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आपराधिक कानून
शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ AIR 2018 उच्चतम न्यायालय 1601
« »08-Aug-2024
परिचय:
इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा ऑनर किलिंग को रोकने के लिये उपचारात्मक, निवारक और दण्डात्मक जैसे विभिन्न उपाय जारी किये गए थे।
तथ्य:
- इस मामले में याचिकाकर्त्ता एक संगठन था जिसे राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऑनर किलिंग पर शोध अध्ययन करने के लिये अधिकृत किया गया था।
- ऑनर किलिंग के भय से लोगों द्वारा विवाह न करने की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
- याचिकाकर्त्ता संगठन ने राज्य सरकार के विरुद्ध भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की।
- याचिकाकर्त्ता ने कहा कि खाप पंचायत का गठन असंवैधानिक है जो किसी युगल जोड़े को सिर्फ इसलिये मार डालने का निर्णय करती है क्योंकि वह युगल विवाह करना चाहता है।
- याचिकाकर्त्ता ने ऑनर किलिंग तथा ऑनर किलिंग के समान अन्य अपराधों से निपटने के लिये प्रभावी उपाय और निवारक कदम जारी करने, उक्त प्रकृति के अपराधों को कम करने एवं नियंत्रित करने के लिये एक राष्ट्रीय और राज्य कार्य योजना प्रस्तुत करने तथा राज्य सरकारों को दंपतियों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिये विशेष प्रकोष्ठ बनाने या गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
- याचिकाकर्त्ता ने उन कारणों की सूची भी बताई जिनके कारण ऑनर किलिंग होती हैं:
- विवाह से पूर्व कौमार्य का हनन।
- विवाह से पूर्व गर्भधारण।
- व्यभिचार।
- अवैध संबंध रखना।
- तयशुदा विवाह से इंकार करना।
- तलाक मांगना।
- विवाह-विच्छेद के उपरांत बच्चों की अभिरक्षा की मांग करना।
- बिना अनुमति के परिवार या वैवाहिक घर छोड़ना।
- समुदाय में बदनामी या अफवाह फैलाना।
- बलात्कार का शिकार होना।
- प्रतिवादी द्वारा तर्क दिया गया कि भारतीय दण्ड संहिता 1860 (IPC) की धारा 300 के अनुसार ऑनर किलिंग को हत्या माना जाता है और इसलिये यह IPC की धारा 302 के अधीन दण्डनीय है।
शामिल मुद्दे:
- क्या अपने साथी को चुनने का अधिकार भारत के संविधान के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है?
- क्या खाप पंचायत जैसी संस्थाओं की कोई विधिक वैधता है?
- क्या वर्तमान विधिक प्रणाली में इन रूढ़िवादी प्रथाओं पर अंकुश लगाने की क्षमता है?
टिप्पणियाँ:
- इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने माना कि परिवार का तथाकथित सम्मान लोगों की हत्या करके कायम नहीं रखा जा सकता।
- उच्चतम न्यायालय ने यह भी माना है कि अपने साथी को चुनने का अधिकार परिवार, समुदाय या वंश के समझौते के बावजूद एक मौलिक अधिकार है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के अंतर्गत शामिल किया गया है।
- उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह उन गाँवों, ज़िलों, उप-मंडलों पर सख्ती से अंकुश लगाए जहाँ खाप पंचायत जैसी संस्थाएँ काम कर रही हैं और ऑनर किलिंग की प्रथा को बढ़ावा दे रही हैं।
- भारत में खाप पंचायत जैसी कोई संस्था किसी विधान में उल्लिखित नहीं है।
- उच्चतम न्यायालय ने संबंधित राज्य गृह विभाग के सचिव को संबंधित ज़िलों के मुख्य सचिवों को निर्देश जारी करने का भी आदेश दिया।
- चिह्नित क्षेत्रों के पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी अतिरिक्त सतर्कता बरतें।
- यदि किसी पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन के अधिकारी को किसी प्रस्तावित खाप पंचायत सभा के विषय में पता चले तो तत्काल उच्च अधिकारियों को सूचित करे।
- उच्चतम न्यायालय ने ऐसे व्यवहारों को रोकने के लिये पीड़ितों और सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले उपचारात्मक तथा निवारक उपाय भी जारी किये।
- उच्चतम न्यायालय ने ऑनर किलिंग की प्रथा के विरुद्ध दण्डात्मक उपाय भी जारी किये।
निष्कर्ष:
- उच्चतम न्यायालय ने वर्तमान याचिका को स्वीकार कर लिया तथा ऑनर किलिंग की प्रथा पर अंकुश लगाने के लिये निवारक, उपचारात्मक और दण्डात्मक उपाय जारी किये।
नोट:
- IPC की धारा 300 अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 101 के अंतर्गत आ गई है।
- IPC की धारा 302 अब BNS की धारा 103 के अंतर्गत आ गई है।