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महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व
स्वर्गीय न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह
«17-Mar-2025
स्वर्गीय न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह कौन हैं?
स्वर्गीय न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह का जन्म 1 जनवरी 1932 को हुआ था।
स्वर्गीय न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह का कैरियर कैसा रहा?
- स्वर्गीय न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह ने नवंबर 1959 में पंजाब उच्च न्यायालय में एक अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया।
- उन्होंने वर्ष 1960 से वर्ष 1971 तक पंजाब विश्वविद्यालय लॉ कॉलेज में अंशकालिक व्याख्याता के रूप में कार्य किया।
- उन्होंने वर्ष 1971 से वर्ष 1982 तक पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता के रूप में कार्य किया।
- बाद में उन्हें मई 1987 से अगस्त 1987 तक पंजाब के एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्त किया गया।
- वे अगस्त 1987 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बने।
- उन्हें 14 दिसंबर, 1988 को भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
- बाद में वे 21 दिसंबर 1996 को उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए। उन्हें भारत के "स्वच्छ छवि वाले न्यायाधीश" के रूप में भी जाना जाता है।
स्वर्गीय न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह के उल्लेखनीय निर्णय क्या हैं?
- एम.सी. मेहता बनाम कमल नाथ (1997):
- न्यायमूर्ति सिंह ने स्थापित किया कि सार्वजनिक न्यास सिद्धांत भारतीय विधि का एक अभिन्न अंग है।
- उन्होंने इस सिद्धांत को नदियों, जंगलों, समुद्रों एवं हवा सहित सभी प्राकृतिक संसाधनों को शामिल करने के लिये विस्तारित किया।
- इस विधिक सिद्धांत का प्राथमिक उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना है।
- उन्होंने निर्णय दिया कि राज्य सरकार को विश्वास भंग करने के लिये उत्तरदायी माना जा सकता है।
- इस निर्णय ने राज्य अधिकारियों को मालिकों के बजाय प्राकृतिक संसाधनों के न्यासी के रूप में उत्तरदायी बनाया।
- एम.सी. मेहता (ताज ट्रेपेज़ियम मामला) बनाम भारत संघ (1997):
- न्यायमूर्ति सिंह ने ताजमहल के निकट कोक/कोयला का उपयोग करने वाले उद्योगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की।
- उन्होंने माना कि ये औद्योगिक उत्सर्जन स्थानीय निवासियों और प्रतिष्ठित स्मारक दोनों को क्षति पहुँचा रहे थे।
- उन्होंने अपने निर्णय में "प्रदूषणकर्त्ता का भुगतान के लिये उत्तरदायी होना" सिद्धांत लागू किया। उन्होंने सतत विकास के सिद्धांत को भी लागू किया।
- उन्होंने उद्योगों पर साक्ष्यों का भार डाला तथा उन्हें यह सिद्ध करने के लिये कहा कि उनकी गतिविधियों से कोई क्षति नहीं हो रही है।
- उन्होंने आदेश दिया कि ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में उद्योगों को कोक/कोयला के बजाय प्राकृतिक गैस का उपयोग करना चाहिये।
- इस निर्णय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और विश्व धरोहर स्मारक दोनों की रक्षा करने में सहायता की।
- एस. जगन्नाथ बनाम भारत संघ (1997):
- स्वर्गीय न्यायमूर्ति सिंह ने पर्यावरण, विशेष रूप से मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पर झींगा पालन के नकारात्मक प्रभाव पर बल दिया।
- उन्होंने निर्णय दिया कि वायु अधिनियम तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम एवं नियम किसी भी परस्पर विरोधी राज्य अधिनियमों पर वरीयता लेते हैं।
- उनके निर्णय ने संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में पर्यावरण विधियों के महत्त्व को सशक्त किया।
- निर्णय ने पारिस्थितिक क्षति को रोकने के लिये स्थायी प्रथाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- एम.सी. मेहता (कलकत्ता टेनरीज मैटर) बनाम भारत संघ (1997)
- स्वर्गीय न्यायमूर्ति सिंह ने पाया कि कलकत्ता की टेनरियों द्वारा गंगा नदी में जहरीला कचरा बहाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण हो रहा है।
- उन्होंने इस सिद्धांत को यथावत बनाए रखा कि "प्रदूषणकर्त्ता का भुगतान के लिये उत्तरदायी होता है।"
- उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह टेनरियों द्वारा पर्यावरण नियमों के अनुपालन की निगरानी के लिये एक हरित पीठ की स्थापना करे।