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महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व

न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह

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 09-Oct-2024

एन कोटिस्वर सिंह कौन हैं?

न्यायमूर्ति नोंग्मीकापम कोटिस्वर सिंह का जन्म 1 मार्च 1963 को इम्फाल, मणिपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पश्चिम बंगाल से पूरी की। उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक किया।

न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह का कॅरियर कैसा रहा?

  • उन्होंने वर्ष 1986 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया।
  • उन्होंने विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संस्थानों के लिये स्थायी काउंसेल के रूप में कार्य किया।
  • उन्होंने मणिपुर राज्य के महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया है।
  • उन्हें 31 मार्च, 2003 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था।
  • 7 नवंबर, 2012 को उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
  • 23 मार्च, 2013 को मणिपुर उच्च न्यायालय के गठन के बाद उन्हें मणिपुर उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • उन्हें 12 फरवरी, 2023 को राष्ट्रपति द्वारा जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • उन्होंने 15 फरवरी, 2023 को जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
  • उन्हें 16 जुलाई, 2024 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 18 जुलाई, 2024 को उन्होंने शपथ ली।
  • वह मणिपुर राज्य से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश हैं।

एन कोटिश्वर सिंह के उल्लेखनीय निर्णय क्या हैं?

  • इंडियन काउंसिल फॉर एनवायरो लीगल एक्शन बनाम भारत संघ (2023): 
    • न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि यदि यह अंततः सिद्ध होता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा है, तो न्यायालय इस मामले को गंभीरता से लेने से पीछे नहीं हटेगा।
    • पर्यावरण के महत्त्व को रेखांकित करते हुए न्यायालय ने कहा कि जल निकायों में हानिकारक पदार्थों के निर्वहन से सख्ती से निपटा जाना चाहिये।
    • पर्यावरण में प्रदूषण का बढ़ता स्तर मानव और पशुओं दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, इसलिये इसे गंभीरता से लेना आवश्यक है।
  • मोइरंगथेम बोबोई सिंह बनाम ज़िला मजिस्ट्रेट (2014)  
    • इस मामले में चुनौती राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 3 (2) के तहत एक व्यक्ति की हिरासत के विरुद्ध थी।
    • यह मामला मणिपुर उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष था।
    • न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि "यह स्पष्ट नहीं है कि हिरासत में लेने वाले अधिकारी ने यह निर्णय लेते समय उचित विवेक का उपयोग किया था कि याचिकाकर्त्ता, जो पहले से ही हिरासत में था, को ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है।"
    • इस प्रकार, न्यायालय ने पाया कि हिरासत कानून की दृष्टि में असंधार्य है।
  • निंगोम्बम रामेश्वर सिंह बनाम भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (2018): 
    • यह मामला अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण वाले स्थानों पर दुर्घटनाओं से संबंधित जनहित याचिका से संबंधित है। 
    • न्यायालय ने किसी भी ज्वलनशील पदार्थ के भंडारण के लिये लाइसेंस देने पर तब तक रोक लगा दी है, जब तक कि राज्य सरकार ऐसे सुरक्षा दिशा-निर्देश तैयार नहीं कर देती।