होम / एडिटोरियल
आपराधिक कानून
क्रॉसपैथी एवं चिकित्सकीय उपेक्षा
« »24-Jan-2025
स्रोत: द हिंदू
परिचय
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक निर्देश जारी कर होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाएँ लिखने की अनुमति दे दी है। इसे क्रॉसपैथी के नाम से भी जाना जाता है।
क्रॉसपैथी क्या है?
- क्रॉसपैथी से तात्पर्य चिकित्सा पेशेवरों द्वारा उस चिकित्सा प्रणाली के बाहर उपचार या दवाएँ निर्धारित करने के व्यवसाय से है जिसमें उन्हें औपचारिक रूप से प्रशिक्षित एवं लाइसेंस प्राप्त है।
- उदाहरण के लिये, एक होम्योपैथ एलोपैथिक (आधुनिक चिकित्सा) दवाएँ निर्धारित करता है, या इसके विपरीत एलोपैथ होम्योपैथिक दवाएँ निर्धारित करता है।
- क्रॉसपैथी में विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों (जैसे, होम्योपैथी, एलोपैथी, आयुर्वेद) को उन चिकित्सकों द्वारा आपस में मिलाना या उनका उपयोग करना शामिल है, जो उस प्रणाली में औपचारिक रूप से योग्य नहीं हैं जिसका वे व्यवसाय कर रहे हैं।
- क्रॉसपैथी की अनुमति केवल भारत के कुछ राज्यों में है, जहाँ विशिष्ट सरकारों ने ऐसे व्यवसायों को अधिकृत करने के लिये सामान्य या विशेष आदेश जारी किये हैं।
महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी निर्देश क्या है?
- महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने हाल ही में एक निर्देश जारी किया है, जिसमें आधुनिक औषधि विज्ञान में सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करने वाले होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाएँ लिखने की अनुमति दी गई है।
- वर्ष 2017 में, महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें होम्योपैथिक चिकित्सकों को होम्योपैथी के न्यायालय के परीक्षकों की डिग्री (वर्ष 1951 एवं 1982 के बीच प्राप्त) के साथ आधुनिक चिकित्सा का व्यवसाय करने की अनुमति दी गई, हालाँकि वे महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के साथ पंजीकृत हों।
- वर्ष 2017 की इस अधिसूचना को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथी का व्यवसाय करने की अनुमति देने पर रोगियों के लिये संभावित जोखिम का तर्क देते हुए निर्देश पर रोक लगा दी थी।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थगन के बाद, होम्योपैथिक चिकित्सकों को उच्चतम न्यायालय के निर्णय तक एलोपैथिक दवाओं को निर्धारित करने की विधिक अनुमति नहीं है।
- IMA महाराष्ट्र के पूर्व सचिव पार्थिव संघवी ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि इस मामले को दोषपूर्ण तरीके से होम्योपैथ को आधुनिक चिकित्सा का व्यवसाय करने के लिये सरकारी स्वीकृति के रूप में चित्रित किया गया था, जिस पर रोक लगी हुई है।
- उन्होंने FDA के इस तरह के निर्देश जारी करने के अधिकार पर प्रश्न किया, विशेषकर जब उच्च न्यायालय ने पहले ही पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी।
क्रॉसपैथी पर उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक मामला क्या है?
