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आपराधिक कानून

बलात्संग के मामलों में दण्ड का प्रावधान

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 27-Aug-2024

स्रोत: द हिंदू

परिचय

16 जनवरी, 2012 को दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्संग के बाद काफी हंगामा हुआ था। इसके परिणामस्वरूप बलात्संग, यौन उत्पीड़न आदि के अपराधों पर अनुशंसा करने के लिये न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति का गठन किया गया।

  •  इन अनुशंसाओं के परिणामस्वरूप वर्ष 2013 में आपराधिक संशोधन पारित किये गये।

न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति की रिपोर्ट क्या है?

  •  23 दिसंबर, 2012 को न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा (उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी।
  •  समिति के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति लीला सेठ एवं गोपाल सुब्रमण्यम थे।
  • समिति की रिपोर्ट 23 जनवरी, 2013 को प्रस्तुत की गई जिसमें बलात्संग, यौन उत्पीड़न, बाल यौन शोषण आदि से संबंधित विधियों पर अनुशंसाएँ की गईं।

बलात्संग के अपराध पर न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति की अनुशंसाएँ क्या थीं?

  •  समिति ने अनुशंसा की कि मृत्युदंड की मांग करना सज़ा एवं सुधार के क्षेत्र में एक प्रतिगामी कदम होगा।
  •  रिपोर्ट ने स्वीकार किया कि बलात्संग का अपराध अत्यधिक नैतिक पतन का अपराध है, लेकिन इसके लिये अभियुक्त को मृत्युदण्ड नहीं दिया जाना चाहिये।
  •  वैवाहिक बलात्संग के संबंध में समिति ने अनुशंसा की कि वैवाहिक बलात्संग के लिये अपवाद को हटा दिया जाना चाहिये।
  •  रिपोर्ट में वैवाहिक बलात्संग के संबंध में निम्नलिखित बातें कही गई हैं:
  •  बलात्संग के अपराधों के विरुद्ध वैवाहिक या अन्य संबंध वैध बचाव नहीं है।
  •  बलात्संग की जाँच में पक्षों के मध्य संबंध प्रासंगिक नहीं है।
  •  यह ध्यान देने योग्य बात है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2013 में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) में संशोधन करते समय समिति द्वारा मृत्युदण्ड पर की गई अनुशंसाओं को ध्यान में नहीं रखा था।

IPC के अधीन बलात्संग के अपराध की सज़ा क्या है?

 मृत्युदण्ड का प्रावधान करने वाली धारा।

प्रावधान

विवरण

धारा 376A

पीड़ित की मृत्यु या उसे लगातार विकृतशील दशा में पहुँचाने के लिये दण्ड

धारा 376 DB

12 वर्ष से कम आयु की महिला से सामूहिक बलात्संग के लिये सज़ा

धारा 376E

पुनरावृत्तिकर्त्ता अपराधियों के लिये दण्ड

बलात्संग के अपराध के लिये अन्य दण्ड का प्रावधान

प्रावधान

विवरण

दण्ड

धारा 376 (1)  

बलात्संग के अपराध के लिये दण्ड

कम-से-कम 10 वर्ष का कठोर कारावास जो आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है तथा अर्थदण्ड

धारा 376 (3)

16 वर्ष से कम आयु की महिला से बलात्संग के लिये सज़ा

कम-से-कम 20 वर्ष का कठोर कारावास जो आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है तथा अर्थदण्ड

धारा 376D

सामूहिक बलात्संग के लिये सज़ा

कम-से-कम 20 वर्ष का कठोर कारावास, जो आजीवन कारावास तथा अर्थदण्ड तक बढ़ाया जा सकता है

धारा 376DA

16 वर्ष से कम आयु की महिला के साथ सामूहिक बलात्संग की सज़ा

आजीवन कारावास तथा अर्थदण्ड

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) के अधीन बलात्संग के लिये सज़ा का क्या प्रावधान है?

प्रावधान

विवरण

दण्ड

धारा 64

बलात्संग के लिये सज़ा

कम-से-कम 10 वर्ष का कठोर कारावास, जो आजीवन कारावास और अर्थदण्ड तक बढ़ाया जा सकता है

धारा 65 (1)

16 वर्ष से कम आयु की महिला से बलात्संग के लिये सज़ा

 

कम-से-कम 20 वर्ष का कठोर कारावास जो आजीवन कारावास और ज़ुर्माने तक बढ़ाया जा सकता है

धारा 65 (2)

12 वर्ष से कम आयु की महिला से बलात्संग के लिये सज़ा

कम-से-कम 20 वर्ष का कठोर कारावास जो आजीवन कारावास और अर्थदण्ड या मृत्युदंड तक बढ़ाया जा सकता है।

 

धारा 66

मृत्यु का कारण बनने या लगातार विकृतशील दशा में पहुँचाने के लिये दण्ड

कठोर कारावास, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी, किंतु जो आजीवन कारावास या मृत्यु तक हो सकेगी।

धारा 70 (1)

सामूहिक बलात्संग के लिये दण्ड

कठोर कारावास जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी, किंतु जो आजीवन कारावास तथा अर्थदण्ड तक हो सकेगी

धारा 70 (2)

18 वर्ष से कम आयु की महिला के साथ सामूहिक बलात्संग के लिये दण्ड

आजीवन कारावास, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल तक कारावास तथा अर्थदण्ड या मृत्युदण्ड होगा।

धारा 71

पुनरावृत्तिकर्त्ता

अपरधियों के लिये दण्ड

आजीवन कारावास जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिये कारावास या मृत्युदण्ड होगा।

निष्कर्ष

बलात्संग एक जघन्य अपराध है जो न केवल व्यक्ति के शरीर के विरुद्ध बल्कि उसके मन के विरुद्ध भी किया जाता है। बलात्संग की हाल की घटनाओं ने बलात्संग के अपराध के लिये उचित दण्ड के विषय में चर्चा को पुनः प्रारंभ कर दिया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि बलात्संग के संबंध में पहले से ही कड़े प्रावधान होने के बावजूद भी इस तरह की घटनाएँ बढ़ रही हैं।