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आपराधिक कानून

गैंगस्टर कल्चर

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 23-Oct-2024

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

परिचय: 

गैंगस्टर कल्चर का उदय प्रायः अनपेक्षित स्थानों से होता है, जैसे कि विश्वविद्यालय के परिसर, छात्र राजनीति और स्थानीय विवाद। जो छोटे संघर्ष प्रारंभ में होते हैं, वे धीरे-धीरे बड़े आपराधिक संगठनों में परिवर्तित हो सकते हैं, जो शक्ति, धन और प्रभाव के जटिल जाल के माध्यम से शिक्षित युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

गैंगस्टर का नाम

समयावधि

परिचालन का आधार

प्राथमिक आपराधिक गतिविधियाँ

उल्लेखनीय तथ्य

करीम लाला

स्वतंत्रता के बाद का युग

मुंबई

  • तस्करी
  • बूटलेगिंग जबरन वसूली
  • डॉक नियंत्रण
  • मूल रूप से अफगानिस्तान से पठान गैंग की स्थापना की
  • स्वतंत्रता के बाद का पहला प्रमुख
  • गैंगस्टर नियंत्रित मुंबई डॉक्स

हाजी मस्तान

वर्ष 1960-1970 

मुंबई

  • सोने की तस्करी
  • चाँदी की तस्करी
  • फिल्म उद्योग से संबंध
  • रियल एस्टेट

 

  • गरीबी से निकलकर एक प्रभावशाली अपराध नेता बनने की यात्रा बॉलीवुड के साथ उसके संबंधों के लिये प्रसिद्ध है, जो अपराध और फिल्म उद्योग के बीच के गठजोड़ में प्रमुख भूमिका निभाता है।

दाऊद इब्राहिम

वर्ष 1980- वर्तमान

मुंबई/दुबई/

पाकिस्तान

  • नशीले पदार्थों की तस्करी
  • जबरन वसूली
  • आतंकवाद
  • धन शोधन
  • हथियारों का सौदा

  

  • छोटे-मोटे अपराधी के तौर पर शुरुआत की
  • डी-कंपनी का मुखिया
  • कथित तौर पर वर्ष 1993 के बॉम्बे बम धमाकों में शामिल
  • मोस्ट वांटेड इंडियन क्रिमिनल 

छोटा राजन

वर्ष 1980- वर्तमान  

मुंबई/दुबई/

पाकिस्तान

  • जबरन वसूली
  • कॉन्ट्रैक्ट किलिंग
  • नशले पदार्थों की तस्करी
  • अचल संपत्ति
  • दाऊद का पूर्व सहयोगी वर्ष 1993 के बम विस्फोटों के बाद प्रतिद्वंद्वी बन गया, कई गैंग युद्धों में शामिल वर्तमान में जेल में बंद है। 

 एक कॉलेज छात्र की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएँ भारत के सबसे कुख्यात आपराधिक नेटवर्क में कैसे बदल गईं?

  • कहानी की शुरुआत:  
    • वर्ष 2021 में दिल्ली पुलिस को घोड़ों की नीलामी के दौरान एक आपराधिक गैंग के गैंगस्टर ग्रुप से जुड़े होने का पता चला।
    • वे एक गैंगस्टर की जाँच कर रहे थे, जो पहले से ही जेल में था, लेकिन अभी भी एक बड़ा आपराधिक नेटवर्क चला रहा था।
  • प्रमुख अभिकर्त्ता: 
    • एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी का बेटा जो वर्तमान प्रसिद्ध गैंगों में से एक का प्रमुख सदस्य बन गया।
    • उस समूह का नेता जिसने कॉलेज में छात्र राजनीति में रहते हुए अपना आपराधिक कॅरियर शुरू किया।
    • गैंग का एक और सदस्य UAE में पकड़ा गया।
  • इसकी शुरुआत कैसे हुई:
    • गैंगस्टर ने पंजाब यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई के दौरान आपराधिक गतिविधियों की शुरुआत की।
    • वह सबसे पहले छात्र राजनीति और यूनियन चुनावों में शामिल हुआ।
    • कैंपस की राजनीति से शुरू हुआ यह खेल गंभीर आपराधिक गतिविधियों में परिवर्तित हो गया।
  • वृद्धि:
    • वर्ष 2014 से जेल में रहने के बावजूद उसका नेटवर्क लगातार बढ़ता रहा।
    • कथित तौर पर वह जेल के अंदर से करीब 700 लोगों का गैंग चलाता है।
    • उसका गैंग गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या सहित कई बड़े अपराधों में शामिल रहा।
  • वर्तमान स्थिति:
    • गैंग के कई सदस्य अलग-अलग जेलों में बंद हैं।
    • यह गैंग हत्या, जबरन वसूली और अन्य गंभीर अपराधों में शामिल है।
    • वे अब अपनी शिक्षा और संपर्कों का इस्तेमाल परिष्कृत आपराधिक गतिविधियों के संचालन के लिये कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1986

