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अंतर्राष्ट्रीय नियम

भारत और कनाडा के राजनयिक संबंध

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 17-Oct-2024

स्रोत: द हिंदू

परिचय:

राजनयिक तनाव में अचानक वृद्धि के बाद भारत और कनाडा ने एक-दूसरे के राजनयिक मिशनों के विरुद्ध नाटकीय कदम उठाए हैं। भारत ने कनाडा से अपने शीर्ष राजनयिक को वापस बुला लिया है और छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है, जबकि कनाडा ने भी कथित तौर पर भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। यह तब हुआ जब कनाडा ने पिछले वर्ष कनाडा की धरती पर एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था- भारत ने इन आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया है।

कनाडा और भारत के बीच हालिया राजनयिक तनाव के क्या निहितार्थ हैं? 

  • कनाडा के आरोप:
    • कनाडा सरकार ने जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तान समर्थक एक व्यक्ति की हत्या में "भारतीय सरकार के एजेंटों" के शामिल होने का आरोप लगाया है। 
    • कनाडा ने इस जाँच में छह भारतीय अधिकारियों को "पर्सन्स ऑफ इंटरेस्ट (persons of interest)" घोषित किया है।
  • भारत की अस्वीकृति:
    • भारत इन आरोपों को सख्ती से अस्वीकार करता है और इन्हें "अर्थहीन आरोप" करार देता है, साथ ही इनके लिये ट्रूडो सरकार की आंतरिक राजनीतिक मंशा को ज़िम्मेदार ठहराता है।
  • राजनयिक निष्कासन:
    • दोनों देशों ने गंभीर राजनयिक कार्रवाई की है, भारत ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया है और छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है, जबकि कनाडा ने भी कथित तौर पर भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
    • भारत का दावा है कि कनाडा सरकार की कार्रवाई से कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा "खतरे में" पड़ गई है।
  • चरमपंथियों को शरण देने का आरोप:
    • भारत ने कनाडा पर "हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों" को जगह देने का आरोप लगाया है, जिन्होंने कनाडा में भारतीय राजनयिकों तथा सामुदायिक नेताओं को कथित तौर पर प्रताड़ित किया है।
  • प्रत्यर्पण संबंधी मुद्दे:
    • भारत का आरोप है कि कनाडा ने कनाडा में रहने वाले उन व्यक्तियों के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध की अवहेलना की है, जिन्हें भारत आतंकवादी मानता है।

राजदूतावास क्या है?

  • राजदूतावास, राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय, 1961 के तहत कार्य करते हैं, जो राजनयिक संबंधों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून को संहिताबद्ध करता है।
  • राजनयिक एजेंटों को मेज़बान देश की गिरफ्तारी, हिरासत और सिविल तथा आपराधिक अधिकारिता से छूट प्राप्त होती है। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक मूलभूत सिद्धांत है।
  • राजनयिक मिशनों के परिसर अलंघनीय होते हैं:
    • मेज़बान देश के अधिकारी मिशन प्रमुख की अनुमति के बिना वहाँ प्रवेश नहीं कर सकते।
  • राजनयिक एजेंटों को मेज़बान देश में सभी प्रकार के व्यक्तिगत या वास्तविक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या नगरपालिका शुल्कों और करों से छूट प्राप्त होती है।
  • राजदूतावासों को आधिकारिक प्रयोजनों के लिये स्वतंत्र रूप से संचार करने का अधिकार होता है, जिसमें राजनयिक कूरियर और राजनयिक बैग का उपयोग भी शामिल होता है।
  • मेज़बान देश का विशेष कर्त्तव्य होता है कि वह राजनयिक मिशनों को अतिक्रमण या क्षति से बचाए तथा मिशन की शांति में किसी भी प्रकार की बाधा या उसकी गरिमा को ठेस पहुँचने से रोके।
  • राजदूतावासों को वीज़ा और पासपोर्ट जारी करने सहित वाणिज्य राजदूतावास संबंधी कार्य करने का कानूनी अधिकार प्राप्त होता है, जैसा कि राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय, 1961 में उल्लिखित है।
  • राजदूतावासों को विधिक कार्यवाही सहित मेज़बान राज्य के समक्ष अपने प्रेषक राज्य का प्रतिनिधित्व करने का विधिक अधिकार होता है।
  • राजनयिक एजेंटों का विधिक दायित्व होता है कि वे मेज़बान राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करें।

राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय, 1961

  • परिचय: 
    • राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय 18 अप्रैल, 1961 को ऑस्ट्रिया के वियना में अपनाया गया था तथा 24 अप्रैल, 1964 को लागू हुआ। 
    • यह अभिसमय राजनयिक कानून के नियमों और रीति-रिवाज़ों को संहिताबद्ध तथा स्पष्ट करता है एवं राज्यों के बीच राजनयिक संबंधों के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • अनुप्रयोग का दायरा:
    • यह अभिसमय राजनयिक मिशनों, जिनमें राजदूतावास और दूतावास शामिल होते हैं, के साथ-साथ राजनयिक एजेंटों जैसे राजदूत, चार्जेस डी'एफेयर (chargés d'affaires) और मेज़बान राज्य में भेजने वाले राज्य के अन्य मान्यता प्राप्त प्रतिनिधियों पर भी लागू होता है।
  • राजनयिक परिसर की अखंडता:  
    • अनुच्छेद 22 में कहा गया है कि राजनयिक मिशनों के परिसर अनुल्लंघनीय होते हैं। मेज़बान देश के एजेंट मिशन प्रमुख की सहमति के बिना उनमें प्रवेश नहीं कर सकते।
  • राजनयिक छूट:
    • अनुच्छेद 29 और 31 में प्रावधान है कि राजनयिक एजेंटों को व्यक्तिगत अखंडता और मेज़बान देश की आपराधिक अधिकारिता से छूट प्राप्त होती है। कुछ अपवादों के साथ उन्हें नागरिक और प्रशासनिक अधिकारिता से भी छूट प्राप्त होती है।
  • संचार की स्वतंत्रता:
    • अनुच्छेद 27 यह सुनिश्चित करता है कि राजनयिक मिशनों को सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिये स्वतंत्र रूप से संचार करने का अधिकार होता है।
  • कर छूट:
    • अनुच्छेद 34 कुछ विशिष्ट अपवादों के साथ राजनयिक एजेंटों को सभी बकाया और करों, चाहे वे व्यक्तिगत या वास्तविक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या नगरपालिका के हों, से छूट प्रदान करता है।
  • राजनयिकों का कर्त्तव्य:
    • अनुच्छेद 41 में कहा गया है कि राजनयिक एजेंटों का कर्त्तव्य होता है कि वे मेज़बान राज्य के कानूनों और नियमों का सम्मान करें तथा उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करें।
  • कार्यों का समापन:
    • अनुच्छेद 43 और 45 में उन परिस्थितियों का उल्लेख है जिनके अंतर्गत किसी राजनयिक एजेंट के कार्य समाप्त हो जाते हैं, जिनमें वापस बुलाना, अवांछित व्यक्ति घोषित करना तथा राजनयिक संबंधों का विच्छेद शामिल होता है।

राजनयिक एजेंट कौन होते हैं?

  • राजनयिक एजेंटों को, राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय, 1961 के अनुच्छेद 1(e) में परिभाषित किया गया है।
  • "राजनयिक एजेंट" शब्द का तात्पर्य मिशन के प्रमुख या मिशन के राजनयिक स्टाफ के सदस्य से है।
  • अनुच्छेद 4  
  • इसमें शामिल होते हैं:
    • राजदूत 
    • दूत 
    • मंत्री 
    • चार्जेस डी'एफेयर 
    • राजनयिक रैंक वाले अन्य राजनयिक स्टाफ 
  • सभी राजदूतावास या मिशन कर्मचारियों को राजनयिक एजेंट नहीं माना जाता।
  • मिशन का प्रमुख आमतौर पर राजदूत या भेजने वाले राज्य द्वारा उस क्षमता में कार्य करने के लिये अधिकृत कोई अन्य व्यक्ति होता है।
  • राजनयिक स्टाफ के सदस्य मिशन के वे स्टाफ सदस्य होते हैं जिनके पास राजनयिक रैंक होती है।

अभिसमय के अनुसार राजनयिक एजेंटों की नियुक्ति कैसे की जाती है?