- उच्चतम न्यायालय ने पूनम वर्मा बनाम अश्विन पटेल एवं अन्य (1996) मामले में इस मुद्दे पर विचार किया।
- मामले के तथ्य इस प्रकार थे:
- श्री प्रमोद वर्मा को बुखार की शिकायत थी तथा उनका इलाज होम्योपैथिक मेडिसिन एवं सर्जरी में डिप्लोमा प्राप्त डॉ. अश्विन पटेल ने किया।
- डॉ. अश्विन पटेल ने वायरल बुखार और बाद में टाइफाइड के लिये एलोपैथिक दवाएँ एवं इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन निर्धारित किये, लेकिन श्री प्रमोद वर्मा की हालत में सुधार नहीं हो सका।
- डॉ. अश्विन पटेल ने उन्हें बंबई में संजीवनी मैटरनिटी एवं जनरल नर्सिंग होम चलाने वाले एलोपैथिक चिकित्सक डॉ. राजीव वार्टी के सानिध्य में आगे का इलाज करवाने की सलाह दी।
- 12 से 14 जुलाई, 1992 तक डॉ. अश्विन पटेल द्वारा इलाज करवाने के बाद, श्री प्रमोद वर्मा को बेहोशी की हालत में 14 जुलाई को हिंदुजा अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। उसी शाम 35 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई, वे अपने पीछे पत्नी, दो बच्चों और माता-पिता को छोड़कर चले गए।
- श्री प्रमोद वर्मा की पत्नी श्रीमती पूनम वर्मा ने 14 अगस्त, 1992 को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में एक याचिका संस्थित की, जिसमें डॉ. अश्विन पटेल के कथित उपेक्षा के लिये क्षतिपूर्ति की मांग की गई।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 8 नवंबर, 1994 को अपीलकर्त्ता द्वारा प्रस्तुत विशेषज्ञ साक्ष्य की कमी के कारण याचिका को खारिज कर दिया। श्रीमती पूनम वर्मा ने बाद में इस खारिजी को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
- इस मामले में उच्चतम न्यायालय के निष्कर्ष इस प्रकार थे:
- उच्चतम न्यायालय ने डॉ. अश्विन पटेल (प्रतिवादी 1) को कार्यवाही योग्य उपेक्षा के लिये उत्तरदायी माना, क्योंकि उन्होंने बॉम्बे होम्योपैथिक प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1959 के अंतर्गत केवल होम्योपैथ के रूप में योग्यता प्राप्त होने के बावजूद एलोपैथिक दवाएँ लिखीं। उनके कार्यों ने विशेष रूप से होम्योपैथी का व्यवसाय करने के उनके सांविधिक कर्त्तव्य का उल्लंघन किया।
- न्यायालय ने पाया कि अपेक्षित योग्यता के बिना प्रथम प्रतिवादी का एलोपैथी का व्यवसाय अपने आप में उपेक्षा का मामला है, क्योंकि इसने भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 और महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1965 सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये बनाए गए संविधियों का उल्लंघन किया।
- न्यायालय ने प्रथम प्रतिवादी को प्रथम प्रतिवादी के उपेक्षापूर्ण कृत्यों के कारण श्री प्रमोद वर्मा के परिवार को हुई वित्तीय एवं भावनात्मक क्षति को स्वीकार करते हुए श्रीमती पूनम वर्मा को क्षतिपूर्ति के रूप में ₹3,00,000 एवं विधिक लागत के रूप में ₹30,000 का भुगतान करने का निर्देश दिया।
- इसके अतिरिक्त, सुरेश बड़ा मठ द्वारा 2015 में लिखे गए एक शोध पत्र में कहा गया है कि "न्यायपालिका ने अपने सभी निर्णयों में माना है कि क्रॉस-सिस्टम प्रैक्टिस चिकित्सकीय उपेक्षा का एक रूप है; हालाँकि, इसकी अनुमति केवल उन राज्यों में है जहाँ संबंधित सरकारों ने सामान्य या विशेष आदेश द्वारा इसे अधिकृत किया है।"
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) के अधीन प्रावधानित चिकित्सकीय उपेक्षा क्या है?
- BNS की धारा 106 (1) में यह प्रावधान किया गया है:
- यदि कोई व्यक्ति उपेक्षा या जल्दबाजी में किसी की हत्या कारित करता है (जो कि आपराधिक मानव वध की श्रेणी में नहीं आता) तो उसे पाँच वर्ष तक का कारावास, अर्थदण्ड या दोनों की सजा हो सकता है।
- यदि कोई पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी उपेक्षा के कारण चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान किसी की मृत्यु का कारण बनता है, तो अधिकतम सजा दो वर्ष का कारावास, अर्थदण्ड या दोनों हो सकता है।
- "पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी" शब्द से तात्पर्य ऐसे डॉक्टर से है, जिसकी योग्यता राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है, तथा जिसका नाम राष्ट्रीय या राज्य चिकित्सा रजिस्टर में सूचीबद्ध है।
- BNS की धारा 106 (2) में यह प्रावधान किया गया है:
- उपेक्षापूर्ण वाहन चलाना और टक्कर मारकर भागना: यदि कोई व्यक्ति उपेक्षापूर्ण वाहन चलाकर किसी की मृत्यु का कारण बनता है तथा फिर पुलिस या मजिस्ट्रेट को घटना की सूचना दिये बिना भाग जाता है, तो उसे दस वर्ष तक का कारावास, अर्थदण्ड या दोनों दिया जा सकता है।
निष्कर्ष
क्रॉसपैथी एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत होम्योपैथी में योग्य डॉक्टर को एलोपैथिक दवाएँ लिखने की अनुमति दी जाती है। यह चिकित्सकीय उपेक्षा की श्रेणी में आता है।