होम / माल की बिक्री अधिनियम
सिविल कानून
मद्रास राज्य बनाम गैनन डंकर्ले & कंपनी (मद्रास) लिमिटेड, 1959 SCR 379
«27-Jun-2024
परिचय:
यह मामला इस तथ्य के इर्द-गिर्द घूमता है कि क्या निर्माण कार्य एवं भवन निर्माण संविदा के लिये प्रयुक्त सामग्री, माल-विक्रय के दायरे में आती है तथा क्या इस पर कर अध्यारोपित किया जा सकता है।
तथ्य:
- इस मामले में, कंपनी एवं सरकार के मध्य प्रयुक्त एवं हस्तांतरित सामग्री को मद्रास जनरल सेल्स टैक्स एक्ट (MGSTA) के अनुसार कर की परिधि में लाया गया।
- इस अधिनियम के अंतर्गत कार्य-संविदा को कर की परिधि में लाया गया।
- नए संशोधन के अनुसार, मद्रास जनरल सेल्स टैक्स (संशोधन) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत संपत्ति के अंतरण पर भी कर लगाया जाएगा।
- इस मामले में कर-निर्धारण की वैधता को चुनौती दी गई थी।
- यह तर्क दिया गया कि निर्माण में प्रयुक्त सामग्री पर कर आरोपित नहीं किया जाना चाहिये, क्योंकि इसमें माल का विक्रय नहीं होता है तथा इस प्रावधान को अधिकारातीत माना जाना चाहिये।
शामिल मुद्दे:
- क्या निर्माण के लिये की गई संविदा विक्रय की संविदा माना जाएगा और क्या इसमें माल के विक्रय से संबंधित कोई तत्त्व शामिल है तथा क्या यह अधिनियम के अनुसार कर के दायरे में आता है?
टिप्पणी:
- उच्चतम न्यायालय ने माल विक्रय अधिनियम के अनुसार विक्रय की परिभाषा पर विचार किया।
- विक्रय के लिये दो आवश्यक तत्त्व हैं:
- विक्रेता एवं क्रेता के मध्य विक्रय के लिये एक करार होना चाहिये।
- माल का वास्तविक विक्रय होना चाहिये।
- उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि विधानमंडल, कर अध्यारोपित करने के अपने दायरे को विस्तृत नहीं कर सकता, वह केवल अधिनियम के अंतर्गत दी गई परिभाषा के अनुसार वस्तुओं के विक्रय पर कर लगा सकता है।
- उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि निर्माण कार्य में उपयोग की जाने वाली सामग्री को वस्तुओं के विक्रय के अंतर्गत नहीं लाया जा सकता।
- उपलब्ध कराई गई सामग्री अर्थात् सीमेंट एवं अन्य कच्चा माल, केवल निर्माण के उद्देश्य से था, विक्रय के उद्देश्य से नहीं। इसलिये यह विक्रय के लिये कोई संविदा नहीं है।
निष्कर्ष:
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संशोधन अति आवश्यक है तथा कर केवल तभी अध्यारोपित किया जा सकता है जब वस्तुओं की वास्तविक विक्रय हुई हो, इसलिये अपील खारिज कर दी गई।