  • अनुच्छेद 4(1): भेजने वाले राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि जिस व्यक्ति को वह उस राज्य के मिशन के प्रमुख के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव करता है, उसके लिये मेज़बान राज्य की सहमति दी गई है।
  • अनुच्छेद 4(2): प्राप्तकर्त्ता राज्य, भेजने वाले राज्य को प्रस्ताव की असहमति के लिये कारण बताने के लिये बाध्य नहीं होता है।
  • अनुच्छेद 7: भेजने वाला राज्य, अनुच्छेद 5, 8, 9 और 11 के अधीन, मिशन के कर्मचारियों के सदस्यों को स्वतंत्र रूप से नियुक्त कर सकता है।
  • अनुच्छेद 8(1): मिशन के राजनयिक स्टाफ के सदस्य सिद्धांततः भेजने वाले राज्य की राष्ट्रीयता के होने चाहिये।
  • अनुच्छेद 8(2): राजनयिक मिशन के कर्मचारियों के सदस्यों की नियुक्ति प्राप्त करने वाले राज्य की राष्ट्रीयता वाले व्यक्तियों में से नहीं की जा सकती, सिवाय इसके कि उस राज्य की सहमति प्राप्त की जाए, जिसे किसी भी समय वापस लिया जा सकता है।

राजनयिक एजेंटों के कार्य और छूट क्या हैं?

  • राजनयिक एजेंटों के कार्य:
    • अनुच्छेद 3(1): राजनयिक मिशन के कार्यों में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित शामिल होती हैं:
      • मेज़बान राज्य में भेजने वाले राज्य का प्रतिनिधित्व करना;
      • मेज़बान राज्य में भेजने वाले राज्य और उसके नागरिकों के हितों की अंतर्राष्ट्रीय विधि द्वारा अनुमत सीमाओं के भीतर सुरक्षा करना;
      • मेज़बान राज्य की सरकार के साथ बातचीत करना;
      • मेज़बान राज्य में सभी वैध साधनों द्वारा स्थितियों और विकास का पता लगाना तथा उसके बारे में भेजने वाले राज्य की सरकार को रिपोर्ट करना;
      • भेजने वाले राज्य और मेज़बान राज्य के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना एवं उनके आर्थिक, सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक संबंधों को विकसित करना।
    • अनुच्छेद 3(2): वर्तमान अभिसमय में किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह राजनयिक मिशन द्वारा कौंसल संबंधी कार्यों के निष्पादन को रोकती है।
    • अनुच्छेद 41(1): अपने विशेषाधिकारों और छूटों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे विशेषाधिकारों तथा छूटों का आनंद लेने वाले सभी व्यक्तियों का यह कर्त्तव्य होता है कि वे मेज़बान राज्य के कानूनों एवं नियमों का सम्मान करें।
    • अनुच्छेद 41(2): प्रेषक राज्य द्वारा मिशन को सौंपे गए मेज़बान राज्य के सभी आधिकारिक व्यवसाय, मेज़बान राज्य के विदेश मामलों के मंत्रालय या ऐसे अन्य मंत्रालय के माध्यम से संचालित किये जाएंगे, जैसा कि सहमति हो।
  • राजनयिक एजेंटों की छूट: 
    • अनुच्छेद 29: राजनयिक एजेंट अनतिक्रमणीय होगा। उसे किसी भी प्रकार की गिरफ्तारी या हिरासत में नहीं लिया जा सकता। मेज़बान राज्य उसके साथ उचित सम्मान से पेश आएगा और उसके व्यक्तित्व, स्वतंत्रता या सम्मान पर किसी भी हमले को रोकने के लिये सभी उचित कदम उठाएगा।
    • अनुच्छेद 31(1): राजनयिक एजेंट को मेज़बान राज्य की आपराधिक अधिकारिता से छूट प्राप्त होगी। उसे इसकी सिविल और प्रशासनिक अधिकारिता से भी छूट प्राप्त होगी, सिवाय इसके कि:
      • मेज़बान राज्य के क्षेत्र में स्थित निजी स्थावर संपत्ति से संबंधित एक वास्तविक कार्रवाई, जब तक कि वह मिशन के प्रयोजनों के लिये भेजने वाले राज्य की ओर से इसे धारण नहीं करता है;
      • एक ऐसा कार्य जो उत्तराधिकार से संबंधित है, जिसमें राजनयिक एजेंट एक निजी व्यक्ति के रूप में कार्य करता है, जैसे कि कार्यकारी, प्रशासक, उत्तराधिकारी या वसीयतदार, और यह कार्य भेजने वाले राज्य की ओर से नहीं किया जाता है।
      • मेज़बान राज्य में राजनयिक एजेंट द्वारा अपने आधिकारिक कार्यों के अलावा की गई किसी व्यावसायिक या वाणिज्यिक गतिविधि से संबंधित कार्रवाई।
    • अनुच्छेद 31(2): राजनयिक एजेंट गवाह के रूप में साक्ष्य देने के लिये बाध्य नहीं होता है।
    • अनुच्छेद 31(3): इस अनुच्छेद के पैरा 1 के उपपैरा (a), (b) और (c) के अंतर्गत आने वाले मामलों को छोड़कर किसी राजनयिक एजेंट के संबंध में निष्पादन के कोई उपाय नहीं किये जा सकते हैं तथा बशर्ते कि संबंधित उपाय उसके व्यक्ति या उसके निवास की अखंडता का उल्लंघन किये बिना किये जा सकें।
    • अनुच्छेद 32(1): राजनयिक एजेंटों और अनुच्छेद 37 के तहत छूट का आनंद लेने वाले व्यक्तियों की अधिकारिता से छूट को भेजने वाले राज्य द्वारा क्षमा किया जा सकता है।
    • अनुच्छेद 32(2): छूट हमेशा व्यक्त की जानी चाहिये।
    • अनुच्छेद 39(1): विशेषाधिकारों और छूटों का हकदार प्रत्येक व्यक्ति उस समय से उनका आनंद लेगा जब वह अपना पद ग्रहण करने के लिये मेज़बान राज्य के क्षेत्र में प्रवेश करेगा या यदि वह पहले से ही उसके क्षेत्र में है, तो उस समय से जब उसकी नियुक्ति विदेश मंत्रालय या ऐसे अन्य मंत्रालय को अधिसूचित की जाती है, जिस पर सहमति हो सकती है।
    • अनुच्छेद 39(2): जब किसी व्यक्ति के विशेषाधिकार और छूट की कार्यक्षमता समाप्त हो जाती है, तो सामान्यतः ये विशेषाधिकार तथा छूट उस समय समाप्त हो जाते हैं जब वह व्यक्ति देश छोड़ता है, या जब एक उचित अवधि समाप्त हो जाती है। हालाँकि ये विशेषाधिकार और छूट उस समय तक बने रहेंगे, यहाँ तक कि सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में भी।

