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सिविल कानून

MVA के अंतर्गत हल्के मोटर वाहन

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 26-Aug-2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

परिचय:

ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचारणीय है। यह मामला इस बात पर केंद्रित है कि क्या लाइट मोटर व्हीकल (LMV) के लाइसेंस का प्रयोग ट्रैक्टर या रोड रोलर जैसे बड़े वाहन चलाने के लिये किया जा सकता है। यह प्रश्न वर्ष 2017 के उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय से उत्पन्न हुआ है जिसमें इस तरह के प्रयोग की अनुमति दी गई थी। मौजूदा मामले में उस निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसके कारण मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(21) और 10 की फिर से जाँच की आवश्यकता है। यह निर्णय LMV लाइसेंस के विस्तार एवं सीमाओं को स्पष्ट करेगा, जिसका संभावित रूप से भारत भर में लाखों वाहन चालकों पर प्रभाव पड़ेगा।

मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, 2017 की पृष्ठभूमि एवं न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या है?

  • पृष्ठभूमि:
    • वर्ष 2017 में, उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर विचार किया था कि क्या लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस धारक को परिवहन वाहन चलाने के लिये अलग लाइसेंस की आवश्यकता है।
    • मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MVA) की धारा 10 में कहा गया है कि ड्राइविंग लाइसेंस में वाहनों की "श्रेणियों" को निर्दिष्ट किया गया है, जिन्हें धारक को चलाने की अनुमति है, जिसमें "हल्के मोटर वाहन" और "परिवहन वाहन" को अलग-अलग श्रेणियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
    • मोटर वाहन अधिनियम की धारा 2(21) के अनुसार LMV एक ऐसा परिवहन वाहन या ओम्नीबस है जिसका सकल वाहन भार या किसी मोटर कार या ट्रैक्टर या रोड-रोलर जिसका बिना लदान के कुल भार 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं है।
    • मोटर वाहन अधिनियम में 1994 के संशोधन द्वारा "परिवहन वाहन" को एक वर्ग के रूप में शामिल किया गया, जिसने "मध्यम" या "भारी" यात्री और माल वाहनों के पिछले वर्गीकरण को प्रतिस्थापित कर दिया।
  • न्यायालय की टिप्पणियाँ:
    • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारक को 7,500 किलोग्राम से अधिक भार के बिना रोड-रोलर, ट्रैक्टर और "परिवहन वाहन" चलाने की अनुमति है।
    • खंडपीठ ने तर्क दिया कि LMV परिभाषा के अंतर्गत आने वाले वाहनों पर "परिवहन वाहनों" की अलग श्रेणी लागू करने से " विसंगतिपूर्ण परिणाम" सामने आएंगे।
    • न्यायालय ने इस संभावित विसंगति को स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि पृथक वर्ग लागू किया जाता है, तो LMV लाइसेंस धारक को अपनी निजी कार को छत पर लगे कैरियर या ट्रेलर के साथ चलाने के लिये गैर-लाइसेंस प्राप्त माना जाएगा, क्योंकि तब इस वाहन को परिवहन वाहन के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
    • पीठ ने ऐसे अव्यावहारिक परिणामों से बचने के लिये विधायी आशय की व्याख्या की, जिसके अंतर्गत हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारकों को अतिरिक्त लाइसेंस अनुमोदन की आवश्यकता के बिना निर्दिष्ट भार-सीमा के भीतर कुछ परिवहन वाहनों को चलाने की अनुमति दी गई।
    • न्यायालय की व्याख्या में व्यावहारिक विचारों को वैधानिक ढाँचे के साथ संतुलित करने का प्रयास किया गया तथा मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों की जटिल शाब्दिक व्याख्या के संभावित निहितार्थों को मान्यता दी गई।

मेसर्स बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम रंभा देवी एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि और न्यायालय की टिप्पणी क्या है?

  • पृष्ठभूमि:
    • जुलाई 2011 में, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस को एक ऑटोरिक्शा दुर्घटना में 5,02,800 रुपए की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया था।
    • राजस्थान उच्च न्यायालय ने अगस्त 2017 में मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2017) में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का उदाहरण देते हुए क्षतिपूर्ति आदेश को यथावत् रखा।
    • बजाज आलियांज ने वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय में अपील की, जिसमें तर्क दिया गया कि मुकुंद देवांगन निर्णय में मोटर वाहन अधिनियम (MVA) के महत्त्वपूर्ण प्रावधानों पर विचार नहीं किया गया, जो हल्के मोटर वाहनों (LMV) एवं परिवहन वाहनों के बीच अंतर करते हैं।
    • मार्च 2022 में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि मुकुंद देवांगन मामले में कुछ प्रावधानों पर विचार नहीं किया गया था और मामले को संविधान पीठ को भेज दिया।
    • केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से इस मामले पर अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया।
  • न्यायालय की टिप्पणियाँ:
    • भारत के अटॉर्नी जनरल ने तर्क दिया कि मुकुंद देवांगन मामले में दिया गया निर्णय MVA के विधायी आशय के अनुरूप नहीं है।
    • उच्चतम न्यायालय ने यह उचित समझा कि न्यायालय द्वारा व्याख्यात्मक प्रक्रिया प्रारंभ करने से पूर्व सरकार द्वारा संपूर्ण मामले का मूल्यांकन कर लिया जाए।
    • न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह हितधारकों के साथ चल रहे परामर्श के विषय में सूचित किये जाने के उपरांत MVA में प्रस्तावित संशोधनों के लिये एक "रोड मैप" प्रस्तुत करे।
    • 16 अप्रैल, 2024 को अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय को सूचित किया कि प्रस्तावित संशोधन तैयार है, परंतु लोकसभा चुनाव संपन्न होने तक इसे स्थगित करने का अनुरोध किया गया।
    • यह संशोधन दिसंबर में प्रारंभ होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
    • संविधान पीठ को अब मुकुंद देवांगन निर्णय और संभावित विधायी संशोधनों के अनुसार मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या करने तथा वाणिज्यिक वाहन संचालकों की आजीविका के मुद्दों के साथ सड़क सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बीच संतुलन स्थापित करने का कार्य सौंपा गया है।

