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सांविधानिक विधि

दिल्ली शासन विवाद

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 12-Feb-2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

परिचय 

यह मामला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रशासनिक शक्तियों के संबंध में चल रहे संवैधानिक विमर्श से संबंधित है, विशेष रूप से दिल्ली सरकार एवं केंद्र सरकार के मध्य अधिकारों के हस्तांतरण से संबंधित है, जो आम आदमी पार्टी के शासन के दौरान लगभग एक दशक तक जारी रहा है। राज्य की "अद्वितीय संवैधानिक स्थिति" को लेकर केंद्र एवं दिल्ली सरकार के बीच लगातार विधिक संघर्ष चल रहा है।

दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण तथा इससे संबंधित विधिक संघर्ष ने दिल्ली सरकार के शासन को किस प्रकार प्रभावित किया है?

  • पृष्ठभूमि:  
    • वर्ष 2015 में, AAP की भारी जीत (67/70 सीटें) के बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें LG को सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस, भूमि एवं महत्त्वपूर्ण रूप से सेवाओं (नौकरशाही) पर नियंत्रण दिया गया, जो भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 239AA के मूल परिधि से आगे बढ़ गया। 
    • दिल्ली सरकार ने इस अधिसूचना को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, विशेष रूप से LG के नियंत्रण में 'सेवाओं' को शामिल करने पर विरोध किया, क्योंकि अनुच्छेद 239AA में केवल सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को संघ के नियंत्रण में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था।
    • एक दशक से अधिक समय से कई न्यायालयी निर्णयों के बावजूद, नौकरशाही पर नियंत्रण का मूल मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है, जिससे प्रशासनिक अनिश्चितता बनी हुई है। 
    • आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के साथ ही प्रशासनिक संकट और गहरा गया, जिसमें सिसोदिया ने अभिरक्षा में रहते हुए ही त्यागपत्र दे दिया।
    • गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री छह महीने तक पद पर बने रहे, जब तक कि उन्हें उच्चतम न्यायालय से जमानत नहीं मिल गई, जिसके अंतर्गत उन पर सचिवालय जाने या आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 
    • विवादित नौकरशाही पर नियंत्रण एवं नेतृत्व शून्यता के संयुक्त प्रभाव ने दिल्ली के शासन ढाँचे एवं प्रशासनिक दक्षता को बुरी तरह प्रभावित किया। 
    • यह चल रहा विधिक संघर्ष अनुच्छेद 239AA के ढाँचे के अंतर्गत केंद्र एवं दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक शक्तियों का निर्वचन पर केंद्रित एक संवैधानिक संकट का प्रतिनिधित्व करती है।
  • न्यायालयी अवलोकन : 
    • राजेंद्र प्रसाद बनाम दिल्ली सरकार NCT (2016):
      • दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2015 की अधिसूचना के संबंध में केंद्र के पक्ष में निर्णय दिया। 
    • दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ (2017):
      • दिल्ली की विशिष्ठ (सुई जेनेरिस) संवैधानिक स्थिति को मान्यता दी गई। 
      • प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों की पुष्टि की गई। 
      • मामले को एक छोटी पीठ को भेजा गया जिसने खंडित निर्णय दिया।
    • दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ (2023):
      • सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण।
      • स्पष्ट किया कि दिल्ली की शक्ति सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस एवं भूमि से संबंधित सेवाओं तक विस्तारित नहीं है।
      • दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के लिये IAS एवं संयुक्त कैडर सेवाओं पर दिल्ली का अधिकार बनाए रखा।

संदर्भित संवैधानिक अनुच्छेद क्या हैं?

  • अनुच्छेद 239:  
    • केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से संबंधित कार्य।
    • नियुक्त प्रशासक/उपराज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति शासन की स्थापना करता है।
  • अनुच्छेद 239A:  
    • कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में दोहरी शक्ति संरचना का प्रावधान करता है। 
    • LG के साथ-साथ विधान सभा एवं मंत्रिपरिषद को भी सक्षम बनाता है।
  • अनुच्छेद 239AA:  
    • विशेष रूप से दिल्ली के शासन को संबोधित करता है।
    • 69वें संशोधन अधिनियम, 1991 के माध्यम से सम्मिलित किया गया।
    • तीन शक्ति केंद्र बनाता है: मुख्यमंत्री सचिवालय, LG का राजभवन एवं केंद्रीय गृह मंत्रालय।
    • केंद्र सरकार को दिल्ली में सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस एवं भूमि पर अधिकार देता है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239, 239A और 239AA के अंतर्गत केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन एवं विधायी ढाँचा कैसे शासित होता है?

