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महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
संदीप मेहता
« »25-Jan-2024
न्यायमूर्ति संदीप मेहता:
न्यायमूर्ति संदीप मेहता को वर्ष 2023 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। कॉलेजियम ने 6 नवंबर, 2023 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके नाम की सिफारिश की थी। वह 10 जनवरी, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। उनका जन्म 11 जनवरी, 1963 को हुआ था। ये विज्ञान एवं विधि में स्नातक हैं।
जस्टिस संदीप मेहता की करियर यात्रा:
- जस्टिस संदीप मेहता ने ट्रायल कोर्ट, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में वकालत की तथा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त एवं तत्कालीन दोनों प्रकार के माननीय न्यायाधीशों के नेतृत्व वाले तीन न्यायिक जाँच आयोगों में आयोग के अधिवक्ता के रूप में कार्य किया।
- उन्होंने वर्ष 2003 से 2009 तक बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य के रूप में कार्य किया।
- वर्ष 2004-2005 के दौरान बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे और वर्ष 2010 में अध्यक्ष बने।
- इन्होंने 30, मई 2011 को राजस्थान HC के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति हासिल की और बाद में 6 फरवरी 2013 को स्थायी न्यायाधीश बन गए।
- उन्होंने 15 फरवरी 2023 को गुवाहाटी HC के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
- इसके अलावा उन्हें 9 नवंबर, 2023 को भारत के SC में न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत किया गया।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता के उल्लेखनीय निर्णय:
- दिनेश सुथार बनाम राजस्थान राज्य (2019):
- एक खंडपीठ (जिसमें न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे) ने बंदी प्रत्यक्षीकरण आवेदन को स्वीकार किया था।
- इसमें न्यायालय को पत्नी की गवाही के आधार पर नारी निकेतन में उसके संतुष्ट होने की पुष्टि हुई।
- एक सरकारी शिक्षिका के रूप में, उन्होंने स्वेच्छा से अपने याचिकाकर्त्ता-पति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की।
- सामाजिक दबावों से चिंतित होकर उसने पुलिस सुरक्षा मांगी।
- उसकी शैक्षिक स्थिति और स्वतंत्र इच्छा को स्वीकार करते हुए, न्यायालय ने नारी निकेतन से घर तक पहुँचाने एवं बाहरी दबाव से पुलिस सुरक्षा का आदेश दिया।
- हिंदुस्तान कॉर्पोरेशन लिमिटेड बनाम भारत संघ (2022):
- एक खंडपीठ (जिसमें न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे) ने केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 75 (6) के उल्लंघन के कारण करों के देर से भुगतान के संबंध में राज्य वस्तु और सेवा कर (CGST) अधिनियम, 2017 के संयुक्त आयुक्त द्वारा दिये गए फैसले को भी पलट दिया।
- न्यायालय ने निर्धारित किया कि अधिकारी आदेश जारी करते समय याचिकाकर्त्ता की प्रतिक्रिया पर विचार करने में विफल रहे तथा इसे अपर्याप्त और सारहीन बताया।
- आदेश को रद्द करते हुए, न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि उचित प्राधिकरण द्वारा विवेक का प्रयोग न करने के कारण यह आदेश सही नहीं था और इससे CGST अधिनियम की धारा 75(6) के अनिवार्य प्रावधान का उल्लंघन हुआ है।
- मोहन लाल बनाम राज्य (2022):
- राजस्थान HC की खंडपीठ जिसमें न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे, ने पत्नी की दहेज हत्या के दोषी अपीलकर्त्ता पति की उन्मत्तता की याचिका (plea of insanity) को स्वीकार कर लिया।
- न्यायालय ने कहा कि "हम अपीलकर्त्ता की ओर से उसकी सज़ा को पलटने के लिये की गई उन्मत्तता की दलील को स्वीकार करने पर सहमत हैं, जैसा कि ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में दर्ज किया था।”
- ऑल असम ट्रांसजेंडर एसोसिएशन बनाम असम राज्य (2023):
- गुवाहाटी उच्च न्यायालय की पीठ (जिसमें न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे) ने प्रतिवादी (असम सरकार) को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये असम राज्य नीति के दिशानिर्देशों के अनुसार ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के गठन की प्रक्रिया में तेज़ी लाने और आदेश के अगले 6 सप्ताह के अंदर इसे पूरा करने का निर्देश दिया।