MVA के अनुसार हल्का मोटर वाहन क्या है?

  • MVA की धारा 2(21) "हल्के मोटर वाहन" की वैधानिक परिभाषा प्रदान करती है।
  • "हल्के मोटर वाहन" शब्द में वाहनों की चार श्रेणियाँ शामिल हैं:
    • a) परिवहन वाहन
    • b) ओम्नीबस
    • c) मोटर कार
    • d) ट्रैक्टर या रोड-रोलर
  • परिवहन वाहनों एवं बसों के लिये वर्गीकरण सकल वाहन भार पर आधारित है, जो 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • मोटर कारों, ट्रैक्टरों और रोड-रोलरों के लिये वर्गीकरण बिना लदे भार के आधार पर किया जाता है, जो 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • इस परिभाषा के अंतर्गत सभी वाहनों को हल्के मोटर वाहन के रूप में वर्गीकृत करने के लिये 7500 किलोग्राम भार की सीमा ऊपरी सीमा मानी जाती है।
  • यह परिभाषा अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंसिंग एवं विनियमन के लिये हल्के मोटर वाहनों तथा भारी वाहनों के बीच अंतर स्पष्ट करती है।
  • इस परिभाषा में परिवहन वाहनों को शामिल करने से यह पता चलता है कि कुछ वाणिज्यिक वाहन भी हल्के मोटर वाहनों की श्रेणी में आ सकते हैं, बशर्ते वे निर्दिष्ट भार मानदण्डों को पूरा करते हों।

MVA की धारा 10 क्या है?

  • धारा 10(1) में यह अनिवार्य किया गया है कि प्रत्येक शिक्षार्थी लाइसेंस और ड्राइविंग लाइसेंस, धारा 18 के अंतर्गत जारी किये गए लाइसेंसों को छोड़कर, केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुरूप होंगे तथा उनमें निर्धारित सूचना निहित होगी।
  • धारा 10(2) में प्रावधान है कि शिक्षार्थी लाइसेंस या ड्राइविंग लाइसेंस धारक को निम्नलिखित श्रेणियों में से एक या अधिक से संबंधित मोटर वाहन चलाने का स्पष्ट अधिकार देगा: a) गियर रहित मोटरसाइकिल b) गियर वाली मोटरसाइकिल c) अवैध वाहन d) हल्का मोटर वाहन e) परिवहन वाहन f) रोड-रोलर g) निर्दिष्ट विवरण का मोटर वाहन।
  • उपधारा (2)(e) के अंतर्गत "परिवहन वाहन" को एक अलग वर्ग के रूप में शामिल किया जाना उल्लेखनीय है, क्योंकि यह इस श्रेणी को अन्य वाहन वर्गों से अलग करता है।
  • यह प्रावधान लाइसेंस जारी करने की अनुमति देता है, जो धारक को धारा में उल्लिखित अनुसार अनेक श्रेणियों के वाहन चलाने के लिये प्राधिकृत कर सकता है।
  • यह अनुभाग मोटर वाहनों के लिये एक व्यापक वर्गीकरण प्रणाली प्रदान करता है, जिसमें व्यक्तिगत और वाणिज्यिक दोनों परिवहन श्रेणियाँ शामिल हैं।
  • उपधारा (2)(j) के अंतर्गत "निर्दिष्ट वर्णन के मोटर वाहन" का विनिर्देशन उन वाहनों के लिये लाइसेंसिंग में लचीलापन प्रदान करता है जो अन्य प्रगणित श्रेणियों में नहीं आते हैं।

निष्कर्ष:

उच्चतम न्यायालय, पिछले निर्णयों एवं विधायी परिवर्तनों के आधार पर इस बात की फिर से जाँच कर रहा है कि क्या लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस, ट्रैक्टर जैसे बड़े वाहनों के संचालन की अनुमति देता है। मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, 2017 मामले ने पुष्टि की कि LMV लाइसेंस का विस्तार कुछ परिवहन वाहनों तक हो सकता है, परंतु मेसर्स बजाज एलियांज बनाम रंभा देवी एवं अन्य, 2022 मामले ने इस व्याख्या की समीक्षा को प्रेरित किया है। उच्चतम न्यायालय, सड़क सुरक्षा तथा वाणिज्यिक वाहन संचालकों की आजीविका पर विचार करते हुए, MVA में संभावित संशोधनों के अनुसार एक संतुलित दृष्टिकोण की मांग कर रहा है।