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विधायी आशय:
    • उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध के बढ़ते खतरे को संबोधित करने के लिये मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह द्वारा वर्ष 1986 में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम लागू किया गया था।
    • यह अधिनियम 15 जनवरी, 1986 को लागू हुआ, जो आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिये राज्य के कानूनी ढाँचे में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध हुआ।
    • अधिनियम के पीछे विधायी आशय इस सिद्धांत पर आधारित था कि "कानून की शुरुआत वहीं होती है जहाँ बुराई की शुरुआत होती है।"
    • इसका तात्कालिक लक्ष्य राज्य में सक्रिय लगभग 2,500 जाने-माने गैंगस्टरों को लक्षित करना और उन्हें न्याय के कटघरे में लाना था।
    • इस अधिनियम की कल्पना परिष्कृत आपराधिक नेटवर्क और संगठित अपराध से निपटने में मौजूदा नियमों की अपर्याप्तता के जवाब के रूप में की गई थी।
  • अधिनियम की आवश्यकता:
    • जबरन वसूली और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के बढ़ते मामले।
    • बड़े पैमाने पर भूमि हड़पने की गतिविधियाँ।
    • अवैध ड्रग व्यापार नेटवर्क का विकास।
    • सार्वजनिक सुरक्षा और संपत्ति के लिये बढ़ता खतरा।
    • पारंपरिक कानूनी उपायों की अप्रभावीता।
    • संगठित अपराध से निपटने के लिये विशेष कानूनी ढाँचे की आवश्यकता।

परिभाषाएँ एवं कानूनी ढाँचा:

  • गैंग की परिभाषा:
    • धारा 2(b) के अनुसार "गैंग" व्यक्तियों का एक समूह है जो:
      • असामाजिक गतिविधियों में शामिल होते हैं।
      • व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से काम करते हैं।
      • सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने का लक्ष्य रखते हैं।
    • अनुचित लाभ उठाने की कोशिश करते हैं:
      • हिंसा
      • धमकी
      • धमकाना
      • ज़बरदस्ती
  • गैंगस्टर की परिभाषा:
    • धारा 2(C) के अनुसार "गैंगस्टर" की पहचान इस प्रकार की गई है:
      • गैंग का सदस्य।
      • गैंग का नेता।
      • गैंग का आयोजक।
      • गैंग की गतिविधियों में सहायता करने वाला कोई भी व्यक्ति।
  • लोक सेवक की परिभाषा:
    • धारा 2(d) भारतीय दण्ड संहिता की धारा 21 के अनुरूप है और इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
      • नियमित लोक सेवक।
      • पुलिस जाँच में सहायता करने वाले व्यक्ति।
      • अपराधों के बारे में साक्ष्य या जानकारी प्रदान करने वाले व्यक्ति।
      • अधिनियम को लागू करने में शामिल अधिकारी।

प्रक्रियात्मक पहलू और कार्यान्वयन:

  • गैंग चार्ट तैयार करना:
    • पुलिस थाना प्रभारी/निरीक्षक द्वारा तैयार किया गया
    • गैंग की सभी आपराधिक गतिविधियों का दस्तावेज़ीकरण किया जाना चाहिये
    • अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की संस्तुति की आवश्यकता है
    • ज़िला पुलिस प्रमुख से अनुमोदन की आवश्यकता है
    • आयुक्त/ज़िला मजिस्ट्रेट से अंतिम प्राधिकरण
  • आधार मामले की आवश्यकताएँ:
    • आधार मामले की जाँच पूरी होनी चाहिये
    • गैंगस्टर एक्ट लागू करने से पहले चार्जशीट दाखिल की जानी चाहिये
    • चार्जशीट और रिकवरी मेमो की प्रामाणित प्रतियाँ आवश्यक हैं
    • अपराध स्थल पर प्रत्यक्ष भागीदारी अनिवार्य नहीं है

