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सांविधानिक विधि
राइट टू डिस्कनेक्ट
«11-Dec-2024
स्रोत: द हिंदू
परिचय
राइट टू डिस्कनेक्ट एक ऐसा अधिकार है, जो व्यक्ति को अपने कार्य समय के समाप्त होने के बाद एक संतुलित और स्वस्थ व्यक्तिगत जीवन जीने की अनुमति देता है।
- हाल ही में ई.वाई. के एक कर्मचारी की कथित रूप से कार्य के दबाव के कारण हुई मृत्यु के कारण यह चर्चा का विषय रहा है।
राइट टू डिस्कनेक्ट क्या है?
- ए.डी.पी. रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन के अनुसार, 49% भारतीय कर्मचारियों ने कहा कि कार्यस्थल पर तनाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- फ्राँसीसी राजनीतिज्ञ बेनोइट हैमन ने कहा कि कर्मचारी शारीरिक रूप से कार्यस्थल छोड़ देते हैं, लेकिन वे अपना कार्य नहीं छोड़ते।
- राइट टू डिस्कनेक्ट एक ऐसा अधिकार है, जो व्यक्ति को अपने कार्य समय के समाप्त होने के बाद एक संतुलित और स्वस्थ व्यक्तिगत जीवन का आनंद लेने की अनुमति देता है।
विश्व भर में राइट टू डिस्कनेक्ट पर क्या कानून हैं?
- फ्राँस
- फ्राँसीसी सुप्रीम कोर्ट के लेबर चैंबर ने वर्ष 2001 में निर्णय सुनाया था कि एक कर्मचारी को घर से कार्य करने या फाइलें और कार्य उपकरण घर ले जाने की कोई बाध्यता नहीं है।
- इस निर्णय की बाद में न्यायपालिका के सर्वोच्च न्यायालय ने पुष्टि की।
- न्यायालय ने माना कि यह तथ्य कि कर्मचारी कार्य के घंटों के बाद अपने सेल फोन पर उपलब्ध नहीं था, उसे कदाचार नहीं माना जा सकता।
- पुर्तगाल
- पुर्तगाल में राइट टू डिस्कनेक्ट का कानून है, जिसके तहत नियोक्ताओं के लिये आपातकालीन स्थिति को छोड़कर, कार्य के घंटों के बाद कर्मचारियों से संपर्क करना अवैध है।
- स्पेन
- स्पेन में व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण और डिजिटल अधिकारों की गारंटी पर ऑर्गेनिक लॉ के अनुच्छेद 88 में इसके लिये प्रावधान हैं।
- सार्वजनिक कर्मचारियों या कर्मचारियों को अपने डिवाइस बंद करने का अधिकार होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानूनी या पारंपरिक रूप से स्थापित कार्य घंटों के बाद उनके अवकाश और छुट्टियों का सम्मान किया जाए, साथ ही उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक गोपनीयता का भी सम्मान किया जाए, जिसका उद्देश्य एक अच्छे वर्क-लाइफ बैलेंस को बढ़ावा देना है।
- आयरलैंड
- आयरलैंड ने भी कर्मचारियों के लिये राइट टू डिस्कनेक्ट को मान्यता दी है।
- ऑस्ट्रेलिया
- ऑस्ट्रेलिया ने फेयर वर्क लेजिस्लेशन संशोधन पारित किया, जिसने कर्मचारियों को कार्य समय के बाद कार्य से अलग होने का अधिकार प्रदान किया।
भारत के संबंध में राइट टू डिस्कनेक्ट की स्थिति क्या है?
- भारत का संविधान, 1950 (COI)
- अनुच्छेद 38
- इसमें यह प्रावधान है कि राज्य लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
- अनुच्छेद 39(e)
- यह राज्य को अपने कर्मचारियों की शक्ति और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की दिशा में अपनी नीति निर्देशित करने का निर्देश देता है।
- अनुच्छेद 38
- विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997)
- इस मामले में न्यायालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिये दिशा-निर्देश निर्धारित किये।
- न्यायालय ने कार्यस्थल पर सम्मान के अधिकार को मान्यता दी और महिलाओं के लिये सुरक्षित कार्य वातावरण और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये।
- रवींद्र कुमार धारीवाल एवं अन्य बनाम भारत संघ (2021)
- न्यायालय ने निः शक्त व्यक्तियों को उचित रूप से समायोजित करने के लिये समावेशी समानता के विचारों को शामिल करने के लिये अनुच्छेद 14 पढ़ा।
- न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि नियोक्ता को कर्मचारी के व्यक्तिगत अंतर और क्षमताओं पर विचार करना चाहिये।
- प्रवीण प्रधान बनाम उत्तरांचल राज्य (2012)
- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रशासनिक नियंत्रण और अनुशासन के नाम पर किसी वरिष्ठ अधिकारी को छोटी सी चूक के लिये सभी अधीनस्थ कर्मचारियों के सामने अमानवीय तरीके से अपमानित करने और डाँटने की अत्यधिक स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती।
- निजी सदस्य का विधेयक
- वर्ष 2018 में सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में एक निजी सदस्य का विधेयक पेश किया, जिसमें कार्य के घंटों के बाद कार्य से अलग होने के अधिकार को रेखांकित किया गया।
- इस विधेयक में कंपनियों द्वारा इसके प्रावधानों का पालन न करने पर सभी कर्मचारियों के कुल पारिश्रमिक का 1% जुर्माना लगाने का प्रावधान शामिल था।
निष्कर्ष
राइट टू डिस्कनेक्ट एक ऐसा अधिकार है जिसे कई न्यायक्षेत्रों में मान्यता प्राप्त है। हालाँकि भारत में इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है। पूरे देश में कार्यालय से संबंधित तनाव बढ़ने के साथ, एक नया कानून बनाकर इस कमी को पूरा करने की आवश्यकता है।