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सांविधानिक विधि

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हलाल प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध

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 30-Jan-2025

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस 

परिचय

भारतीय उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवंबर 2023 में लागू किये गए हलाल-प्रमाणित उत्पादों पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं की समीक्षा कर रहा है। इस प्रतिबंध ने धार्मिक प्रथाओं, उपभोक्ता अधिकारों एवं राज्य प्राधिकरण के संबंध में महत्त्वपूर्ण विधिक एवं संवैधानिक तर्कों को जन्म दिया है। यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता, वाणिज्यिक विनियमन एवं राज्य शक्ति के प्रतिच्छेदन के विषय में महत्त्वपूर्ण प्रश्न करता है।

'हलाल' क्या है?

  • हलाल एक अरबी शब्द है जिसे मुस्लिम विधि के अंतर्गत विधिक तौर पर 'हलाल' के रूप में परिभाषित किया गया है। 
  • यह शब्द 'हराम' के बिल्कुल विपरीत है जो 'निषिद्ध' वस्तुओं या प्रथाओं को दर्शाता है। 
  • हलाल पदनाम खाद्य उत्पादों से आगे बढ़कर मुस्लिम विधि के अनुरूप विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं को शामिल करता है। 
  • यह अवधारणा मुस्लिम उपभोक्ताओं के लिये अनुमेय उत्पादों की पहचान करने के लिये एक नियामक ढाँचे के रूप में कार्य करती है।

हलाल मांस एवं गैर-मांस उत्पाद क्या हैं?

  • हलाल मांस के लिये विशेष हत्या की विधियों की आवश्यकता होती है जिसमें गले की नस और कैरोटिड धमनी में एक ही कट लगाना शामिल है। 
  • इस प्रक्रिया में पूर्ण रक्त निकासी और निर्धारित कलमा का पाठ करना अनिवार्य है। 
  • मांस रहित उत्पाद हलाल माने जाते हैं यदि उनमें शराब या सूअर के मांस से बने पदार्थ जैसे कोई प्रतिबंधित पदार्थ न हों।
  • यह प्रमाणन फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधनों एवं पैकेजिंग सामग्रियों तक विस्तृत है। 
  • शाकाहारी उत्पादों को आम तौर पर हलाल माना जाता है जब तक कि उनमें प्रतिबंधित पदार्थ न हों।

प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकारी कौन हैं?

  • भारत में केंद्रीकृत सरकारी हलाल प्रमाणन प्राधिकरण का अभाव है।
  • राष्ट्रीय प्रमाणन निकाय प्रत्यायन बोर्ड (NABCB) कुछ संगठनों को हलाल प्रमाणपत्र जारी करने के लिये मान्यता देता है।
  • प्रमुख प्रमाणन निकायों में जमीयत उलमा-ए-हिंद एवं हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
  • इन प्रमाणपत्रों को विभिन्न इस्लामी देशों से अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है।

प्रमाणन निकायों के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NABCB)

  • NABCB भारत का प्रमुख मान्यता प्रदाता निकाय है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों एवं दिशा-निर्देशों के आधार पर प्रमाणन, निरीक्षण और सत्यापन एवं सत्यापन निकायों का मूल्यांकन करता है तथा उन्हें मान्यता प्रदान करता है।
  • यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मंच (IAF), अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला मान्यता सहयोग (ILAC) और एशिया प्रशांत मान्यता सहयोग (APAC) सहित प्रमुख वैश्विक निकायों में सक्रिय सदस्यता के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मान्यता बनाए रखता है।
  • NABCB कई अंतरराष्ट्रीय बहुपक्षीय/पारस्परिक मान्यता व्यवस्थाओं (MLAs/MRA) का सत्यापनकर्त्ता है, जो गुणवत्ता, पर्यावरण, खाद्य सुरक्षा, सूचना सुरक्षा एवं चिकित्सा उपकरणों सहित विभिन्न प्रबंधन प्रणालियों को शामिल करता है। 
  • बोर्ड निष्पक्षता, पारदर्शिता, अखंडता एवं गोपनीयता के सिद्धांतों पर कार्य करता है, जो इसके संचालन की परिधि में सभी आवेदकों को समान अवसर प्रदान करता है।
  • NABCB भारत एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित अनुरूपता मूल्यांकन निकायों (CAB) को अपनी मान्यता सेवाएँ प्रदान करता है, जो क्रॉस-फ्रंटियर मान्यता पर IAF एवं ILAC नीतियों के अधीन है। 
  • संगठन अनुरूपता मूल्यांकन के लिये ISO/IEC 17011:2017 मानकों का पालन करता है तथा अंतरराष्ट्रीय मॉडल के अनुरूप अपने मानदंडों को लगातार अद्यतन करता है।
  • NABCB के शासी बोर्ड में 20 सदस्य हैं, जिनमें सरकारी निकायों, उद्योग संघों, विनियामक प्राधिकरणों, अनुरूपता मूल्यांकन निकायों एवं उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
  • बोर्ड नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं सूचना विनिमय सम्मेलनों के माध्यम से व्यवसायिक विकास के लिये प्रतिबद्धता बनाए रखता है ताकि कार्मिक क्षमता सुनिश्चित की जा सके।
  • NABCB वैश्विक मान्यता बनाए रखने एवं दुनिया भर में अनुरूपता मूल्यांकन प्रक्रियाओं में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये अंतरराष्ट्रीय मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