अनुच्छेद 239 - संघ राज्य क्षेत्रों का प्रशासन:

  • राष्ट्रपति का अधिकार:
    • राष्ट्रपति के पास सभी केंद्र शासित प्रदेशों पर प्राथमिक प्रशासनिक अधिकार है।
    • यह अधिकार संसद द्वारा बनाए गए किसी भी विधान के अधीन है।
    • राष्ट्रपति नियुक्त प्रशासकों के माध्यम से नियंत्रण रखता है।
    • राष्ट्रपति के पास प्रशासक की शक्तियों को निर्धारित करने का विवेक है।
    • राष्ट्रपति प्रशासक के पदनाम को निर्दिष्ट कर सकता है।
  • प्रशासक के रूप में राज्यपाल:
    • राष्ट्रपति राज्य के राज्यपालों को आस-पास के केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक के रूप में नियुक्त कर सकते हैं।
    • संविधान के भाग VI में प्रावधानों के बावजूद यह शक्ति उल्लिखित है।
    • प्रशासक के रूप में कार्य करते समय राज्यपाल स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं।
    • राज्यपाल की राज्य मंत्रिपरिषद की केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन में कोई भूमिका नहीं होती है।

अनुच्छेद 239A - विधायी निकायों का सृजन:

  • संसदीय शक्तियाँ:
    • संसद विधान बनाकर पुडुचेरी के लिये विधायी संरचना बना सकती है।
    • निर्वाचित या आंशिक रूप से मनोनीत विधायी निकाय की स्थापना कर सकती है।
    • मंत्रिपरिषद बना सकती है।
    • विधानसभा एवं परिषद दोनों को एक साथ स्थापित कर सकती है।
    • संसद इन निकायों की शक्तियों एवं कार्यों का निर्धारण करती है।
  • संवैधानिक स्थिति:
    • इस अनुच्छेद के अंतर्गत बनाए गए विधान संवैधानिक संशोधन नहीं हैं। 
    • संशोधन जैसे प्रभावों के बावजूद 368 प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं है। 
    • शासन संरचना में लचीलापन प्रदान करता है। 
    • पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से जम्मू एवं कश्मीर तक विस्तारित किया गया।

अनुच्छेद 239AA - दिल्ली के लिये विशेष प्रावधान:

  • मूलभूत ढाँचा 
    • दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया।
    • 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 के माध्यम से बनाया गया।
    • प्रशासक को उपराज्यपाल के रूप में नामित किया गया।
    • विशेष प्रशासनिक संरचना स्थापित की गई।
  • विधान सभा संरचना:
    • प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित विधान सभा को अधिदेशित करता है।
    • प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए सदस्य।
    • संसद सीटों की कुल संख्या निर्धारित करती है।
    • संसद अनुसूचित जाति आरक्षण कोटा तय करती है।
    • संसद निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन को नियंत्रित करती है।
    • अनुच्छेद 324-327 और 329 राज्यों पर लागू होते हैं।
    • विधायी शक्तियाँ और सीमाएँ:
    • राज्य सूची एवं समवर्ती सूची के मामलों पर विधान निर्माण कर सकते हैं।
  • निम्नलिखित पर विधान बनाने से निषेध:
    • प्रविष्टि 1 (सार्वजनिक व्यवस्था)
    • प्रविष्टि 2 (पुलिस)
    • प्रविष्टि 18 (भूमि)
    • संबंधित प्रविष्टियाँ 64, 65, एवं 66
    • संसद के पास समवर्ती विधायी शक्तियाँ हैं।
    • संघर्ष की स्थिति में संसदीय विधान लागू होते हैं।
    • राष्ट्रपति की सहमति से विधानसभा के विधान लागू हो सकते हैं।
  • कार्यकारी संरचना:
    • मंत्रिपरिषद विधानसभा की क्षमता के 10% तक सीमित है।
    • मुख्यमंत्री परिषद का नेतृत्व करते हैं।
    • मंत्री उपराज्यपाल को सलाह देते हैं।
    • LG को असहमति के मामले राष्ट्रपति के पास भेजने चाहिये।
    • LG तत्काल मामलों में तत्काल कार्यवाही कर सकते हैं।
    • परिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है।
  • नियुक्ति एवं उत्तरदेयता:
    • राष्ट्रपति मुख्यमंत्री की नियुक्ति करते हैं।
    • अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाती है।
    • मंत्री राष्ट्रपति की इच्छा पर कार्य करते हैं।
    • परिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • संघर्ष का समाधान:
    • LG मंत्रियों के साथ विवादों को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं।
    • राष्ट्रपति का निर्णय बाध्यकारी होता है।
    • LG राष्ट्रपति के निर्णय के लंबित रहने तक तत्काल कार्यवाही कर सकते हैं।
    • LG के पास कुछ मामलों में विवेकाधीन शक्तियाँ हैं।
  • अतिरिक्त प्रावधान:
    • संसद अनुपूरक विधान निर्माण कर सकती है।
    • ऐसे विधान संवैधानिक संशोधन नहीं माने जाते हैं।
    • जहाँ लागू हो, वहाँ पुडुचेरी के समान प्रावधान।
    • संसद के पास विधानसभा विधानों को संशोधित करने का अधिकार है।
    • अनुच्छेद 239A का संदर्भ दिल्ली पर लागू होते हैं। 

निष्कर्ष 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम के विधायी संशोधन के अनुसार, प्रशासनिक ढाँचे में अब नौकरशाही नियुक्तियों के लिये मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं प्रधान गृह सचिव वाली एक त्रिपक्षीय संस्था का गठन किया गया है, जिससे प्रभावी रूप से एक नियंत्रण एवं संतुलन प्रणाली स्थापित होगी, जो प्रशासनिक निर्णयों में मुख्यमंत्री के एकाधिकार को कम कर सकती है।