संविधान का निर्माण
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सांविधानिक विधि

संविधान का निर्माण

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 20-Aug-2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

परिचय  

भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा संविधान है, जिसमें 25 भागों में 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं। संविधान निर्माण के लिये संविधान सभा की स्थापना की गई थी। संविधान निर्माण की आवश्यकता को सबसे पहले ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1940 में स्वीकार किया था। अंत में कैबिनेट मिशन ने संविधान सभा का विचार सामने रखा और इसने भारत के संविधान की शुरुआत को चिह्नित किया। संविधान का प्रारूप तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने तथा 18 दिन लगे। संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था। यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ तथा इस दिन को "भारत के गणतंत्र दिवस" ​​के रूप में मनाया जाता है।

भारतीय संविधान के निर्माण की क्या आवश्यकता थी?

  • यह विश्व भर में विभिन्न क्रांतियों से उभरा।
  • विभिन्न सामाजिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक कारक।
  • ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की समाप्ति के बाद एक नई शासन प्रणाली की आवश्यकता उत्पन्न हुई।
  • भारत में विशाल संस्कृतियाँ, धर्म, भाषाएँ और परंपराएँ हैं, जिसके कारण राष्ट्र में एक समान कानून बनाने की आवश्यकता हुई।
  • संविधान का एक मूल उद्देश्य नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करना और उन्हें मनमाने प्रशासनिक कार्यों से बचाना है।
  • भारत को राज्य के सभी कार्यों में जाँच और संतुलन बनाए रखने के लिये लोकतंत्र के सिद्धांतों को स्थापित करने की आवश्यकता थी।
  • सामाजिक न्याय और समानता वे कारण हैं, जिनके कारण जाति, लिंग, धर्म, नस्ल के आधार पर दीर्घकालिक भेदभाव के विरुद्ध नियम बनाने की शुरुआत हुई।

भारतीय संविधान के स्रोत क्या हैं?

  • भारत सरकार अधिनियम, 1935: संविधान निर्माण के लिये इस अधिनियम के विभिन्न सिद्धांतों और प्रावधानों को अपनाया गया जैसे:
    • शक्तियों का विभाजन।
    • प्रांतीय स्वायत्तता
    • द्विसदनीय व्यवस्था
  • ब्रिटिश संविधान
    • संसदीय शासन प्रणाली
    • कानून का शासन
    • विधायी प्रक्रिया
    • एकल नागरिकता
    • कैबिनेट प्रणाली
    • परमाधिकार रिट
    • संसदीय विशेषाधिकार
    • द्विसदनीयता
  • अमेरिकी संविधान
    • मौलिक अधिकार
    • न्यायपालिका की स्वतंत्रता
    • न्यायिक पुनर्विलोकन
    • राष्ट्रपति पर महाभियोग
    • उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायधीशों को हटाना
    • उपराष्ट्रपति का पद
  • आयरिश संविधान
    • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP)
    • राज्यसभा (उच्च सदन) के लिये सदस्यों का नामांकन
    • राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधि
  • कनाडा का संविधान
    • एक दृढ़ केंद्र सहित संघ
    • केंद्र में अवशिष्ट शक्तियों का निहित होना
    • केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति
    • उच्चतम न्यायालय का सलाहकारी अधिकारिता
  • ऑस्ट्रेलियाई संविधान
    • समवर्ती सूची
    • व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता
    • संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
    • वाइमर संविधान
    • आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन
    • सोवियत संविधान
    • मौलिक कर्त्तव्य
    • प्रस्तावना में न्याय के आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक)
  • फ्राँसीसी संविधान
    • गणतंत्र
    • प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श
    • दक्षिण अफ्रीकी संविधान
    • भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया
    • राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन
  • जापानी संविधान
    • विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया

संविधान सभा के अंतर्गत कौन-सी समितियाँ गठित की गईं?

