वित्त आयोग
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सांविधानिक विधि

वित्त आयोग

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 03-Jul-2024

स्रोत: द हिंदू

परिचय:

31 दिसंबर 2023 को गठित 16वें वित्त आयोग ने काम करना प्रारंभ कर दिया है। इसका गठन 31 दिसंबर 2023 को किया गया था और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष श्री अरविंद पनगढ़िया इसके अध्यक्ष होंगे।

वित्त आयोग क्या है?

● भारतीय संविधान, 1950 के अनुच्छेद 280 और 281 में वित्त आयोग का प्रावधान है।

● संविधान के अनुच्छेद 280(1) में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति प्रत्येक पाँचवें वर्ष या उससे पहले, जैसा राष्ट्रपति आवश्यक समझें, वित्त आयोग का गठन करेंगे।

● वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होंगे जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा।

वित्त आयोग के कर्त्तव्य क्या हैं?

  • संविधान के अनुच्छेद 280(3) के अनुसार वित्त आयोग का कर्त्तव्य, राष्ट्रपति को निम्नलिखित के संबंध में अनुशंसाएँ करना है:
  • संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, जो इस अध्याय के अधीन उनके बीच विभाजित किया जाना है या किया जा सकेगा और ऐसी आय के संबंधित भागों का राज्यों के बीच आवंटन।
  • भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्व हेतु सहायता अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत;
  • राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं के आधार पर राज्य में पंचायतों के संसाधनों के पूरक हेतु राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिये आवश्यक उपाय।
  • राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं के आधार पर राज्य में नगरपालिकाओं के संसाधनों के पूरक हेतु राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिये आवश्यक उपाय।
  • वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को भेजा गया कोई अन्य मामला।
  • संविधान के अनुच्छेद 281 के अनुसार राष्ट्रपति, इस संविधान के उपबंधों के अधीन वित्त आयोग द्वारा की गई प्रत्येक अनुशंसा को, उस पर की गई कार्यवाही के स्पष्टीकरण ज्ञापन सहित, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।

वित्त आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त होने के लिये व्यक्तियों की योग्यताएँ क्या हैं?

  • संविधान के अनुच्छेद 280 (2) में यह प्रावधान है कि संसद, विधि द्वारा आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति हेतु अपेक्षित योग्यताएँ तथा उनके चयन की पद्धति निर्धारित कर सकती है।
  • वित्त आयोग (विविध प्रावधान) अधिनियम, 1951 की धारा 3 में प्रावधान है कि आयोग के अध्यक्ष का चयन ऐसे व्यक्तियों में से किया जाएगा जिन्हें सार्वजनिक मामलों में अनुभव हो और चार अन्य सदस्यों का चयन ऐसे व्यक्तियों में से किया जाएगा जिन्हें सार्वजनिक मामलों का अनुभव हो, जो —
  • किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हैं, रहे हैं, या नियुक्त होने के योग्य हैं; या
  • सरकार के वित्त और लेखा का विशेष ज्ञान हो; या
  • वित्तीय मामलों और प्रशासन में व्यापक अनुभव हो; या
  • अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञान हो

वित्त आयोग की प्रक्रियाएँ और शक्तियाँ क्या हैं?

  • वित्त आयोग (विविध प्रावधान) अधिनियम, 1951 की धारा 8 में प्रावधान है कि आयोग अपनी प्रक्रिया स्वयं निर्धारित करेगा और अपने कार्यों के निष्पादन में निम्नलिखित मामलों के संबंध में किसी वाद का विचारण करते समय सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अधीन सिविल न्यायालय की सभी शक्तियाँ प्राप्त होंगी, अर्थात् :—
  • साक्षियों को बुलाना और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करना;
  • किसी भी दस्तावेज़ को प्रस्तुत करने की आवश्यकता
  • किसी भी न्यायालय या कार्यालय से कोई सार्वजनिक अभिलेख प्राप्त करना।

संविधान (तिहत्तरवाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 और संविधान (चौहत्तरवाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 के परिणामस्वरूप अनुच्छेद 280 में परिवर्तन क्यों किये गए हैं?

  • संविधान (तिहत्तरवाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से अनुच्छेद 280 (3) (bb) जोड़ा गया, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई अनुशंसा के आधार पर राज्य में पंचायतों के संसाधनों के अनुपूरण हेतु राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिये आवश्यक उपायों के संबंध में अनुशंसा करना सरकार का कर्त्तव्य होगा।
  • संविधान (चौहत्तरवाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से अनुच्छेद 280 (3)(c) जोड़ा गया, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं के आधार पर राज्य में नगरपालिकाओं के संसाधनों के पूरक के लिये राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिये आवश्यक उपायों के विषय में अनुशंसा करना सरकार का कर्त्तव्य होगा।

16वें वित्त आयोग के सदस्य कौन हैं?

  • 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद पनगढ़िया हैं।
  • अन्य 4 सदस्यों में शामिल हैं:
  • श्री. अजय नारायण झा
  • श्रीमती. एनी जॉर्ज मैथ्यू
  • डॉ. निरंजन राजाध्यक्ष
  • डॉ. सौम्या कांति घोष

निष्कर्ष:

वित्त आयोग को अपनी अनुशंसाएँ देने में सामान्यतः दो वर्ष लगते हैं। चूँकि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाएँ 31 मार्च 2026 तक की छह वर्ष की अवधि को समाहित करती हैं, अतः 16वें वित्त आयोग का गठन वर्तमान समय में करने का प्रस्ताव किया गया है।