  • यूपी सरकार ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के माध्यम से 18 नवंबर 2023 को प्रतिबंध जारी किया। 
  • प्रतिबंध यूपी के अंदर हलाल-प्रमाणित उत्पादों के निर्माण, बिक्री, भंडारण एवं वितरण पर रोक लगाता है। 
  • निर्यात उत्पादों को प्रतिबंध से छूट मिली। 
  • प्रतिबंध की शुरुआत नेशन पार्टी के युवा विंग के प्रतिनिधियों में से एक द्वारा दर्ज की गई शिकायत से हुई।

हलाल पर प्रतिबंध के पीछे मुख्य तर्क क्या हैं?

  • मुख्य तर्क
    • हलाल प्रमाणन एक समानांतर गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली बनाता है। 
    • मांस रहित उत्पादों के लिये धार्मिक प्रमाणन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये। 
    • प्रमाणन से सभी उपभोक्ताओं के लिये उत्पाद की लागत बढ़ जाती है। 
    • अनाधिकृत प्रमाणन प्रथाओं के विषय में चिंताएँ व्याप्त हैं।
  • याचिकाकर्त्ताओं के तर्क
    • संवैधानिक आधार 
      • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
      • एक समुदाय को भेदभावपूर्ण तरीके से निशाना बनाना
      • धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप
      • राज्य सत्ता का मनमाना प्रयोग

हलाल पर प्रतिबंध के संबंध में न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ हैं?

  • उच्चतम न्यायालय ने 5 जनवरी, 2024 को यूपी सरकार को नोटिस जारी किया। 
  • न्यायालय ने प्रमाणन निकायों को बलपूर्वक कार्यवाही से संरक्षण प्रदान किया। 
  • पीठ ने अगली सुनवाई 24 मार्च के लिये निर्धारित की। 
  • न्यायालय ने प्रतिबंध के संभावित राष्ट्रव्यापी प्रभावों को स्वीकार किया।

विधिक ढाँचे एवं संवैधानिक उपबंध क्या हैं?

  • संवैधानिक उपबंध 
    • यूपी सरकार द्वारा अध्यारोपित प्रतिबंध के लिये मूलभूत चुनौती कई संवैधानिक उपबंधों, विशेष रूप से भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 14, 19 एवं 25 पर केंद्रित है। 
    • हलाल प्रमाणीकरण को चुनिंदा रूप से लक्षित करने वाले प्रतिबंध, जबकि अन्य धार्मिक प्रमाणपत्रों को अछूता छोड़ना, विधि के अंतर्गत समान सुरक्षा के विषय में गंभीर प्रश्न करता है।
  • संवैधानिक अधिकार की संवेदनशील स्थिति:
    • धार्मिक आचरण का अधिकार: अनुच्छेद 25 धर्म एवं धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। 
    • व्यापार का अधिकार: अनुच्छेद 19(1)(g) किसी भी व्यापार या व्यवसाय को करने के अधिकार की रक्षा करता है। 
    • समानता का अधिकार: अनुच्छेद 14 विधियों की समान सुरक्षा सुनिश्चित करता है। 
    • उपभोक्ता अधिकार: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019, उपभोक्ता की पसंद एवं सूचना की गारंटी देता है।
  • विनियामक ढाँचा:
    • भारत में खाद्य प्रमाणन के लिये मौजूदा विनियामक संरचना कई प्राधिकरणों के अधीन संचालित होती है:
      • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)
      • प्रमाणन निकायों के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NABCB)
      • इन ढाँचों के अंतर्गत कार्य करने वाली विभिन्न निजी प्रमाणन एजेंसियाँ

निष्कर्ष 

हलाल प्रमाणन प्रतिबंध मामला वाणिज्यिक क्षेत्रों में धार्मिक प्रथाओं को विनियमित करने के लिये राज्य प्राधिकरण की एक महत्त्वपूर्ण परीक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। उच्चतम न्यायालय का निर्णय संभवतः राष्ट्रव्यापी समान विनियमनों के लिये महत्त्वपूर्ण उदाहरण सिद्ध होगा। यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता एवं उपभोक्ता संरक्षण के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता प्रदान करता है। संवैधानिक अधिकारों, बाजार की गतिशीलता एवं नियामक ढाँचे पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।