अनुश्रवण तंत्र:

  • त्रिस्तरीय समिति प्रणाली:
    • राज्य स्तर
    • प्रभाग स्तर
    • ज़िला स्तर
  • कार्यवाही का नियमित मूल्यांकन।
  • कार्यान्वयन की आवधिक समीक्षा।

अधिनियम के अंतर्गत शक्तियाँ एवं प्रावधान:

  • जाँच शक्तियाँ:
    • विशेष जाँच करने का अधिकार
    • संदेहास्पदों को एहतियातन हिरासत में लेने का अधिकार
    • गैंग की गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने का अधिकार
    • वित्तीय लेन-देन पर नज़र रखने की क्षमता
  • संपत्ति संबंधी शक्तियाँ:
    • धारा 14 संपत्ति कुर्क करने में सक्षम बनाती है
    • अवैध संपत्ति ज़ब्त करने का अधिकार
    • संपत्ति अधिग्रहण की जाँच करने की शक्ति
    • संदिग्ध लेन-देन को रोकने की क्षमता
  • न्यायिक प्रावधान:
    • विशेष न्यायालयों की स्थापना
    • शीघ्र सुनवाई प्रक्रिया
    • विशेष साक्ष्य नियम
    • बढ़ी हुई सज़ा रूपरेखा

न्यायिक निवर्चन एवं ऐतिहासिक मामले:

  • श्रद्धा गुप्ता बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (वर्ष 2022)
    • अधिनियम के लागू होने के लिये एक ही अपराध पर्याप्त है।
    • कई अपराधों की आवश्यकता नहीं है।
    • अपराध आवृत्ति की बजाय गैंग की सदस्यता पर ध्यान केंद्रित।
  • विनोद बिहारी लाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (वर्ष 2023)
    • सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान आवश्यक नहीं है।
    • वैकल्पिक उद्देश्य पर्याप्त हैं।
    • असामाजिक गतिविधियों पर ज़ोर।
  • अशोक कुमार दीक्षित बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (वर्ष 1987)
    • प्रत्यक्ष कार्य आवश्यक नहीं है।
    • उचित संबंध पर्याप्त है।
    • सक्रिय मिलीभगत पर्याप्त है।

सुरक्षा उपाय और उचित प्रक्रिया अधिकार:

  • प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय
    • अनिवार्य दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताएँ।
    • बहु-स्तरीय अनुमोदन प्रक्रिया।
    • नियमित समीक्षा तंत्र।
    • अपील प्रावधान।
  • आरोपी के अधिकार
    • कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार।
    • साक्ष्य तक पहुँच।
    • अपील तंत्र।
    • ज़मानत प्रावधान।
  • निरीक्षण तंत्र
    • नियमित समिति समीक्षा।
    • न्यायिक पर्यवेक्षण।
    • प्रशासनिक निरीक्षण।
    • आवधिक मूल्यांकन।

इसी तरह के अधिनियम: 

  • महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) 
    • अधिक कठोर दण्ड।
    • अपराधों का व्यापक दायरा।
    • विभिन्न प्रक्रियात्मक आवश्यकताएँ।
    • अतिरिक्त जाँच शक्तियाँ।
  • कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम
    • समान ढाँचा।
    • आतंकवादी गतिविधियाँ शामिल हैं।
    • विशेष न्यायालय प्रावधान।
    • विभिन्न कार्यान्वयन तंत्र।
  • अन्य राज्य कानून
    • गुजरात COCA
    • तेलंगाना COCA
    • हरियाणा COCA
    • संगठित अपराध के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण।

निष्कर्ष:  

कैंपस राजनीति से अपराध की ओर जाने वाला मार्ग यह दर्शाता है कि गिरोह किस प्रकार हमारे संस्थानों तथा व्यक्तिगत संबंधों की कमज़ोरियों का लाभ उठाते हैं। अधिक चिंताजनक यह है कि वर्तमान के अपराधी अधिक चतुर होते जा रहे हैं- वे अपनी शिक्षा और तकनीकी कौशल का उपयोग अवैध कार्यों के लिये कर रहे हैं। इससे पुलिस के लिये उन्हें पकड़ना कठिन हो जाता है और समाज के समक्ष गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।