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 06-Jan-2025

परिचय:

मद्रास उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस तथ्य पर विचारण किया कि क्या आत्महत्या की धमकी भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत बलात माना जाएगा।

तथ्य:

  • पाँचवें साक्षी (स्वामी) के दबाव में एक विलेख (A द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य) निष्पादित की गई थी।
  • स्वामी ने धमकी दी थी कि अगर उनकी पत्नी एवं बेटे ने दस्तावेज निष्पादित नहीं किया तो वह आत्महत्या कर लेंगे।
  • दोनों अधीनस्थ न्यायालयों ने पाया कि विलेख को बलात प्राप्त किया गया था।
  • दो न्यायाधीशों के बीच मतभेद के कारण मामला उच्च न्यायालय के संज्ञान में आया।

शामिल मुद्दे:

  • क्या आत्महत्या की धमकी धारा 15 के अधीन"भारतीय दण्ड संहिता द्वारा निषिद्ध कृत्य" है।
  • क्या ऐसी धमकी "किसी व्यक्ति के लिये प्रतिकूल होगी"।
  • क्या धारा 16 (अनुचित प्रभाव) लागू थी।

टिप्पणी:

  • मुख्य न्यायाधीश वालिस ने अभिर्धारित किया कि:
    • आत्महत्या को IPC द्वारा निषिद्ध किया गया था क्योंकि यह कॉमन लॉ में मानव वध का एक रूप था।
    • IPC की आपराधिक मानव वध की परिभाषा में आत्महत्या का प्रावधान निहित है।
    • दुष्प्रेरण कारित करना एवं करने के प्रयास को दण्डनीय बनाने से यह स्पष्ट होता है कि यह कृत्य निषिद्ध है।
    • धमकी से पत्नी (हिंदू विधवा विकलांग) एवं बेटे को उपहति कारित होगी।
    • आत्महत्या की धमकी धारा 15 के अधीन बलात माना गया है।
  • न्यायमूर्ति ओल्डफील्ड (असहमतिपूर्ण विचार) ने अभिनिर्धारित किया कि:
    • धारा 15 का कठोरता से निर्वचन किया जाना चाहिये।
    • IPC में आत्महत्या को स्पष्ट रूप से निषेध नहीं किया गया है।
    • प्रयास के निषेध से निषेध का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
    • धारा 16 लागू नहीं होती, क्योंकि स्वामी संविदा में पक्षकार नहीं थे।
  • न्यायमूर्ति शेषगिरी अय्यर ने अभिनिर्धारित किया कि:
    • मुख्य न्यायाधीश से सहमत।
    • कोई कृत्य दण्डनीय न होने पर भी निषिद्ध किया जा सकता है।
    • केवल भावनात्मक पूर्वाग्रह नहीं, बल्कि विधिक उपहति कारित होना आवश्यक है।
    • परिवार को बिना देखभाल के छोड़ देने की संभावना पूर्वाग्रह का गठन करती है।

    निष्कर्ष:

    • अपील को लागत के साथ खारिज (2:1 बहुमत) कर दिया गया।
    • बलात प्रकृति के कारण विलेख को शून्य घोषित कर दिया गया।
    • यह अभिनिर्धारित किया गया कि आत्महत्या की धमकी धारा 15 के अधीन बलात प्रकृति का मामला बन सकता है।