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महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व

न्यायमूर्ति आर. भानुमति

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 15-Oct-2024

न्यायमूर्ति आर. भानुमति कौन हैं?

न्यायमूर्ति आर. भानुमति का जन्म 20 जुलाई, 1955 को तमिलनाडु में हुआ था। वह भारत के उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली छठी महिला थीं।

न्यायमूर्ति आर. भानुमति का कॅरियर कैसा रहा?

  • न्यायमूर्ति भानुमति ने वर्ष 1981 में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया।
  • उन्होंने तिरुपत्तूर और ज़िला न्यायालय, कृष्णगिरि, हरुर और मुफस्सिल न्यायालयों में सिविल और आपराधिक मामलों में वकालत की।
  • उन्होंने सीधी भर्ती के रूप में 'ज़िला न्यायाधीश' के रूप में न्यायिक सेवा में प्रवेश किया और कोयंबटूर, वेल्लोर में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश तथा पुदुकोट्टई, मद्रास, तिरुनेलवेली और सेलम में प्रधान ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।
  • 3 अप्रैल, 2003 को उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और वह तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा समिति की अध्यक्ष थीं। वह लोक अदालतों के आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल थीं।
  • उन्हें 16 नवंबर, 2013 को झारखंड उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • 13 अगस्त, 2014 को उन्हें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
  • वह पिछले तेरह वर्षों में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा बनने वाली न्यायमूर्ति रूमा पाल के बाद दूसरी महिला बन गई हैं।
  • वह "हैंडबुक ऑफ सिविल एंड क्रिमिनल कोर्ट्स मैनेजमेंट एंड यूज ऑफ कंप्यूटर्स" पुस्तक की लेखिका हैं, जो न्यायिक अधिकारियों और स्टाफ सदस्यों के लिये एक मार्गदर्शक पुस्तक के रूप में कार्य करती है।

न्यायमूर्ति आर. भानुमति के उल्लेखनीय निर्णय क्या हैं?

  • मुकेश बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) (2020)
    • इस निर्णय को लोकप्रिय रूप से "निर्भया निर्णय" के रूप में जाना जाता है। 
    • इस मामले में न्यायमूर्ति भानुमति ने सहमति व्यक्त की। 
    • यह माना गया कि अभियुक्तों की हरकतें दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में आती हैं। 
    • इसलिये, अभियुक्तों को मृत्युदंड दिया गया।
  • मॉडर्न डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2016)
    • न्यायालय ने इस मामले में माना कि निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों का विनियमन अनिवार्य रूप से भारतीय संविधान, 1950 के अनुच्छेद 19 (1) (g) का उल्लंघन नहीं करता है। 
    • इस मामले में न्यायमूर्ति भानुमति ने कहा कि शिक्षा प्रदान करना राज्य का सकारात्मक कर्तव्य होता है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये निजी शिक्षा को विनियमित करना राज्य का दायित्व होता है। 
    • इस मामले में चुनौती दिये गए अधिनियम में एक सामान्य प्रवेश परीक्षा, निश्चित शुल्क और आरक्षण का प्रावधान था।
  • मुनियास्मीथेवर बनाम उप पुलिस अधीक्षक (2006) 
    • न्यायालय ने इस मामले में कहा कि जल्लीकट्टू, बैलगाड़ी दौड़ और बैलों की दौड़ जैसे सभी प्रकार के आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये, क्योंकि इनसे पशुओं पर क्रूरता होती है। 
    • न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह मनोरंजन और खेल की आड़ में पशुओं पर होने वाली क्रूरता को रोके।
  • बोब्बिली रामकृष्ण राजू यादव एवं अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2016) 
    • यह मामला दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम, 1961 (DPA) की धारा 6 से संबंधित था। 
    • न्यायालय ने माना कि यदि विवाहित महिला की वस्तुएँ ससुराल वालों की हिरासत में हैं, तो उन्हें उनका ट्रस्टी माना जाएगा और उन्हें विवाह की तिथि के तीन माह के भीतर उन्हें वापस करना होगा। 
    • यदि ऐसा नहीं होता है तो यह इस धारा के तहत दहेज़ अपराध माना जाएगा।