्षर न हों तो उसे अस्वीकार कर दिया जाना चाहिये।
- हालाँकि, यदि क्रम संख्या या प्रमाणीकरण चिह्नों में दोष पीठासीन/मतदान अधिकारियों की गलती के कारण हुआ हो, या यदि मतदान चिह्न अस्पष्ट/दोहरा हुआ हो, लेकिन उससे मतदाता का स्पष्ट आशय पता चलता हो, तो मतपत्र को अस्वीकार नहीं किया जाएगा।
- रिटर्निंग ऑफिसर को मतगणना एजेंटों को अस्वीकृति से पहले मतपत्रों का निरीक्षण करने (लेकिन संभालने की नहीं) की अनुमति देनी चाहिये तथा अस्वीकृत मतपत्रों पर संक्षिप्त आधार और उनके आद्याक्षर के साथ "अस्वीकृत" लिखना चाहिये।
- सभी अस्वीकृत मतपत्रों को एक साथ बंडल किया जाना चाहिये, जबकि वैध मतपत्रों को एक-एक वोट के रूप में गिना जाएगा, हालाँकि कवर में प्रस्तुत मतपत्रों को खोला नहीं जाएगा और उनकी गिनती नहीं की जाएगी।
- मतदान केंद्र पर सभी मतपेटियों की गिनती पूरी करने के बाद, मतगणना पर्यवेक्षक को फॉर्म 16 में भाग II (मतगणना का परिणाम) भरना होगा और उस पर हस्ताक्षर करना होगा, जिस पर आरओ के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है।
- अंत में, रिटर्निंग ऑफिसर को फॉर्म 20 (परिणाम पत्रक) में परिणाम दर्ज करना होगा तथा विवरण सार्वजनिक रूप से घोषित करना होगा।
- नियम 66A उन मतों की गिनती से संबंधित है जहाँ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग किया गया हो।
- किसी मतदान केन्द्र पर मतों की गिनती के संबंध में, जहाँ वोटिंग मशीन का उपयोग किया गया है:
- रिटर्निंग ऑफिसर एक साथ अनेक मतदान केन्द्रों की कंट्रोल यूनिट की जाँच और निरीक्षण कर सकता है, तथा उम्मीदवारों या उनके एजेंटों को सीलों की विश्वसनीयता की पुष्टि करने की अनुमति होती है।
- यदि किसी मतदान मशीन के साथ छेड़छाड़ पाई जाती है, तो उन मतों की गणना नहीं की जाती तथा धारा 58, 58A, या 64A के अंतर्गत विशेष प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिये।
- बिना छेड़छाड़ वाली मशीनों के लिये, कंट्रोल यूनिट पर "परिणाम" बटन दबाकर वोटों की गणना की जाती है, जो कुल वोट और प्रति उम्मीदवार वोट प्रदर्शित करता है।
- परिणामों को फॉर्म 17C के भाग II और फॉर्म 20 में मतगणना पर्यवेक्षकों और उम्मीदवारों/एजेंटों के हस्ताक्षर के साथ दर्ज किया जाना चाहिये।
- उम्मीदवार या उनके एजेंट पेपर ट्रेल पर्चियों की गिनती का अनुरोध कर सकते हैं, जिसे रिटर्निंग ऑफिसर लिखित कारणों के साथ स्वीकृत या अस्वीकृत कर सकता है।
- यदि कागज़ पर्चियों की गणना में EVM गणना के साथ विसंगतियाँ पाई जाती हैं, तो फॉर्म 20 के परिणाम को तदनुसार संशोधित किया जाना चाहिये।
- मतगणना के बाद, नियंत्रण इकाइयों और कागज़ पर्चियों को पुनः सील कर दिया जाना चाहिये तथा मतदान केन्द्र की विस्तृत जानकारी के साथ विशेष बक्सों में संग्रहित किया जाना चाहिये।
- जो नियम सामान्यतः मतपत्रों पर लागू होते हैं, उन्हें प्रासंगिक होने पर मतदान मशीनों पर भी लागू किया जाता है।
निष्कर्ष
भारतीय चुनावों में मतगणना प्रक्रिया एक सावधानीपूर्वक डिज़ाइन की गई प्रणाली है जिसमें सत्यापन और निरीक्षण की कई परतें होती हैं। निर्वाचन आयोग की पुस्तिका रिटर्निंग अधिकारियों और मतगणना एजेंटों के लिये व्यापक दिशा-निर्देश प्रदान करती है, जो डाक मतपत्रों की गिनती से लेकर EVM वोट सारणीकरण और VVPAT सत्यापन तक व्यवस्थित प्रक्रियाओं के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित करती है। पूरी प्रक्रिया अनिवार्य दस्तावेज़ीकरण के साथ सख्त निगरानी में संचालित की जाती है, और परिणाम पर्यवेक्षक और निर्वाचन आयोग से आवश्यक प्राधिकरण प्राप्त करने के बाद ही घोषित किये जाते हैं।