संविधान सभा के अंतर्गत कुल आठ समितियाँ गठित की गईं:

  • संघ शक्ति समिति: इस समिति की ज़िम्मेदारी थी कि वह विषय-वस्तु को परिभाषित करे जिस पर संघ कार्यपालिका और विधायिका को शक्ति होगी।
    • इस समिति की अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
  • संघीय संविधान समिति: इसने भारत के संविधान के लेखन पर कार्य किया।
  • प्रांतीय संविधान समिति: इस समिति की स्थापना प्रांतीय स्तर पर सरकार की प्रणाली और स्वरूप को निर्धारित करने में सहायता के लिये एक मॉडल प्रदान करने के लिये की गई थी।
    • इस समिति की अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
  • प्रारूप समिति: इस समिति ने अन्य समितियों द्वारा दी गई रिपोर्टों के आधार पर संविधान का प्रारूप तैयार करने का कार्य किया।
    • इस समिति की अध्यक्षता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने की थी।
  • मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक तथा जनजातीय एवं बहिष्कृत क्षेत्रों पर सलाहकार समिति: सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में गठित इस समिति में निम्नलिखित पाँच उप-समितियाँ थीं:
    • मौलिक अधिकार उप-समिति
    • अल्पसंख्यक उप-समिति
    • उत्तर-पूर्व सीमांत जनजातीय क्षेत्र और असम बहिष्कृत एवं आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र उप-समिति
    • बहिष्कृत एवं आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र (असम के अलावा) उप-समिति
    • उत्तर-पश्चिम सीमांत जनजातीय क्षेत्र उप-समिति।
  • प्रक्रिया नियम समिति: यह समिति सदस्यों के प्रवेश और त्याग-पत्र, विधानसभा और इसकी विभिन्न समितियों में कार्य संचालन तथा विधानसभा के कामकाज में शामिल सभी व्यक्तियों के वेतन एवं भत्ते तय करने से संबंधित प्रक्रियात्मक नियम बनाने के लिये ज़िम्मेदार थी।
    • अन्य दो समितियाँ क्रमशः राज्य समिति और संचालन समिति थीं, जिनके अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
    • इन प्रमुख समितियों के अंतर्गत 13 छोटी समितियाँ गठित की गईं।

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • सबसे लंबा संविधान
  • कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण
  • प्रस्तावना
  • समाजवादी, कल्याणकारी, धर्मनिरपेक्ष राज्य
  • निर्देशक सिद्धांत
  • अर्द्ध-संघीय व्यवस्था
  • संविधान और संवैधानिकता का पालन करना

भारतीय संविधान की मूल संरचना

  • संविधान की सर्वोच्चता
  • संविधान की संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक प्रकृति
  • सरकार के विभिन्न अंगों, यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का पृथक्करण
  • संविधान का संघीय चरित्र
  • संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति
  • देश की एकता और अखंडता
  • कानून का शासन
  • न्यायिक पुनर्विलोकन
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  • संसदीय प्रणाली
  • कल्याणकारी राज्य (सामाजिक-आर्थिक न्याय)
  • न्याय तक प्रभावी पहुँच
  • व्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ गरिमा भी।
  • मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक सिद्धांतों के बीच सामंजस्य एवं संतुलन।
  • मौलिक अधिकारों के अंतर्निहित सिद्धांत।
  • समानता का सिद्धांत।
  • संविधान के अनुच्छेद 32 (रिट अधिकारिता), 136 (विशेष अनुमति याचिका के संबंध में अधिकारिता), 141 (सभी अन्य न्यायालयों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि की बाध्यकारी प्रकृति) और 142 (उच्चतम न्यायालय के डिक्री एवं आदेशों का प्रवर्तन) के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय की शक्तियाँ।
  • संविधान के अनुच्छेद 226 (रिट अधिकारिता) और 227 (सभी न्यायालयों पर अधीक्षण की शक्ति) के तहत उच्च न्यायालय की शक्तियाँ।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन।
  • संविधान में संशोधन करने की संसद की सीमित शक्ति।

निष्कर्ष

भारतीय संविधान भारत के नागरिकों का एकता का केंद्र बन गया है। यह एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से लोग अपने अधिकारों और उपचार का दावा करते हैं। संविधान प्रशासन द्वारा मनमानी कार्यवाही से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने में सहायता करता है। भारत में आज अगर हम स्वतंत्र रूप से सम्मान के साथ रह रहे हैं, तो यह संविधान के कारण है। संप्रभुता, लोकतंत्र और स्वतंत्रता, अधिकार तथा कर्त्तव्य सभी शासकीय मानदंडों को मिलाकर सबसे बड़ी संपत्ति भारत का संविधान बनाया गया है।