जब राजनयिक संबंध समाप्त हो जाते हैं या मिशन वापस बुला लिया जाता है तो क्या होता है?

  • अनुच्छेद 45 तब लागू होता है जब राजनयिक संबंध समाप्त हो जाते हैं या किसी मिशन को स्थायी या अस्थायी रूप से वापस बुला लिया जाता है।
  • मेज़बान राज्य का यह दायित्व होता है कि वह सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में भी मिशन परिसर, संपत्ति और अभिलेखों का सम्मान करे तथा उनकी सुरक्षा करे।
  • भेजने वाले राज्य के पास दो मुख्य विकल्प होते हैं: 
    • मिशन परिसर, संपत्ति और अभिलेखों की सुरक्षा किसी तीसरे राज्य को सौंपना। 
    • अपने हितों और अपने नागरिकों के हितों की सुरक्षा किसी तीसरे राज्य को सौंपना।
  • भेजने वाले राज्य द्वारा चुना गया कोई भी तीसरा राज्य, मेज़बान राज्य को स्वीकार्य होना चाहिये।
  • जब तक स्थिति बनी रहेगी, मिशन परिसर, संपत्ति और अभिलेखों की सुरक्षा जारी रहेगी।
  • इस सुरक्षा में मिशन की सभी संपत्तियों को शामिल किया गया है तथा इसमें अभिलेखों का विशेष उल्लेख करते हुए उनके महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
  • जिस तीसरे राज्य को अभिरक्षा या संरक्षण सौंपा गया है, उससे तटस्थ पक्ष के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है।
  • अनुच्छेद 43 में कहा गया है कि राजनयिक एजेंट का कार्य समाप्त हो जाता है, अन्य बातों के साथ-साथ:  
    • भेजने वाले राज्य द्वारा मेज़बान राज्य को यह अधिसूचना दिये जाने पर कि राजनयिक एजेंट का कार्य समाप्त हो गया है।

निष्कर्ष: 

ये घटनाक्रम भारत-कनाडा संबंधों में गंभीर गिरावट को दर्शाते हैं, जिसमें दोनों पक्षों ने राजनयिक स्टाफों के विरुद्ध अभूतपूर्व कार्रवाई की है। विवाद कनाडा के उन आरोपों के इर्द-गिर्द केंद्रित है जिसमें खालिस्तानी कार्यकर्त्ता की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया गया है, जिसे भारत "बेतुका" बताकर खारिज करता है। वीज़ा सेवाओं को निलंबित करने और दर्जनों राजनयिकों को निष्कासित करने के साथ, दोनों देशों के बीच संबंध नए निम्न स्तर पर पहुँच गए हैं। स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, अगर जल्द ही कोई राजनयिक समाधान नहीं निकाला गया तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।